गवर्नर राम नाईक ने कहा-स्वराज को सुराज में बदलने की जरूरत

उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी के आयोजित 1857 के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बहादुर शाह जफर के जीवन पर आधारित कार्यक्रम में गवर्नर ने कहा कि अंग्रेजों के विरूद्ध शुरू हुए स्वतंत्रता आन्दोलन के प्रथम प्रयास का नेतृत्व बहादुर शाह जफर ने किया। उस समय हिन्दुस्तानी सेना असंगठित थी तथा नेतृत्व करने वाले में अनुभव की कमी थी।

Update: 2018-12-29 13:37 GMT

लखनऊ: देश के स्वतंत्रता सेनानियों ने विकट परिस्थितियों और यातनाओं को झेला है। उनके बलिदानों के कारण ही हम स्वतंत्र भारत में सांस ले रहे हैं। उनका लक्ष्य स्वराज था। इसे सुराज में बदलने की जरूरत है। स्वतंत्रता की लड़ाई सबने मिलकर लड़ी। इसमें हिन्दू, मुस्लिम, सिख जैसा कोई भेदभाव नहीं था। एकता और सौहार्द के आधार पर भारत को फिर से विश्व गुुरू बनाने की जरूरत है।

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उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी के आयोजित 1857 के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बहादुर शाह जफर के जीवन पर आधारित कार्यक्रम में गवर्नर ने कहा कि अंग्रेजों के विरूद्ध शुरू हुए स्वतंत्रता आन्दोलन के प्रथम प्रयास का नेतृत्व बहादुर शाह जफर ने किया। उस समय हिन्दुस्तानी सेना असंगठित थी तथा नेतृत्व करने वाले में अनुभव की कमी थी। इस कारण काफी कुर्बानियां देने के बाद भी पराजय का सामना करना पड़ा। जफर के परिवार के सदस्यों को कैद कर लिया गया और अधिकांश लोगों का कत्ल कर दिया गया।

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स्वतंत्रता संग्राम में मुगल साम्राज्य के आखिरी बादशाह देशभक्त बहादुर शाह जफर की विशिष्ट भूमिका को देश कभी भुला नहीं सकता है। उनकी अन्तिम इच्छा थी कि वह अपने जीवन की अन्तिम सांस भारत में ही लें, लेकिन ऐसा सम्भव नहीं हुआ। राज्यपाल ने कहा कि अंग्रेज शासकों ने भारतीय सेनानियों के प्रति बर्बरता की सारी हदें उस समय पार कर दीं, जब बहादुर शाह जफर को लाल किले में कैद कर दिया और सुबह नाश्ते के वक्त बहादुर शाह जफर को उनके बेटों का कटा हुए सिर पेश किया।

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