गोरखपुर: छह गुना कीमत बढ़ने के बाद भी खा रहे 'पाकिस्तानी नमक', जानें क्या है वजह
व्रत में खाने वाला सेंघा नमक सिर्फ पाकिस्तान के सिंध में पाया जाता है। आयुर्वेद की दवाओं में सेंधा नमक का उपयोग होता है। इसे व्रत में भी खाया जाता है।
गोरखपुर: 14 फरवरी 2019 को हुए पुलवामा अटैक के बाद पाकिस्तानी उत्पादों के बहिष्कार को लेकर देश में माहौल बना था। विश्व व्यापार संगठन से बंधा भारत भले ही पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगा सका लेकिन पाकिस्तान से आने वाले अधिकतर उत्पादों पर कस्टम ड्यूटी को बढ़ाकर 200% कर दिया गया। पाकिस्तान से छोहारा के साथ ही लाहौरी सेंधा नमक बड़ी मात्रा में आयात होता है। 200 फीसदी की कस्टम ड्यूटी के बाद भी कारोबार पर असर नहीं दिख रहा है। लाहौरी नमक की कीमतें छह गुनी होने के बाद भी लोगों के लिए पाकिस्तानी नमक (सेंघा नमक) देश वासियों के लिए मजबूरी बना हुआ है।
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व्रत में खाने वाला सेंघा नमक सिर्फ पाकिस्तान के सिंध में पाया जाता है
व्रत में खाने वाला सेंघा नमक सिर्फ पाकिस्तान के सिंध में पाया जाता है। आयुर्वेद की दवाओं में सेंधा नमक का उपयोग होता है। इसे व्रत में भी खाया जाता है। पुलवामा अटैक से पहले अच्छी क्वालिटी के सेंधा या लाहौरी नमक की कीमत 15 से 20 रुपये प्रति किलो थी। 200 फीसदी कस्टम ड्यूटी के बाद इम्पोर्ट कर आ रहे सेंधा नमक की कीमत 120 रुपये तक पहुंच गई है। किराना दुकानदार केदार नाथ गुप्ता बताते हैं कि 'पुलवामा अटैक के बाद सेंधा नमक की मांग काफी कम हो गई थी लेकिन कोरोना काल में आयुर्वेद के प्रति बढ़े भरोसे के बाद इसकी मांग में इजाफा हुआ है। कई अच्छी कंपनियां इसकी पैकेजिंग कर बिक्री कर रही हैं।'
नेपाल के रास्ते तस्करी कर भारत पहुंच रहा पाकिस्तानी छोहारा
कस्टम ड्यूटी बढ़ने से पाकिस्तान से छोहारा तस्करी कर आने लगा था। कुछ कारोबारी इसे इराक के रास्ते मंगाने लगे। वहीं बड़ी मात्रा में छोहरा नेपाल के रास्ते तस्करी कर आने लगा। दो साल पहले महराजगंज के कोल्हुई में रोडवेज बस से तस्करी कर लाये जा रहे छोहारे को कस्टम ने बरामद किया था। कोरोना संक्रमण के बाद भारत-नेपाल बॉर्डर सील होने से तस्करी पर अंकुश लगा तो कस्टम ड्यूटी भर कर व्यापारी छोहारा मंगाने लगे।
गोरखपुर में ड्राई फ्रूट के बड़े कारोबारी अनिल जायसवाल बताते हैं
गोरखपुर में ड्राई फ्रूट के बड़े कारोबारी अनिल जायसवाल बताते हैं कि 'पुलवामा अटैक के बाद ड्राई फ्रूट में सर्वाधिक असर छोहारा की कीमतों पर पड़ा था। 60 से 130 रुपये प्रति किलो में बिकने वाला पाकिस्तानी छोहारा 160 से 250 रुपये तक पहुंच गया था। अब दिल्ली और गुजरात में बैठे एक्सपोटर छोहारा मंगा रहे हैं। पहले इसकी खपत 45 से 50 टन प्रति महीने की खपत थी, जो वर्तमान में 40 टन तक है।'
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वो आगे बताते हैं कि
चेंबर ऑफ टेडर्स के महासचिव गोपाल जायसवाल बताते हैं कि 'कस्टम ड्यूटी बढ़ने से पाकिस्तानी छोहारे की कीमतें भले ही दोगुने से अधिक हो गई हों लेकिन डिमांड पर कोई असर नहीं है।' कारोबारियों के मुताबिक छुहारे का सस्ता विकल्प खजूर जरूर बना था लेकिन एक बार फिर पाकिस्तानी छोहारे का ही मार्केट पर कब्जा है। खजूर ईरान के अलावा अधिकतर खाड़ी देशों से आता है। यह बाजार में 200 से 2200 रुपये प्रति किलो के भाव से उपलब्ध है। कोरोना काल में भी खजूर की अच्छी मांग रही।
रिपोर्ट- पूर्णिमा श्रीवास्तव
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