Gorakhpur News: 32 साल पहले अयोध्या में विवादित ढांचे को गिराकर भूगोल बदलने वाले कारसेवक बोले, अब मेरे राम मुक्त

Gorakhpur News: गोरखपुर शहर के बेतियाहाता निवासी शिवाजी त्रिपाठी उन चुनिंदा कारसेवकों में हैं, जो वर्ष 1989 के साथ ही 6 दिसम्बर, 1992 को अयोध्या में हुई कारसेवा के गवाह है। वर्ष 1989 में कारसेवकों पर पुलिस द्वारा चलाई गई गोली में वह बाल बाल बचे थे।

Update: 2024-01-21 17:15 GMT

Gorakhpur News (Pic:Newstrack) 

Gorakhpur News: 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचे को गिराने वाले कारसेवकों में गोरखपुर के तमाम लोग थे। अब जब अयोध्या में भव्य मंदिर में राम लला विराजमान हो रहे हैं तो इन कारसेवकों की आंखें नम है। लेकिन इन्हें सकून है कि 32 साल पहले राम मंदिर को लेकर जो कारसेवा हुई थी, उसका लक्ष्य साकार रूप में सामने है। विवादित ढांचे को गिराने में शामिल रहने वालों के साथ ही पूरे घटनाक्रम के गवाह कारसेवक कहते सुनाई दे रहे हैं कि हमारे अराध्य भगवान राम अब मुक्त हैं।

गोरखपुर शहर के बेतियाहाता निवासी शिवाजी त्रिपाठी उन चुनिंदा कारसेवकों में हैं, जो वर्ष 1989 के साथ ही 6 दिसम्बर, 1992 को अयोध्या में हुई कारसेवा के गवाह है। वर्ष 1989 में कारसेवकों पर पुलिस द्वारा चलाई गई गोली में वह बाल बाल बचे थे। वहीं 6 दिसम्बर, 1992 में विवादित ढांचे पर चढ़कर ईंट उखाड़ने वालों में वह शामिल रहे। ढांचे से ईंट उखाड़कर वह इसे सिरपर रखकर गोरखपुर पहुंचे थे। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से भावुक हुए शिवाजी कहते हैं, राममंदिर के साथ ही जिंदगी हर इच्छा पूरी हो गई।

62 की उम्र पूरी कर चुके शिवाजी त्रिपाठी आरएसएस के सक्रिय सदस्य रहे हैं। अयोध्या में छह दिसम्बर की घटना को लेकर भावुक हुए शिवाजी बताते हैं कि ‘आंध्र प्रदेश के कारसेवक बोरे में लोहे का राड और अन्य सामान लेकर पहुंचे थे। वे विवादित ढांचे की तरफ बढ़े तो मंच से नेताओं द्वारा रोका जाने लगा। इसी बीच एक ने गुबंद पर कुछ फेंका। जिसके बाद कुछ कारसेवक गुबंद पर चढ़ गए। धीरे-धीरे भीड़ बेकाबू हो गई। आधे घंटे के अंदर मैं भी विवादित ढांचे पर पहुंच गया। बाद में कुछ ईंट लेकर घर आया था।

वह बताते हैं कि ढांचा गिरने के बाद अफरातफरी मच गई। तब कटरा वाली सड़क पर पुल नहीं था। रेलवे लाइन पकड़कर नवाबगंज पहुंचा। जहां मालगाड़ी से डोमिनगढ़ पहुंचे। बेतियाहाता स्थित आवास तक ईंट को सिर पर रखकर लाया। कर्फ्यू के बाद भी किसी का कोई भय नहीं लग रहा था। शिवाजी बताते हैं कि वर्ष 1989 में कारसेवा में गया था। पुलिस की गोली मेरे शरीर के पास से निकल गई। साथ गए सरयू गौड़ घायल हो गये थे। अब भगवान राम भव्य मंदिर में विराज रहे हैं। हमारे राम मुक्त हैं। इसकी खुशी शब्दों में बयां नहीं कर सकता।

सजी संवरी अयोध्या व राममय भारत को देखकर हृदय पुलकित

भाजपा के महानगर अध्यक्ष राजेश गुप्ता महज 16 साल की उम्र में वर्ष 1990 में कारसेवा के लिए जाते वक्त गिरफ्तार हुए थे। उनके साथ तत्कालीन भाजपा विधायक शिवप्रताप शुक्ला, ओम प्रकाश पासवान आदि की भी गिरफ्तारी हुई थी। राजेश कहते हैं कि भाग्यशाली हैं कि कारसेवा में कुछ कदम बढ़ाने का मौका मिला। अयोध्या में राम मंदिर में तिनका भर ही सही भागीदार होना अच्छा लग रहा है।

मुंडेरा बजार निवासी धनंजय सिंह व रामानंद गुप्ता ‘नंदू गुप्ता’ भी वर्ष 1989 की कारसेवा में अयोध्या पहुंचे थे। धनंजय बताते हैं कि हम लोग सरयू पुल के पास पहुंचे थे। तभी गोलियों की आवाज आने लगी। पुलिस फायरिंग के साथ लाठियां भी बरस रही थीं। पुलिस द्वारा चलाई गई गोलियों की आवाज आज भी सुनाई देती है। पर आज की सजी संवरी अयोध्या व राममय भारत को देखकर हृदय पुलकित हो गया है। खुशी से आंखे छलक जाती हैं।

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