Gyanvapi Case Explained: ज्ञानवापी पर अभी जारी रहेगी अदालती लड़ाई, मुस्लिम पक्ष हाईकोर्ट में दायर करेगा याचिका
Gyanvapi Masjid Case Updates: मुस्लिम पक्ष भी आगे की रणनीति बनाने में जुट गया है। मुस्लिम पक्ष से जुड़े लोगों का कहना है कि इस फैसले के कानूनी पहलुओं का अध्ययन किया जा रहा है।
Gyanvapi Case News : ज्ञानवापी (what is gyanvapi case) मस्जिद-श्रृंगार गौरी मंदिर मामले में हिंदू पक्ष की बड़ी जीत के बाद अब सबकी निगाहें मुस्लिम पक्ष के अगले कदम पर हैं। वाराणसी के जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश (District Judge Ajay Krishna Vishwesh) ने इस मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए श्रृंगार गौरी मंदिर (Shringar Gauri Mandir) में दर्शन और पूजन की अनुमति की मांग करने वाली याचिका को सुनवाई योग्य ठहराया है। जिला जज के इस फैसले को हिंदू पक्ष की बड़ी जीत माना जा रहा है और उसके बाद जश्न का दौर शुरू हो चुका है।
दूसरी ओर, मुस्लिम पक्ष भी आगे की रणनीति बनाने में जुट गया है। मुस्लिम पक्ष (Muslim Side) से जुड़े लोगों का कहना है कि इस फैसले के कानूनी पहलुओं का अध्ययन किया जा रहा है। उसके बाद अगला कदम उठाया जाएगा। हालांकि, इस बीच खबर आई है कि मुस्लिम पक्ष अब इस फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती देगा। ऐसे में ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी मामले में अभी अदालती लड़ाई का अंत होता नहीं दिख रहा है।
मुस्लिम पक्ष कल दायर करेगा याचिका
इस बीच अंजुमन इंतजामिया कमेटी ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। कमेटी ने जिला जज की अदालत के फैसले पर नाखुशी जताई है। कमेटी ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने का भी ऐलान किया है। कमेटी की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि कोर्ट के आदेश की कॉपी मिलते ही मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी जाएगी।
दूसरी और हिंदू पक्ष का कहना है कि मुस्लिम पक्ष के इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने से भी कोई अंतर नहीं पड़ने वाला है। हिंदू पक्ष का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जिला जज की अदालत ने इस मामले में सुनवाई की है। इसलिए मुस्लिम पक्ष को इलाहाबाद हाईकोर्ट से भी कोई राहत मिलने की उम्मीद नहीं है।
फैसले का उल्लेखनीय बिंदु
हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन का कहना है कि जिला जज की अदालत में अपने फैसले में स्पष्ट तौर पर इस बात को माना है कि इस मामले में 1991 का प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट लागू नहीं होता है। यह फैसले का सबसे उल्लेखनीय बिंदु है क्योंकि मुस्लिम पक्ष की ओर से दलील दी गई थी कि 1991 के प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट (Place of Worship Act) के तहत इस मामले में फैसला नहीं लिया जा सकता। दरअसल, 1991 के इस महत्वपूर्ण कानून के मुताबिक 15 अगस्त 1947 से पहले जो धार्मिक स्थल जिस रूप में था, वह उसी रूप में बना रहेगा। वैसे अयोध्या के मामले को इससे अलग रखा गया था। वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी मामले में स्पष्ट कर दिया है कि यह एक्ट इस मामले में लागू नहीं किया जा सकता।
मुस्लिम पक्ष कर रहा फैसले की स्टडी
हिंदू पक्ष से जुड़े वकीलों का भी मानना है कि मुस्लिम पक्ष अभी इस मामले में आगे भी अदालती लड़ाई लड़ेगा। मुस्लिम पक्ष ने अभी खुलकर अपनी बात तो नहीं कही है मगर इस फैसलै के अध्ययन के बाद आगे का कदम उठाने की बात जरूर कही गई है। मुस्लिम पक्ष से जुड़े लोगों का मानना है कि अभी लड़ाई जल्द ही हाईकोर्ट पहुंचे जाएगी। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board) के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने फैसले के बाद अपने बयान में कहा कि हमारी लीगल टीम इस पूरे मामले का अध्ययन करेगी और फिर आगे की रणनीति बनाई जाएगी।
अब हाईकोर्ट पहुंचेगा मामला
मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा, कि '1991 के प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट के बाद यह उम्मीद जगी थी, कि अब देश में मंदिर-मस्जिद से जुड़े हुए सारे विवाद खत्म हो जाएंगे मगर इसके बावजूद यह फैसला आया है। उन्होंने कहा कि इस फैसले का पूरा ध्यान करने के बाद हम यह तय करेंगे कि आगे क्या कदम उठाना है। मुस्लिम पक्ष में है अभी खुल कर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) जाने की बात नहीं कही है, लेकिन उनके रुख से साफ हो गया है कि अभी इस मामले में अदालती लड़ाई का अंत नहीं हुआ है। जिला जज के फैसले के बाद अभी अदालती लड़ाई ऊंची अदालतों में भी जारी रहेगी।