Hapur News: किसान को बेची जा रही नकली डीएपी, महज 500 रुपये में मिली 1350 वाली डीएपी
Hapur News: विभाग द्वारा छापा मारकर नकली डीएपी बिक्री करने वालों के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज कराई गई है, लेकिन नकली डीएपी की बिक्री नहीं रुक पा रही है।
Hapur News: दिन रात गर्मी सर्दी में कड़ी मेहनत करके अन्न उगाने वाले अन्नदाता को कभी प्रकृति का दंश झेलना पड़ता है तो कभी नीचे बैठे सिस्टम के अधिकारियों की लापरवाही के कारण खून के आंसू रोना पड़ता है। इसी कड़ी में कृषि विभाग द्वारा मारे गए छापे के दौरान एक नई बात निकलकर सामने आई है। जिले में नकली डीएपी की बिक्री का मामला कई बार सामने आया है। इसमें विभाग द्वारा छापा मारकर नकली डीएपी बिक्री करने वालों के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज कराई गई है, लेकिन नकली डीएपी की बिक्री नहीं रुक पा रही है। कृषि विभाग द्वारा कुचेसर चौपला स्थित एक दुकान पर छापा मारकर 20 कट्टे डीएपी पकड़ी गई थी। इसमें विक्रेता डीएपी का बिल नहीं दिखा पाया था।इसके बाद विभाग ने जांच के लिए नमूने लेकर कट्टो को सील कर दिया था।
500 रुपये में खरीदी थी डीएपी
रविवार की दोपहर एक पिकअप गाड़ी दुकान के आगे आकर रुकी थी। दुकान पर बैठे एक किसान ने बताया कि उक्त गाड़ी दिल्ली लखनऊ हाईवे के पुराने रास्ते से आई थी तथा वहां पहुंचे चालक ने अपने को धीरखेड़ा आद्यौगिक क्षेत्र से आना बताया था। उक्त चालक ने दुकानदार से 500 रुपये में डीएपी का कट्टा देने की बात कही। इसके बाद वहां 20 कट्टे उतार दिए गए। जानकारी के अनुसार उक्त गाड़ी में करीब 60 से अधिक कट्टे भरे हुए थे, जबकि गाड़ी का काफी हिस्सा खाली भी था। ऐसे में पूर्ण संभावना है कि 500 रुपये में बेची गई डीएपी नकली हो सकती है तथा इसकी जिले में धडल्ले से सप्लाई की जा रही है।
सीसीटीवी खोल सकता है राज
यदि इस मामले में अधिकारी गहराई से खोज करते हुए रास्ते में लगे सीसीटीवी को खंगाले तो उक्त गाड़ी का नंबर आसानी से प्राप्त हो जाएगा। इसके बाद जहां डीएपी तैयार की जा रही है, वहां तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। वहीं जिले में नकली डीएपी बिक्री करने वाले दुकानदारों की पहचान भी उजागर हो जाएगी। इससे आने वाले समय में इस धंधे से जुड़े लोगों की कमर टूट जाएगी तथा किसान भी लूटने से बच जाएगा।
एक कट्टे पर 850 रुपये की कमाई
सरकारी गोदाम पर डीएपी की कीमत 1350 रुपये है। ऐसे में सीधे तौर पर एक कट्टे पर 850 रुपये का मुनाफा कमाया जा रहा है। वहीं अन्नदाता इस तरह का डीएपी डालकर फसल के अच्छे होने की उम्मीद लगा बैठता है। इसके अतिरिक्त सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिस कंपनी की यह डीएपी सप्लाई की गई है, उसकी खेप जिले में पिछले एक वर्ष से नहीं आई है। ऐसे में पूर्ण संभावना है कि कंपनी के बोरों में नकली डीएपी का खेल खेला जा रहा है।
क्या बोले जिम्मेदार अधिकारी
जिला कृषि अधिकारी डॉ मनोज कुमार नें बताया कि डीएपी बेचने का लाइसेंस दुकानदार के पास है, लेकिन वह बिल अथवा अथारिटी लैटर उपलब्ध नहीं करा पाया है। जांच के लिए नमूने संग्रहित कर लिए गए हैं तथा दुकानदार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया है। वहीं उर्वरक का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है। जो तथ्य निकलकर सामने आ रहे उन पर भी जांच कराई जाएगी। वहीं नमूनों की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही डीएपी की गुणवत्ता का पता चल सकेगा।