Gorakhpur: राज्यसभा उपसभापति हरिवंश नारायण बोले-गरीबी दूर करने की चेतना का एकमात्र माध्यम है शिक्षा

Gorakhpur: राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण ने कहा कि किसी बड़े घराने में पैदा होना भाग्य पर निर्भर है लेकिन शिक्षा से एक व्यक्ति बड़े घरानों से भी आगे अपना यश लिख सकता है।

Update:2023-12-10 14:32 IST

महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद में बोले महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद (न्यूजट्रैक)

Gorakhpur News: राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण ने कहा कि शिक्षा, गरीबी दूर करने की चेतना लाने का एकमात्र माध्यम है। किसी बड़े घराने में पैदा होना भाग्य पर निर्भर है लेकिन शिक्षा से एक व्यक्ति बड़े घरानों से भी आगे अपना यश लिख सकता है। शिक्षा ने भाग्य आधारित समृद्धि के पुराने रास्ते की अवधारणा को बदल दिया है। शिक्षा के इसी महत्व के कारण 91 वर्ष पूर्व ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ ने शिक्षा को समग्र विकास के माध्यम के रूप में चुना और महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की।

हरिवंश नारायण रविवार को महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 91वें संस्थापक सप्ताह समारोह के समापन कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने शिक्षा से यश गाथा लिखने के संदर्भ में इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति का उद्धरण देते हुए कहा कि शिक्षा के बूते ही उन्होंने दुनिया की प्रतिष्ठित कम्पनी बना डाली। उन्होंने कहा कि अमेरिका अपने शिक्षण संस्थानों के कारण ही आज लीडर बना हुआ है। दुनिया को बदलने वाले अनुसंधान शिक्षण संस्थाओं से ही निकलते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के योगदान की चर्चा करते हुए हरिवंश नारायण ने कहा कि इस शिक्षा परिषद में बौद्धिक, मानसिक, शारीरिक विकास के साथ चरित्र निर्माण का जो काम होता है वह शायद ही दुनिया में कहीं और होता होगा।

शिक्षा के क्षेत्र में नकल रोकने को सीएम योगी के नेतृत्व में हुआ बड़ा प्रयास

राज्यसभा के उपसभापति ने कहा कि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में शिक्षा के क्षेत्र में नकल रोकने का बड़ा प्रयास हुआ है। यूपी में एक दौर ऐसा भी आया था जब परीक्षार्थी से अधिक नकल करने वाले दिखते थे। यह प्रतिभाओं के साथ अन्याय था। नकल विहीन परीक्षा से प्रतिभाओं को मौका मिला है और इससे यूपी के विद्यार्थी दुनिया में रहनुमाई करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रतिभा पूरी तरह प्रकृति प्रदत्त नहीं होती है बल्कि इसके लिए परिश्रम व संकल्प जरूरी है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन द्वारा अपने बच्चे के विद्यालय के शिक्षक को लिखे गए एक पत्र का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि नल से पास होने की बजाय फेल होना बेहतर है। उन्होंने कहा कि सीएम योगी की पहल पर उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर नए शिक्षकों की नियुक्ति हुई है और बच्चों की उपस्थिति भी विद्यालयों में बढ़ी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा शिक्षण संस्थानों के इंडस्ट्री से जुड़ने और नवाचार, अनुसंधान पर ध्यान देने के आह्वान की तारीफ करते हुए राज्यसभा के उपसभापति ने कहा कि इससे कई चुनौतियों का समाधान निकलेगा।

