जल्द करें ये काम नहीं तो बढ़ेगा खर्च! स्टांप शुल्क में ये बड़ा बदलाव करेगी सरकार

सरकार को प्रति वर्ष 400 से 500 करोड़ रुपये अतिरिक्त आय होने का अनुमान है। शासन के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रदेश सरकार को अपने क्षेत्र के विभिन्न तरह के लिखा-पढ़ी वाले प्रपत्रों (विलेख) पर स्टांप शुल्क की दर तय करने का अधिकार है।

Update:2020-01-05 11:10 IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में लगभग दो दशक से एक ही दर पर लिए जा रहे स्टांप शुल्क लिए जा रहे हैं जिसमें अब प्रदेश सरकार वृद्धि की तैयारी करने जा रही है। दत्तक ग्रहण, शपथ पत्र, समझौता पत्र, लीज, लाइसेंस, न्यास समाप्ति आदि पर लिए जा रहे स्टांप शुल्क में ढाई से 10 गुना तक वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा स्टांप शुल्क के दायरे से बाहर लाभ वाले कई नए कार्य इसके दायरे में लाए जाएंगे।

इससे सरकार को प्रति वर्ष 400 से 500 करोड़ रुपये अतिरिक्त आय होने का अनुमान है। शासन के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रदेश सरकार को अपने क्षेत्र के विभिन्न तरह के लिखा-पढ़ी वाले प्रपत्रों (विलेख) पर स्टांप शुल्क की दर तय करने का अधिकार है। प्रदेश में 2001 से अब तक इसमें कोई संशोधन नहीं किया गया है।

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बता दें कि अब तक कई राज्य इन 20 वर्षों में कई-कई बार विभिन्न तरह के विलेखों पर स्टांप शुल्क में बदलाव कर चुके हैं। यहां लंबे समय से स्टांप शुल्क की समीक्षा न होने से कई विलेखों पर लिए जा रहे स्टांप शुल्क अनौचित्यपूर्ण व खर्च उससे अधिक हो गए हैं।

उदहारण के तौरपर, 10 रुपये के सामान्य स्टांप पत्र पर 27 रुपये का खर्च आता है। स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग ने गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक व राजस्थान के स्टांप एक्ट व बेस्ट प्रैक्टिसेज का अध्ययन कर प्रदेश के स्टांप एक्ट में बदलाव का प्रस्ताव तैयार किया है।

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अधिकारी ने बताया कि मौजूदा दरों को तर्कसंगत बनाने के साथ बौद्धिक संपदा संबंधी अधिकारों के अंतरण, संचार माध्यमों में टीवी, रेडियो, सिनेमा व केबल नेटवर्क या अन्य मीडिया साधनों में विज्ञापन संबंधी अनुबंधों व टोल प्लाजा के अनुबंध पर स्टांप देयता तय करने का प्रस्ताव है। वर्तमान में इन पर किसी तरह की स्टांप शुल्क की व्यवस्था नहीं है। अधिकारी ने बताया कि इन प्रस्तावों पर एक बार शीर्ष स्तर पर चर्चा हो चुकी है। अब एक्ट में संशोधन की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी।

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