Google: डॉक्टर से ज्यादा भरोसा 'डॉ गूगल' पर! 62 फीसदी लोग यहां से ले रहे दवा, हैरान करने वाली ये स्टडी
Google: आधुनिकता के इस दौर में लगभग सबकुछ तकनीक आधारित हो गया। अब लोग अपनी बीमारियों का इलाज भी अब गूगल से करा ले रहे हैं। इसका खुलासा एक स्टडी में हुआ है।
Google: महंगा इलाज और डॉक्टरों की चौखट पर घंटों इंतजार के सिलसिले ने आमजन की सोच को बदल दिया है। बीमारियां बढ़ रहीं हैं तो लोग शुरूआती इलाज कराने के लिए डॉक्टरों के पास जाने से कतराने लगे हैं। अब लोग खुद इलाज करने के लिए ‘डॉ. गूगल’ का सहारा ले रहे हैं। बीमारी की जड़ में जाने से पहले ‘डॉ. गूगल’ से राय लेकर खुद इलाज करते हैं, इसमें सीजनल बीमारियां ही नहीं इम्यून संबंधी बीमारियों तक का इलाज खुद किया जा रहा है। बीमार खुद की बीमारी के लक्षणों को ‘डॉ. गूगल’ से मिलाते और फिर खुद ओवर द काउंटर यानी मेडिकल स्टोर से दवा खरीद कर इलाज शुरू कर देते हैं।
इसका खुलासा जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के फार्माकोलाजी विभाग की दो साल की अध्ययन में किया गया है। अध्ययन में पाया गया कि 62 फीसद लोग खुद बीमारी के लक्षण के आधार पर दवाओं की जानकारी इंटरनेट से कर लेते हैं और फिर खुद अपना इलाज करने लगते हैं। स्टडी में 183 मेडिकल स्टूडेंट्स और 550 आम लोगों के दवाओं के खरीदने के ट्रेण्ड पर स्टडी की गई तो पाया गया कि एक बड़ी आबादी नीम-हकीम खतरे जान की पुरानी सोच को दरकिनार कर चुकी है। अध्ययन में स्व-संरचित प्रश्नावली (16 प्रश्न) के आधार पर परिणाम निकाले गए।
स्टडी में ये आया सामने
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स्टडी के रिजल्ट में सामने आया कि लोग बुखार, सिरदर्द, सर्दी, एसिडिटी, डिहाइड्रेशन के साथ-साथ मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द में पहले खुद इलाज करते हैं। इलाज जब कारगर नहीं होता है तब डॉक्टर के पास जाने की पहल करते हैं। यहां तक कि गंभीर होने के बाद डॉक्टर के पास जाते हैं पर ठीक होने के बाद फिर से ओवर द काउंटर दवा खरीदने लगते हैं।
अध्ययन में यह भी रिजल्ट निकला
44.27% की सोच सामान्य बीमारियों का उपचार खुद करना संभव
6.40 फीसद ने खुद दवा करने के बाद प्रतिकूल प्रभाव का अनुभव किया।
72.13% बीमारों ने दवाओं का उपयोग करने से पहले पैकेज इंसर्ट पर दिए गए निर्देशों को पढ़ा
54.64% ने दवा के रैपर पर लिखे साल्ट फार्मूले को समझा
67.76% सोचते हैं कि मेडिकल स्टोर से दवा लेकर स्व-दवा एक अच्छा अभ्यास है।
बुखार, सिरदर्द, ठंड लगने के लक्षण के साथ एसिडिटी में 97 फीसद बीमार बिना डॉक्टर की राय से दवा खरीदते हैं।
इसमें 32 फीसद बीमारों ने माना, मेडिकल स्टोर संचालक से पूछकर दवा ली और ‘डॉ. गूगल’ की दवा की पुष्टि भी कराई
अध्ययन में 55.19% ने कहा कि स्व-दवा के पीछे का कारण बीमारी छोटी और लक्षण वाली है, डॉक्टर की सलाह क्यों लें?
12 फीसद को डॉक्टर के पास जाना बोझिल लगा।
इस चलन को रोकने का समय आ गया
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज डॉ. वीरेन्द्र कुशवाहा के अनुसार अध्ययन कई संदेश दे रहा है। खुद इलाज करने की सोच बढ़ती जा रही है। दवाओं के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करना जरूरी हो गया है। इंटरनेट युग में मोबाइल पर सबकुछ उपलब्ध है पर डायग्नोसिस के बिना दवा लेकर खुद इलाज करने के चलन को रोकने का समय आ गया है क्योंकि इसी कारण एंटीबायोटिक से लेकर हर मर्ज की कई दवाओं के प्रति एंटी ड्रग रेजिस्टेंस बढ़ रहा है।