Gorakhpur News: इजराइल से पहुंचे वैद्य लेविन, बोले-मानव की आरोग्यता के लिए आयुर्वेद और योग वरदान
Gorakhpur Latest News: पंचकर्म और काय चिकित्सा के विशेषज्ञ वैद्य लेविन ने मानवता की स्वास्थ्य रक्षा के लिए आयुर्वेद, योग और नाथपंथ की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि आयुर्वेद न केवल अत्यंत प्राचीन बल्कि पूरी तरह हानिरहित चिकित्सा पद्धति है।;
Gorakhpur News in Hindi: महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, आरोग्यधाम के गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) की तरफ से आयुर्वेद, योग और नाथपंथ के पारस्परिक अंतरसंबंधों को समझने के लिए आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ रविवार को हुआ। इस अवसर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित इजराइल के आयुर्वेद औषधि विशेषज्ञ एवं आयुर्वेद प्रगति संस्था के निदेशक वैद्य गुई लेविन ने कहा कि मानव की आरोग्यता के लिए आयुर्वेद और योग वरदान हैं और नाथपंथ इन दोनों के प्रसार और विस्तार में सतत अग्रणी भूमिका का निर्वहन करता रहा है।
पंचकर्म और काय चिकित्सा के विशेषज्ञ वैद्य लेविन ने मानवता की स्वास्थ्य रक्षा के लिए आयुर्वेद, योग और नाथपंथ की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि आयुर्वेद न केवल अत्यंत प्राचीन बल्कि पूरी तरह हानिरहित चिकित्सा पद्धति है। प्राचीनकाल में यह जीवनशैली का हिस्सा था, बीच के कालखंड में कुछ विस्मृत करने की कोशिश हुई लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना के आने के बाद पूरी दुनिया ने दोबारा इसके महत्व को अंगीकार किया है। उन्होंने योग की चर्चा करते हुए कहा कि यह मानव को निरोग रखने का पूर्णतः निशुल्क उपहार है। यदि कोई भी व्यक्ति योग करते हुए आयुर्वेद सम्मत जीवन अपनाए तो उसे किसी व्याधि होने की आशंका न्यूनतम हो जाती है। श्री लेविन ने कहा कि नाथपंथ से जुड़े योगियों और सिद्धों ने योग और आयुर्वेद को हमेशा ही न केवल स्वयं अपनाया बल्कि आमजन को भी इसके लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि गोरखनाथ की भूमि दिव्यता में येरुशलम जैसा प्रतीत होता है। यहां आयुर्वेद के लोग अंतराष्ट्रीय संगोष्ठी कर रहे हैं इसका दिव्यता अद्भुत है। अपनी वृत्ति को छोड़कर भारत में आकर योग और अध्यात्म को सीखकर मेरा जन्म धन्य हुआ। उसी का प्रचार प्रसार इजरायल मैं कर रहा हूं।
विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित प्रोविंशियल आयुर्वेद हास्पिटल श्रीलंका की पूर्व निदेशक डॉ. अनुला इल्लु कुम्बरी ने कहा कि प्राचीन सांस्कृतिक और आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को लेकर श्रीलंका और भारत दोनों देशों की अपनी साझा विरासत है। दूसरे विशिष्ट अतिथि श्रीलंका से आए वनौषधि वाचस्पति डॉ.. मायाराम उनियाल ने कहा कि वैद्य शब्द गुरु गोरखनाथ ने दिया है। नाथ संप्रदाय के प्रवर्तक भगवान शिव ही पारद ज्ञान के ज्ञाता हैं। वे रसशास्त्र के ज्ञाता और ज्ञान प्रदाता हैं। इस अवसर पर उन्होंने अपनी दो पुस्तकों को महायोगी गुरु गोरक्षनाथ विश्वविद्यालय, गोरखपुर के कुलपति डॉ. सुरिंदर सिंह को भेंट की।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के सलाहकार एवं भारत सरकार के पूर्व औषधि महानियंत्रक डॉ. जीएन सिंह ने कहा कि नाथपंथ ने योग और आयुर्वेद को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आयुर्वेद, योग और नाथपंथ को समाहित करते हुए आयोजित यह अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी मानव जीवन की आरोग्यता में मिल का पत्थर साबित होगी। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद, योग और नाथपंथ की आपस में एक साझा विरासत है। इस विरासत को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सपना इस महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय में साकार होता दिख रहा है।
