Gyanvapi Mosque Case: MPLBI भी लड़ेगा ज्ञानवापी की लड़ाई, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करेंगे याचिका

Gyanvapi Mosque Case: मुस्लिम पक्ष ज्ञानवापी मस्जिद को बचाने की कानूनी लड़ाई पहले से लड़ रहा है। अब इसमें मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया (MPLBI) भी कूद पड़ा।

Written By :  Rahul Singh Rajpoot
Update:2022-05-25 19:45 IST

Gyanvapi Case (फोटो: सोशल मीडिया ) 

MPLBI Gyanvapi Mosque Case : वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) को लेकर इस वक्त मुस्लिमों में काफी रोष है। मुस्लिम पक्ष मस्जिद को बचाने की कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। अब इसमें मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया (MPLBI) भी कूद पड़ा है। लखनऊ में आज एमपीएलबीआई की हुई बैठक में फैसला हुआ कि उनका संगठन ज्ञानवापी समेत अन्य मसलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में तीन याचिका दाखिल करने की तैयारी की है। जिसमें ज्ञानवापी सहित देश भर की इबादतगाहों की हिफाजत के लिये कानूनी कदम उठाए जाएंगे।

बोर्ड की बैठक में तय किया गया है कि देशभर में उत्पन्न किये जा रहे विवाद संविधान विरोधी हैं। इसके साथ ही साम्प्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने की साजिश के विरुद्ध इबादतगाह बचाओ बेदारी तहरीक भी देशभर में चलाने का निर्णय लिया हैं। बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद यूसुफ अज़ीज़ी की अध्यक्षता में हुई बैठक में देशभर में तेज़ी से उठ रहे विवादों को गहरी साजिश मानते हुए कहा कि हम हर हाल में सौहार्द बनाये रखते हुए संविधान की सीमा में अपनी इबादतगाहों की हिफाजत के लिये कानून का सहारा लेंगे।

दरगाहों व अन्य स्थलों की प्रकृति पर खतरा 

बैठक में 'प्लेसेज ऑफ वॉरशिप एक्ट 1991' (Places of Worship Act 1991) पर चर्चा करते हुए ज्ञानवापी सहित अन्य मस्जिदों पर किये जा रहे मुकदमे पर सवाल उठाए। कहा, कि 'संविधान की व्यवस्था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी बाबरी मस्जिद जजमेंट (Babri Masjid Judgment) में मान्यता दी है। उसके बाद भी निचली अदालतों से एक के बाद एक आये आदेश के बाद मुस्लिम समुदाय (Muslim community) आहत व बेचैन है। मस्जिदों, दरगाहों व अन्य स्थलों की प्रकृति व चरित्र पर खतरा मंडरा रहा है। जिसे स्वीकार करने की स्थित में हम नहीं हैं।'

सुप्रीम कोर्ट से होगी अपील 

बैठक में कहा गया कि काशी, मथुरा सहित देशभर की लगभग 50 हजार मस्जिदों को जिस तरह निशाना बनाने की बात की जा रही है, उससे संविधान और कानून के सामने बड़ी चुनौती उत्पन्न हुई है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर सभी इबादतगाहों की हिफाजत के साथ उनके चरित्र व प्रकृति को बदलने तथा किसी तरह की छेड़छाड़ से रोकने की अपील करेगा।

'इबादतगाह बचाओ' तहरीक

बोर्ड के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. मुईन अहमद खान (Dr. Moeen Ahmed Khan) ने बैठक के बाद जानकारी देते हुए कहा, 'मीटिंग में तय हुआ कि 'इबादतगाह बचाओ' तहरीक शुरू कर कौम को जागरूक किया जाएगा। साथ ही, धार्मिक सौहार्द बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर तहरीक चलाया जाएगा। जिसकी तारीखों की घोषणा 2 जून को होगी।'

खान- 2024 चुनाव के लिए उन्माद 

मुईन अहमद खान ने कहा कि '2024 की चुनावी तैयारी के लिये उन्माद पैदा करना देश विरोधी राजनीति है। '1991 का उपासना स्थल कानून' किसी धर्मस्थल के चरित्र प्रकृति को बदलने से रोकने के साथ उस पर किसी तरह के बाद या सुनवाई से भी रोकता है। यही नहीं, यह कानून मंदिर, मठ, गुरुद्वारा व चर्च सहित सभी धर्मस्थलों को समान रूप से अपना सुरक्षा कवच देता है।'

मथुरा, काशी के बाद यह सिलसिला कहां रुकेगा..

बोर्ड की तरफ से कहा गया कि संविधान, कानून के संरक्षण की जिम्मेदारी सरकार की है। धार्मिक विवाद उत्पन्न करने वालों को अराजक बताते हुए कहा, कि 'देश में धर्म के नाम पर ओछी राजनीति दुर्भाग्यपूर्ण है। मथुरा, काशी के बाद यह सिलसिला कहां जाकर रुकेगा कोई नहीं जानता। इसलिये यह आवश्यक हो गया है, कि इस विषय पर प्रधानमंत्री अपना मौन तोड़कर एकजुटता व सौहार्द के साथ संविधान संरक्षण का भरोसा दें।'

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