Gyanvapi Mosque Case: ज्ञानवापी मामले में आज की सुनवाई पूरी, कल दोपहर 2 बजे आएगा फैसला
Gyanvapi Mosque Case Update: ज्ञानवापी मामले की सुनवाई आज से वाराणसी जिला जज की अदालत में होगी। अब सबकी निगाहें ज्ञानवापी मामले पर जिला जज की अदालत में होने वाली सुनवाई पर टिकी हुई हैं।
Gyanvapi Masjid: ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) विवाद मामले में आज वाराणसी की जिला कोर्ट में सुनवाई जारी है। कोर्ट में शुरुआत में मुस्लिम पक्ष की तरफ से दलीलें रखी गईं। मुस्लिम पक्ष की तरफ से अभय नाथ यादव पेश हुए। उन्होंने दीन मोहम्मद के वर्ष 1936 के केस का हवाल दिया। मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा, कि ज्ञानवापी मस्जिद में लंबे समय से नमाज पढ़ी जा रही है। इसलिए वह मस्जिद है। हाई कोर्ट ने भी मुस्लिम पक्ष के हक़ में फैसला दिया था। आज कोर्ट ने दोनों तरफ की दलीलें सुनी। जिसके बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया। यह फैसला कल यानी मंगलवार दोपहर 2 बजे आएगा।
वाराणसी कोर्ट में सुनवाई की मुख्य बातें :--
- आज वाराणसी अदालत में सुनवाई के दौरान पूर्व कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा को कोर्ट रूम में जाने से रोका गया।
- बता दें कि, कोर्ट रूम में आज की सुनवाई के दौरान सीमित लोगों को ही जाने की अनुमति मिली।
- कोर्ट में 23 लोगों को ही जाने की इजाजत मिली है। उस सूची में अजय मिश्रा का नाम नहीं था।
- आज कोर्ट ने दोनों तरफ की दलीलें सुनी। जिसके बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
- यह फैसला कल यानी मंगलवार दोपहर 2 बजे आएगा।
सुनवाई के दौरान चार याचिकाकर्ता कोर्ट में रहे मौजूद
ज्ञानवापी मामले में वाराणसी जिला अदालत में आज सुनवाई के दौरान कुल 23 लोग मौजूद थे। इनमें 5 में से 4 याचिकाकर्ता भी थे।
-कोर्ट में लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठ मौजूद रहीं।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता और पेशे से वकील अश्विनी उपाध्याय (Ashwini Upadhyay) ने ये याचिका दायर की है। अश्विनी उपाध्याय का कहना है, कि 'द प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991' काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) पर लागू नहीं होता। उन्होंने आगे कहा, कि ज्ञानवापी मस्जिद इस्लाम के सिद्धांत के हिसाब से नहीं बनी है। उस अविमुक्त क्षेत्र (Free Zone) में अनादि काल से भगवान आदि विश्वेश्वर की पूजा होती रही है। यह क्षेत्र तथा यहां की समस्त सम्पत्ति हमेशा से उनकी ही रही है।
पूरे देश में चर्चा का विषय बने ज्ञानवापी मामले (Gyanvapi Case) की सुनवाई आज से वाराणसी जिला जज की अदालत (Varanasi district judge court) में होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को सिविल कोर्ट(Civil Court) से जिला जज की अदालत में ट्रांसफर करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने अदालत को इस मामले में आठ सप्ताह में सुनवाई पूजा करने का निर्देश दिया है।
अब सबकी निगाहें ज्ञानवापी मामले पर जिला जज की अदालत में होने वाली सुनवाई पर टिकी हुई हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद ज्ञानवापी मामले (Gyanvapi Mosque Case) से जुड़े सारे दस्तावेज और फाइलें जिला जज की अदालत को सौंपी जा चुकी हैं।
दूसरी ओर काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत परिवार के मुखिया डॉ. कुलपति तिवारी ने ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग की पूजा की इजाजत देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि लंबी प्रतीक्षा के बाद बाबा मिल गए हैं तो उन्हें ऐसे छोड़ देना शिव भक्तों के लिए बेहद दुखद होगा। उनकी नियमित पूजा-अर्चना होनी चाहिए। उन्होंने इस मामले को लेकर आज याचिका दाखिल करने की भी घोषणा की है।