जनजागरण सेवा व शिक्षा का केंद्र है गोरक्षपीठ

गुरु गोरखनाथ की तपोस्थली पर आने को गौरव बताते हुए राज्यसभा के उपसभापति ने कहा कि नाथ पंथ की सर्वोच्च पीठ होने के साथ गोरक्षपीठ जनजागरण, शिक्षा और सेवा का भी केंद्र है। इस पीठ के युगद्रष्टा ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ ने शैक्षिक क्रांति और राष्ट्रीयता की अदम्य भावना से महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की तो ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ने उनके विजन को आगे बढ़ाया और सामाजिक कुरीतियों से लड़कर सामाजिक समरसता को भी मजबूत किया। वर्तमान महंत योगी आदित्यनाथ इन सभी कार्यों को नई ऊंचाइयों तक ले जा रहे हैं। गोरक्षपीठ के मार्गदर्शन में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद संस्कार देने वाली और नए इंसान को बढ़ाने वाली शिक्षा व्यवस्था को आगे बढ़ा रही है।

डिवाइस से हासिल नहीं की जा सकती संस्कारयुक्त शिक्षाः सतीश महाना

बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि आज एडवांस टेक्नोलॉजी और डिजिटलाइजेशन के दौर में एबीसीडी से लेकर हायर एजुकेशन तक की पढ़ाई बच्चे लैपटॉप या स्मार्टफोन जैसे डिवाइस से कर ले रहे हैं। पर, डिवाइस की पढ़ाई से संस्का युक्त शिक्षा नहीं हासिल की जा सकती है। डिवाइस से सहचर्य, समर्पण, शीलता, विनम्रता और साहस जैसे गुणों का विकास नहीं हो सकता। अगर इन गुणों के साथ संस्कारयुक्त शिक्षा को आगे बढ़ाना है तो महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद जैसी संस्थाओं का संरक्षण अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यह विचारणीय प्रश्न है कि आजादी के 75 वर्ष बाद भी इस बात पर चर्चा करने की आवश्यकता पड़ती है कि शिक्षा का स्वरूप क्या हो। पूर्व में शिक्षा के दो ही ध्येय होते थे, लड़के के लिए नौकरी और लड़की के लिए अच्छी शादी। एक लंबे समय तक रोटी, कपड़ा और मकान ही जीवन के तीन निशान बताए गए। वास्तव में यह तीन निशान आवश्यकता हैं, जीवन की पहचान नहीं हैं। जीवन की पहचान संस्कार, व्यक्तित्व, सेवा, मेधा और समर्पण से होती है। उन्होंने कहा कि सेवा और संस्कारयुक्त शिक्षा ही भारत की पहचान रही है और यही दुनिया को दिशा देती रही है।

अच्छी बात सुनने से ही बनते हैं अच्छे विचार

सफलता हासिल करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष श्री महाना ने विद्यार्थियों को दिमाग को नियंत्रित करने के टिप्स दिए। उन्होंने कहा कि हमारी सुनने की क्षमता समाप्त होती जा रही है। हम जो सुनते हैं, वही सोचते हैं। अगर हम अच्छी बात सुनेंगे तो हमारे मन में अच्छे विचार आएंगे। जैसा सुनेंगे वैसा सोचेंगे, जैसा सोचेंगे वैसा काम करेंगे, जैसा काम करेंगे वैसा हमारा स्वभाव बनेगा और जैसा हमारा स्वभाव होगा वैसा ही चरित्र बनेगा। इसलिए दिमाग को नियंत्रित करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमारे उद्देश्य स्पष्ट और उसके लिए कार्य अनुशासनपूर्ण होने चाहिए। कहा कि ऊंचाइयों पर पहुंचना तो आसान होता है पर उसे पर बने रहने के लिए ज्यादा परिश्रम करना पड़ता है। श्री महाना ने वर्तमान में जीने, समय प्रबंधन, सेवा, दूसरे के सम्मान के साथ विद्यार्थियों को मन, कर्म व वचन में एकरूपता लाने की नसीहत भी दी।

शीलता और साहस से सीएम योगी ने किया कानून व्यवस्था को मजबूत

अपने संबोधन में विधानसभा अध्यक्ष श्री महाना ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली और उनके संरक्षण में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के कार्यों की मुक्तकंठ से सराहना की। उन्होंने कहा कि सीएम योगी ने अपनी शीलता और साहस से उत्तर प्रदेश के कानून व्यवस्था को मजबूत किया है। सीएम योगी की प्रसिद्धि विश्व भर में है।

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