Gorakhpur News: 35 करोड़ कीमत की जमीन पर अवैध कब्जा कर संचालित था पेट्रोल पंप, नगर निगम ने बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया
Gorakhpur News: पेट्रोल पंप मालिक को सप्ताह भर के अंदर टंकी के पेट्रोल और डीजल को बेचकर जमीन खाली करने का निर्देश दिया गया है।
Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में खोराबार क्षेत्र में करोड़ों की बेसकीमती जमीन पर कब्जा कर संचालित हो रहे पेट्रोल पंप शुक्रवार को नगर निगम का बुलडोजर चला। करीब 35 करोड़ रुपये कीमत की संपत्ति को नगर निगम ने अपने कब्जे में ले लिया है। पेट्रोल पंप मालिक को सप्ताह भर के अंदर टंकी के पेट्रोल और डीजल को बेचकर जमीन खाली करने का निर्देश दिया गया है।
जंगल सिकरी गांव अब नगर निगम में शामिल हो रहा गया है। यहां खाता संख्या 382 में 1.81 एकड़ जमीन पर सुनील केसरवानी का कब्जा था। इस जमीन पर वह पिछले 18 साल से पेट्रोल पंप संचालित कर रहे थे। पेट्रोल पंप ग्राम सभा की जमीन पर संचालित हो रहा है, इस दावे के साथ तत्कालीन जंगल सिकरी के ग्राम प्रधान राममूरत पासवान ने अपने कार्यकाल एवं प्रधान न रहने के बाद भी कुल 18 वर्ष तक केसरवानी से ग्राम सभा की जमीन होने के नाते मुकदमा की पैरवी करते रहे।4 अप्रैल, 2013 में चकबंदी न्यायालय ने ग्राम सभा के पक्ष में निर्णय किया। विपक्षी सुनील केसरवानी उक्त फैसले के खिलाफ डीडीसी के न्यायालय में अपील किया।बीते वर्ष नवम्बर महीने में डीडीसी ने ग्राम सभा के पक्ष में निर्णय दिया। यह जमीन अब नगर निगम में शामिल हो गई है। ऐसे में शुक्रवार को नगर निगम की टीम भारी पुलिस बल के साथ जमीन को खाली कराने पहुंची। नगर निगम की टीम ने बुलडोजर चलवाकर बाउंड्री वाल तथा टीनसेड को ध्वस्त करा दिया। पेट्रोल पंप के मालिक को एक सप्ताह का समय दिया है कि वह अपना पेट्रोल पंप एवं कार्यालय हटा लें।
जहां पेट्रोल पंप चल रहा था, वह है पशुओं के चरने का स्थान
ग्राम सभा के कागजात में ग्राम सभा की जिस जमीन पर अवैध तरीके से पेट्रोल पंप संचालित हो रहा था। वह पशुओं के चरने का स्थान था। करीब पौने दो एकड़ जमीन पर सुनील केसरवानी ने पेट्रोल पंप लगवाकर कब्जा कर चारों तरफ बाउंड्री वाल एवं टीनसेड लगवा दिया था। वहीं खाली जमीन में बसें खड़ा करता था। वर्तमान पार्षद जयवन्ती देवी के पति राममुरत पासवान ने बताया कि 18 वर्षों से ग्राम सभा की जमीन का मुकदमा करके पैरवी कर रहा था। 22 नंवबर 2023 को डीडीसी न्यायालय से ग्राम सभा के पक्ष में निर्णय हो गया।