Gorakhpur News: दस साल से नहीं बढ़ा सर्किल रेट, जमीन के अनिवार्य अर्जन पर बढ़ी रार, क्या पीछे हटेगा GDA-GIDA?
Gorakhpur News: गीडा क्षेत्र के ककना और चकफत्ता के किसानों द्वारा अपनी कृषि और आवासीय भूमि को गीडा अधिग्रहण से बाहर रखने के लिए सोमवार को गीडा कार्यालय पर धरना दिया। गीडा प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।
Gorakhpur News: सड़क, उद्योग से लेकर आवासीय योजनाओं के लिए गोरखपुर में किसानों से लेकर आम शहरियों की जमीनों का अधिग्रहण तेजी से हो रहा है। अभी तक गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) से लेकर गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) तक करार के जरिये जमीनों का अधिग्रहण कर रहे थे। लेकिन विकास प्राधिकरण ने मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए अनिवार्य अर्जन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसे लेकर किसानों में जबरदस्त आक्रोश है। किसानों का तर्क है कि किसानों की जमीन को कौड़ियों के भाव लेने के लिए प्रशासन ने 15 से लेकर 10 वर्षों से सर्किल रेट में कोई बढ़ोतरी नहीं की है। जिस जमीनों को बाजार मूल्य एक करोड़ एकड़ है, उसे 20 से 25 लाख रुपये में छीना जा रहा है।
मुख्यमंत्री शहरी विस्तारीकरण योजना के तहत वैदिक सिटी नया गोरखपुर बसाने के लिए गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने समझौते के आधार पर जमीन लेने के साथ ही अनिवार्य अधिग्रहण की भी प्रक्रिया शुरू कर दी है। चौरीचौरा और सदर तहसील क्षेत्र के प्रभावित माड़ापार, तकिया मेदिनीपुर और माडापार तीन गांवों के लिए जनसुनवाई हुई। काश्तकारों ने जनसुनवाई में अधिग्रहण पर कड़ा विरोध जताया। मांग किया कि पहले नया सर्किल रेट का निर्धारण करें और फिर उसी मुताबिक दर तय करें। सदर तहसील और चौरीचौरा तहसील सभागार, दोनों ही जगह हुई सुनवाई में काश्तकारों ने दर पर आपत्ति जताई। जनसुनवाई के दौरान संजय जायसवाल, सत्येंद्र निषाद, हीरालाल एवं रामगति यादव का कहना है कि छोटे कास्तकार भूमिहीन हो जा रहे हैं। ऐसे में उन्हें जमीन का उचित मूल्य भी नहीं मिलेगा तो उन्हें आत्महत्या को विवश होना पड़ेगा। प्राधिकरण की बैठक में शामिल तहसीलदार रामभेज का कहना है कि काश्तकारों ने नए सर्किल रेट के हिसाब से मुआवजे की मांग की है। उच्चाधिकारियों से चर्चा के बाद मामले में आगे कोई निर्णय किया जाएगा। उधर सदर तहसील सभागार में नायब तहसीलदार सदर देवेंद्र यादव ने बताया कि प्राधिकरण के अधिकारी मौजूद थे। काश्तकारों की मांग पर प्राधिकरण की ओर से ही कोई निर्णय किया जाएगा।
वैदिक सिटी के लिए अधिग्रहित हो रही जमीन
गोरखपुर-कुशीनगर रोड पर चौरीचौरा तहसील क्षेत्र के माड़ापार में 151.261 हेक्टेयर और सदर तहसील क्षेत्र के तकिया मेदनीपुर में 44.706 और कोनी में 56.482 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित होगी। इसके लिए चयनित एजेंसी एग्रीमा कंपनी की ओर से समाघात सामाजिक अध्ययन की रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने के बाद सोमवार को जनसुनवाई की गई। चौरीचौरा तहसील सभागार में पूर्व जिला पंचायत सदस्य कुंवर प्रताप सिंह के नेतृत्व में काश्तकारों ने जमीन नहीं देने की बात कहते हुए मांग रखी कि बाजार दर के अनुसार नया सर्किल रेट तय किया जाए। उसके बाद कमेटी गठित कर उस सर्किल रेट के हिसाब से मुआवजे की दर तय की जाए। ऐसी ही मांग सदर तहसील सभागर में हुई बैठक में भी उठी। नया गोरखपुर के लिए 25 गांवों की करीब छह हजार एकड़ भूमि समझौते और अनिवार्य अधिग्रहण के आधार पर ली जाएगी।
गीडा प्रशासनिक कार्यालय पर प्रदर्शन और नारेबाजी
गीडा क्षेत्र के ककना और चकफत्ता के किसानों द्वारा अपनी कृषि और आवासीय भूमि को गीडा अधिग्रहण से बाहर रखने के लिए सोमवार को गीडा कार्यालय पर धरना दिया। गीडा प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। धरने का नेतृत्व कर रहे सुनील कुमार यादव और भोला नाथ मौर्या ने बताया कि गीडा द्वारा हम लोगों की कृषि योग्य भूमि नरकटहा और चकफत्ता में गीडा द्वारा विकास के नाम पर कौड़ियों के दाम पर पहले ही अधिग्रहण किया जा चुका है। अब बची हुई जमीन को गीडा मनमानी ढंग से भूमि अर्जन करने का प्रस्ताव पास कर रही है। जबकि किसानों द्वारा अपनी भूमि गीडा को न देने का शपथ पत्र कमिश्नर को दिया गया जा चुका है। गीडा का कहना है कि किसानों के बिना सहमति के भूमि अधिग्रहण नहीं किया जाएगा। क्योंकि अधिग्रहण के लिए किसानों की 80 प्रतिशत सहमति जरूरी होता है।