गोरखपुर: मकर संक्रांति पर तोहफा, लोहिया एन्क्लेव के आवंटियों का होगा गृह प्रवेश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की हाईपावर कमेटी ने 3 साल पहले रामगढ़ताल के 500 मीटर दायरे में किसी भी निर्माण पर रोक लगाते हुए बन चुके भवनों को ध्वस्त करने की संस्तुति की थी।
गोरखपुर: रामगढ़ झील के वेटलैंड में निर्माण को पेंच के चलते एनजीटी द्वारा लगाई गई रोक के बाद लोगों को राहत देने के लिए गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) के अधिकारी 8 जनवरी को बैठक करेंगे। बैठक में लोहिया एन्क्लेव के आवंटियों को कब्जा देने, झील के 500 मीटर दायरे में नक्शा स्वीकृति से लेकर एयरपोर्ट के इर्दगिर्द नो कंस्ट्रक्शन जोन को लेकर अहम निर्णय की उम्मीद है।
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की हाईपावर कमेटी ने 3 साल पहले रामगढ़ताल के 500 मीटर दायरे में किसी भी निर्माण पर रोक लगाते हुए बन चुके भवनों को ध्वस्त करने की संस्तुति की थी। जिसके बाद 5000 से अधिक लोगों की सांसें अटकी हुई थी। नये निर्माण पर रोक तो थी ही, पुराने निर्माण को ध्वस्त करने के फरमान से करोड़ों रुपये खर्च कर आशियाना बनाने वालों की नींद गायब थी। अब रामगढ़ताल को प्रदेश का पहला वेट लैंड घोषित करने के बाद स्थितियां स्पष्ट हो गई हैं। हजारों को राहत मिली है। जीडीए सचिव रामसिंह गौतम का कहना है कि कमिश्नर की अध्यक्षता में बोर्ड की बैठक आठ जनवरी को होगी। पूरा प्रयास ठप पड़े कार्यों को नये सिरे से शुरू करने की है। इसमें लोहिया एंक्लेव के आवंटियों को कब्जा देने का प्रस्ताव भी शामिल किया जा रहा है। मानचित्र को लेकर भी कई अहम निर्णय होंगे।
50 मीटर दायरे में नहीं हो सकेगा नया निर्माण
वेट लैंड का दायरा निर्धारित कर दिया गया है। 50 मीटर दायरे में आने वाले सभी निर्माण भी इससे बच गए हैं। वेट लैंड का नोटिफिकेशन जारी करते समय सभी तरह के निर्माणों को इस दायरे से बाहर कर दिया गया है। लेकिन, नया निर्माण नहीं हो सकता। इसी दायरे में जीडीए की लोहिया एंक्लेव आवासीय योजना भी शामिल है।
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अब मिलेगा 450 आवंटियों को कब्जा
अब बोर्ड में प्रस्ताव पास कर 450 आवंटियों को कब्जा देने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा। इसी के साथ 500 मीटर दायरे में मानचित्र पास करने पर लगी रोक भी हट सकती है। 500 मीटर दायरे में निर्माण पर रोक को लेकर एनजीटी में 12 जनवरी को सुनवाई है। वेटलैंड का दायरा निर्धारित होने के बाद पहली बार सुनवाई होगी। जीडीए के पास अपनी बात रखने का ठोस आधार हो चुका है। माना जा रहा है कि इस सुनवाई में एनजीटी से भी हरी झंडी मिल जाएगी।
रिपोर्ट- पूर्णिमा श्रीवास्तव
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