इस अवसर पर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के रसायनशास्त्र और भैषज्य कल्पना विभाग के वरिष्ठ आचार्य डॉ. के. राम चंद्र रेड्डी ने सम्मेलन के विषय और इसकी प्रासंगिकता पर चर्चा की और आयुर्वेद के महत्व को रेखांकित किया। कार्यक्रम का शुभारंभ धन्वंतरि वंदना, सरस्वती वंदना और कुलगीत से हुआ। अतिथियों के सम्मान के बाद स्वागत संबोधन आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गिरिधर वेदांतम ने किया। इस अंताराष्ट्रीय संगोष्ठी में चार सौ अधिक प्रतिनिधियों की सहभागिता है। संगोष्ठी के पहले दिन उद्घाटन सत्र में कुलपति डॉ. सुरिंदर सिंह, कुलसचिव डॉ प्रदीप राव, आयुर्वेद कालेज के डॉ नवीन, डॉ दीपू मनोहर, डॉ विनम्र शर्मा, डॉ साध्वी नन्दन पाण्डेय, डॉ देवी और डॉ प्रिया और विभिन्न देशों से आए प्रतिनिधियों की उपस्थिति रही ।
विश्व बाजार में आयुर्वेद उत्पादों की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि : डॉ. जीएस तोमर
संगोष्ठी के प्रथम वैज्ञानिक सत्र में ‘वर्तमान स्वास्थ्य देखभाल की चुनौतियां एवं आयुर्वेद’ विषय पर जानकारी देते हुए विश्व आयुर्वेद मिशन के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) जीएस तोमर ने कहा कि कोरोना कालखण्ड में आयुर्वेद की लोकप्रियता में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है । आयुर्वेद उत्पादों की मांग यकायक विश्व बाज़ार में कई गुना हो गई है । एक ओर एण्टीबायोटिक औषधियों की मांग में कमी दर्ज की गई है वहीं दूसरी ओर व्याधिक्षमत्व या इम्युनिटी वर्धक औषधियों की मांग में बेतहाशा वृद्धि ने दवा बाज़ार को नई दिशा की ओर मोड़ दिया है । यह स्थिति केवल हमारे देश की चारदीवारी तक ही सीमित न रहकर सम्पूर्ण भूमण्डल तक व्याप्त है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेदीय उत्पादों की बढ़ती लोकप्रियता के दृष्टिगत आयुर्वेद विधा से जुड़े चिकित्सकों के साथ साथ औषधि निर्माण शालाओं का दायित्व भी चुनौतीपूर्ण हो गया है । ऐसी स्थिति में हमें सर्वप्रथम औषधियों की गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा जिससे बढ़ती हुई जन आकांक्षाओं का सम्यक समाधान हो सके। डॉ. तोमर ने कई गंभीर बीमारियों के इलाज में आयुर्वेदिक दवाओं के कारगर होने की भी विस्तार से जानकारी दी।
पूरी दुनिया दे रही आयुर्वेद के प्रयोग पर जोर : डॉ. शेखर
एक अन्य वैज्ञानिक सत्र में एसोसिएशन ऑफ आयुर्वेदा प्रोफेशनल्स ऑफ नॉर्थ अमेरिका के अध्यक्ष डॉ. शेखर अन्नमबाटला ने विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित प्रमुख स्वास्थ्य पहलुओं पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि रोगों के निदान में आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा पद्धति, दोनों की अपनी विशेषताएं हैं। उन्होंने बताया कि बदलते दौर में आज पूरी दुनिया में आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से जटिल बीमारियों के इलाज पर जोर दिया जा रहा है। डॉ. शेखर आयुर्वेदिक उपचारों और पश्चिमी चिकित्सा पद्धतियों के बीच तुलना प्रस्तुत करते हुए कहा कि दोनों पद्धतियों को एक-दूसरे के पूरक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने अपने व्याख्यान में आयुर्वेद के महत्व को रेखांकित किया और आयुर्वेद को लोकप्रिय बनाने के लिए प्रयास करने का आह्वान किया।
