Gorakhpur News: जटायु केन्द्र में गिद्धों का ‘वंश’ जानने को होगा डीएनए टेस्ट,जानें क्यों पड़ी इसकी जरूरत

Gorakhpur News: गिद्धों के खून का सैंपल हैदराबाद की लैब में भेजने की कवायद की जा रही है। इससे जटायु के वंश का राज खुलेगा।

Update:2024-09-17 11:47 IST

Gorakhpur News ( Pic- Newstrack)

Gorakhpur News:  देश के पहले जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र में मौजूद छह राजगिद्धों (रेड हेडेड वल्चर) का पहली बार डीएनए जांच होगा। गिद्धों के खून का सैंपल हैदराबाद की लैब में भेजने की कवायद की जा रही है। इससे जटायु के वंश का राज खुलेगा। वन विभाग का कहना है कि डीएनए जांच से ही साफ होगा कि सरंक्षण केन्द्र के छह गिद्ध (एक नर, पांच मादा) के माता-पिता कहीं एक तो नहीं हैं। ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि इनके ब्रीडिंग को लेकर निर्णय लिया जा सके।

कैंपियरगंज वन प्रभाग के भारीवैसी में बने जटायु संरक्षण और प्रजनन केंद्र में चित्रकूट से लाए गए छह गिद्ध हैं। वन विभाग इनकी ब्रीडिंग कराते हुए संख्या बढ़ाने की कोशिश में जुटा है। इनके ब्रीडिंग के पहले विभाग यह जानना चाहता है कि गिद्ध किस वंश के हैं। इनके माता-पिता कहीं एक ही तो नहीं है। अगर एक ही माता-पिता के वंश होंगे तो ब्रीडिंग का खतरा है। इससे जीवित रहने और प्रजनन दर घटने की आशंका अधिक है। इसके अलावा दिव्यांगता की समस्या, संतानों के आकार और आनुवांशिक बीमारियों का खतरा भी अधिक रहता है। विभाग डीएनए जांच के लिए इनके पंखों के नमूने हैदराबाद की लैंब भेजेगा।

एक ही अंडा देती है मादा

विशेषज्ञों के अनुसार एक वर्ष में मादा गिद्ध केवल एक अंडा देती है। गिद्धों में चार प्रजातियां पाई जाती है। इनका जो राजा होता है, उन्हें राजगिद्ध कहते हैं, इनकी गर्दन लाल होती है। बता दें कि जटायु केंद्र में सभी राज गिद्ध गिद्धों को चित्रकूट के जंगलों से लाया गया है। इससे इनके एक ही वंश के होने की संभावना दिख रही हैद्ध विभाग की अब ललितपुर के जंगलों से दूसरे गिद्ध लाने की भी योजना है। एक ही वंश के होने पर नए राजगिद्धों के साथ उनका जोड़ा तैयार किया जाएगा। डीएफओ विकास यादव का कहना है कि राजगिद्धों के वंश की पहचान के लिए डीएनए जांच कराई जाएगी। सही जानकारी से ब्रीडिंग में आसानी होगी।

सीएम ने किया था देश के पहले केन्द्र का लोकार्पण

देश के पहले जटायु सरंक्षण एवं प्रजनन केन्द्र का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले 6 सितम्बर को लोकार्पण किया था। यहां छह नर और मादा गिद्ध हैं। जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र में केवल एक ही नर राजगिद्ध है। जबकि, मादा की संख्य पांच है। अगर नर गिद्ध को कुछ हो जाता है तो इस मौसम में नर गिद्ध को लाना मुश्किल है। नर गिद्ध ललितपुर और चित्रकूट के इलाके में ही पाए जाते हैं। गर्मी के समय यह जल्दी नहीं दिखते हैं। एक बार अगर मानव इनके इलाके में आ जाते हैं तो उन इलाकों को भी छोड़ देते हैं। विभाग चित्रकूट से पांच मादा पकड़कर ला चुका है।

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