हाजी अली पर हाईकोर्ट के फैसले से उलेमा में हलचल, अपील का समर्थन

उलेमा ने दरगाह में महिलाओं के प्रवेश को गलत बताया है। वाजदी ने कहा कि हम इस मसअले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जाने वाले हाजी अली दरगाह प्रबंधन के साथ हैं। उन्होंने कहा कि हाजी अली की दरगाह को कुछ लोगों ने पिकनिक स्पॉट बना लिया है। जहां लोग इबादत करने कम, पिकनिक मनाने ज्यादा जाते हैं।

Update: 2016-08-26 15:30 GMT

सहारनपुर: मुंबई की हाजी की दरगाह में महिलाओं के प्रवेश को लेकर भले ही याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट से मुकदमा जीत लिया हो, लेकिन उलेमा अब भी इसके पक्ष में नहीं हैं। देवबंदी उलेमा ने साफ कहा है कि इस्लाम में महिलाओं के कब्रिस्तान जाने की मनाही है। यही नहीं, उलेमा ने कहा कि हम हाजी अली दरगाह प्रबंधन के साथ हैं और प्रबंधन को इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करनी चाहिए।

फैसले से असंतुष्ट

-हाजी अली को लेकर हाईकोर्ट के फैसले पर देवबंदी उलेमा ने कहा है कि शरीअत में महिलाओं का कब्र पर जाना जायज नहीं है।

-उलेमा ने कहा कि इस्लाम में केवल पुरुषों को कब्र पर जाने का अधिकार है।

-फतवा ऑन लाइन मोबाइल सर्विस के चैयरमेन मौलाना मुफ्ती अशरफ फारुखी ने कहा कि लंबे अर्से से हाजी अली की दरगाह पर खुराफात होती थीं।

-समाज और महिलाओं के हित में हाजी अली की दरगाह पर महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगाई गई थी।

-लेकिन कुछ लोगों ने इसे राजनीतिक मुद्दा बना लिया और हाईकोर्ट पहुंच गए, जिसने महिलाओं के पक्ष में फैसला दिया है।

जायज नहीं प्रवेश

-अल कुरआन फाउंडेशन के अध्यक्ष मौलाना नदीमुल वाजदी ने भी दरगाह में महिलाओं के प्रवेश को गलत बताया है।

-वाजदी ने कहा कि हम इस मसअले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जाने वाले हाजी अली दरगाह प्रबंधन के साथ हैं।

-उन्होंने कहा कि हाजी अली की दरगाह को कुछ लोगों ने पिकनिक स्पॉट बना लिया है। जहां लोग इबादत करने कम, पिकनिक मनाने ज्यादा जाते हैं।

-उन्होंने सवाल किया कि अगर इस गलती को रोकने के लिए दरगाह प्रबंधन कोर्ट में जाता है तो क्या गलत है।

-हालांकि, संस्था के प्रवक्ता अशरफ उस्मानी ने यह कह कर टिप्पणी से इनकार किया कि यह मसअला दारुल इफ्ता यानी आधिकारिक फैसले लेने वाले विभाग से जुड़ा है।

-लेकिन, हाजी अली की दरगाह में महिलाओं के प्रवेश को लेकर विश्वविख्यात इस्लामिक संस्था दारुल उलूम देवबंद में हलचल है।

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