GST से UP राज्य कर्मचारी कल्याण निगम संकट में, हो सकते हैं बेरोजगार

यूपी में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के साथ ही राज्य कर्मचारी कल्याण निगम के सामने संकट खड़ा हो गया है।

Update: 2017-07-02 12:31 GMT

लखनऊ: यूपी में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के साथ ही राज्य कर्मचारी कल्याण निगम के सामने संकट खड़ा हो गया है। यदि निगम को जीएसटी से छूट नहीं दी गई तो इसका अस्तित्व भी समाप्त हो सकता है। इससे यहां कार्यरत कर्मचारियों को रोजी-रोटी के लाले पड़ जाएंगे। पहले ही इसकी वजह से यूपी के 18 लाख राज्य कर्मचारी सामानों पर मिलने वाली छूट से वंचित हो गए हैं। बता दें कि देश में एक जुलाई से जीएसटी लागू हो गई है।

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वैसे भी इस समय निगम के डिपो और फैमिली बाजारों में पचास करोड़ से उपर का स्टॉक है। इसे अगर जीएसटी लगाकर बेचा जाएगा तो कई आइटम ऐसे हैं जिनका मूल्य एमआरपी से ऊपर चला जाएगा और इस तरह की ब्रिकी कानूनी रूप से वैध नहीं होगी। इसको लेकर शासन की तरफ से अब तक कोई दिशा निर्देश भी नहीं आया है।

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वर्तमान में निगम में 166 डिपो और 19 फैमिली बाजारों में लगभग 850 कर्मचारी कार्यरत हैं। अब यदि सामान बढ़े हुए मूल्य पर मिलेगा तो लाख टके का सवाल उठता है कि कर्मचारी निगम के फैमिली बाजारों से बढ़े हुए मूल्य पर सामान क्यों खरीदेंगे। राज्य कर्मचारी महासंघ ने इस संकट के समाधान के लिए आवाज उठाई है। संघ के अध्यक्ष सतीश कुमार पांडेय ने सरकार से मांग की है कि निगम के उत्पादों को जीएसटी से मुक्त रखा जाए।

पुराने स्टॉक का क्या करे निगम?

निगम के समक्ष सबसे बड़ा संकट पुराने स्टॉक को लेकर है। सुशील कुमार की सरकार से मांग है कि जो पुराना स्टॉक है उसे पुराने दाम पर ही बेचा जाए या फिर इसके लिए सरकार समुचित दिशा निर्देश जारी करे ताकि संशय की स्थिति खत्म हो। यदि कर्मचारियों को पहले की तरह (वैट मुक्त) जीएसटी में छूट नहीं दी जाती है तो कार्यरत और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को सामानों पर छूट का लाभ नहीं मिल सकेगा।

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1965 में की गई थी यूपी राज्य कर्मचारी कल्याण निगम की स्थापना

यूपी के राज्य कर्मचारियों को दैनिक उपभोग की वस्तुएं वैट कर रहित उपलब्ध कराने के लिए साल 1965 में कल्याण निगम की स्थापना की गई थी। यूपी राज्य कर्मचारी कल्याण निगम तब से आज तक लगातार राज्य कर्मचारियों, सेवानिवृत्त, मृतक आश्रित परिवार को दैनिक उपयोग की वस्तुए वैट रहित मूल्य पर उपलब्ध करा रहा था।

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बता दें कि हर जिला मुख्यालयों पर लगभग 166 डिपो हैं। बड़े शहरों में 19 फैमिली बाजार संचालित हो रहे है। कल्याण निगम बिना लाभ-हानि के कार्य कर रहा है।

इससे होने वाली आय से निगम अपने 850 कर्मचारियों को वेतन दे रहा है। सरकार से निगम को कोई वित्तीय सहायता नहीं दी जा रही है।

निगम के कर्मचारियों को नियमित रूप से वेतन भी नही मिल पा रहा है। आज भी निगम कर्मचारियों को दो साल पहले की तरह छठे वेतनमान पर भुगतान हो रहा है।

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