प्राथमिकता के आधार पर होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में ज्ञानवापी मामले की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष का कहना था कि सबसे पहले यह तय किया जाना चाहिए कि यह मामला चलाने योग्य है या नहीं। मुस्लिम पक्ष की ओर से दाखिल इस अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने जिला जज को प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई करने का आदेश दिया है। जिला जज डॉक्टर अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सबसे पहले सीपीसी के आदेश 7 नियम 11 के तहत वाद की पोषणीयता पर सुनवाई की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए 20 मई को इस मामले को सिविल जज सीनियर डिविजन की अदालत से जिला जज की अदालत को स्थानांतरित करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट में चल रही सुनवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने वजू की व्यवस्था करने और शिवलिंग के मिलने वाले स्थान को सील रखने का भी आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब जिला जज की अदालत में आज प्राथमिकता के आधार पर इस महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई शुरू होगी। मामले से जुड़े सारे दस्तावेज और फाइलें पहले ही जिला जज की अदालत को सौंपी जा चुकी हैं।
आज दायर होगी नई याचिका
उधर काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत व परिवार के मुखिया डॉ कुलपति तिवारी ने शिवलिंग के पूजन के लिए आज याचिका दाखिल करने की घोषणा की है। उन्होंने वजूखाने के भूतल में शिवलिंग होने का दावा किया है। उन्होंने नंदी के मुख के सामने के दरवाजे को खुलवाकर महादेव की पूजा करने की अनुमति देने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि शिवलिंग की नियमित पूजा किया जाना जरूरी है और इसके लिए सोमवार को याचिका दाखिल की जाएगी। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी परिसर विश्वनाथ मंदिर परिसर से अलग नहीं है बल्कि यह उसी का हिस्सा है और इसके लिए कोर्ट में याचिका दाखिल करके बाबा की पूजा-अर्चना और सफाई की अनुमति मांगी जाएगी।
न्यास परिषद की बैठक में जल्द होगी चर्चा
इस बीच श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर नागेंद्र पांडेय ने वजूखाने में मिले पत्थर के शिवलिंग होने का दावा किया है। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद में तीन दिनों तक चले सर्वे में दीवारों पर मिले सबूतों से सिद्ध होता है कि जिसे मस्जिद बताया जा रहा है वह वास्तविकता में मंदिर है।
उन्होंने कहा कि जल्द ही न्यास परिषद की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। प्रोफ़ेसर पांडेय ने कहा की ज्ञानवापी परिसर में सिर्फ ऊपरी हिस्सा ही मस्जिद के आकार का है बाकी हिस्सों से तो उसके मंदिर होने की बात ही प्रमाणित होती है। उन्होंने कहा कि सर्वे में मिली चीजों से साफ होता है कि वहां कभी मस्जिद थी ही नहीं।
उन्होंने कहा कि मस्जिद परिसर में शिवलिंग मिल चुका है और अब उनकी प्राण प्रतिष्ठा भी किया जाना जरूरी है। उन्होंने मांग की कि वजूखाने में मिले शिवलिंग की पूजा और शास्त्रोक्त विधि से उसकी प्राण प्रतिष्ठा की अनुमति दी जाए।
उन्होंने शिवलिंग को काशी विश्वनाथ न्यास परिषद को सौंपने की मांग की। प्रोफ़ेसर पांडेय ने कहा कि वे इस मामले में वादी बनने को भी तैयार हैं ताकि कोर्ट के सामने श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद का पक्ष भी पूरी मजबूती से रखा जा सके।