संपूर्ण आरोग्यता के लिए लाभकारी है भृगु योग परंपरा : डॉ. भदौरिया
संगोष्ठी के एक महत्वपूर्ण सत्र में डॉ. जयंत कुमार भदौरिया भृगु योग परंपरा का सविस्तार परिचय कराया। उन्होंने कहा कि यह योग परंपरा संपूर्ण आरोग्यता के लिए हितकारी है। डॉ. भदौरिया ने कहा कि भृगु योग परंपरा वैदिक काल के महान सप्तर्षियों में से एक भृगु ऋषि के नाम पर आधारित है। इसका लक्ष्य शरीर, मन और आत्मा का समन्वय कर ऊर्जा को जागृत करना है। इसमें शारीरिक शक्ति को बढ़ाने, मन को शांत करने, वाणी को शुद्ध और सार्थक बनाने के आयाम सम्मिलित हैं। उन्होंने कहा कि भृगु योग का अभ्यास व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आत्मिक रूप से स्वस्थ बना सकता है।
पुरुष बांझपन के इलाज में योग और होलिस्टिक चिकित्सा कारगर: डॉ. चेतन शाही
संगोष्ठी के एक अन्य वैज्ञानिक सत्र में एम्स गोरखपुर के शरीर रचना विभाग के डॉ. चेतन शाहनी ने अपने व्याख्यान में पुरुष बांझपन में योग और होलिस्टिक उपचार की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने पुरुष बांझपन के कारणों पर चर्चा की, जिसमें टेस्टिकुलर डिस्जेनेसिस सिंड्रोम (टीडीएस) शामिल है। बताया कि टीडीएस एक जटिल विकार है जो पुरुष प्रजनन प्रणाली के विकारों का समूह है। इसमें बांझपन, क्रिप्टोर्किडिज्म और टेस्टिकुलर कैंसर शामिल हो सकते हैं। डॉ. चेतन शाहनी ने कहा कि इसके निदान में योग और होलिस्टिक उपचार प्रभावी साबित हुए हैं। उन्होंने कहा कि अनुलोम-विलोम और कपालभाति जैसे प्राणायाम तनाव को कम करने और हार्मोनल संतुलन को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
शारीरिक व मानसिक विकास को बढ़ावा देता है स्वर्णप्राशन : डॉ. बीएम सिंह
एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक सत्र में बीएचयू में शिशु रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. बीएम सिंह ने शिशुओं की प्रतिरक्षा को बढ़ाने में स्वर्णप्राशन की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि स्वर्णप्राशन स्वर्ण भस्म, शहद और घी को मिलाकर जन्म संस्कार के दौरान दिया जाता है। शुद्ध स्वर्ण भस्म का कोई साइड इफेक्ट नहीं पाया गया है। शहद में प्रोटीन, शर्करा और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। घी में प्रतिरक्षा-मॉड्युलेटरी और रोगाणुरोधी गुण होते हैं। उन्होंने बताया कि स्वर्णप्राशन शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा देता है।
दूसरे दिन होगा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विशेष व्याख्यान
कई देशों के डेलीगेट्स की सहभागिता वाली अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन सोमवार (13 जनवरी) को मुख्यमंत्री एवं महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति योगी आदित्यनाथ का विशेष व्याख्यान होगा। सीएम योगी नाथपंथ की दुनिया की सर्वोच्च पीठ, गोरक्षपीठ के महंत होने के साथ योग के मर्मज्ञ भी हैं और आयुर्वेद के प्रति रुझान उन्हें नाथपंथ की विरासत में मिला है। संगोष्ठी में ‘आयुर्वेद, योग और नाथपंथ का मानवता के प्रति योगदान’ विषय पर विशेष व्याख्यान देंगे।