Hapur News: 80 हजार की लागत से बना रावण और कुभकरण का पुतला, मगर आज नहीं होगा दहन, जानें कारण
Hapur News: रामलीला समिति के महामंत्री विनोद वर्मा ने बताया कि मेले में रावण का पुतला 65 फुट, कुंभकरण का 60 फुट और मेघनाद का पुतला 55 फुट ऊंचा होगा। जिसमें आतिशबाजी भी लगाई गई है।
Hapur News: यूपी के जनपद हापुड़ के नगर के रामलीला मैदान में विजयदशमी की तैयारियां लगभग पूर्ण हो चुकी हैं। हर वर्ष की तरह ही इस वर्ष भी 65 फुट ऊंचे रावण के पुतले के दहन की तैयारी है। मैदान में रावण, कुंभकरण और मेघनाथ का पुतला तैयार कर खड़ा कर दिया गया है। जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ लगी है। पुतले लोगों में आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
सोमवार की तड़के होगा पुतले का दहन
रामलीला समिति के महामंत्री विनोद वर्मा ने बताया कि मेले में रावण का पुतला 65 फुट, कुंभकरण का 60 फुट और मेघनाद का पुतला 55 फुट ऊंचा होगा। जिसमें आतिशबाजी भी लगाई गई है। उन्होंने बताया कि पुतलों को बनाने में लगभग एक लाख 80 हजार रुपये की लागत आई है। यह पुतले रामपुर के कारीगरों द्वारा तैयार कराए गए हैं। पुतलों का दहन भगवान श्रीराम का किरदार निभा रहे कलाकार द्वारा तीर मारकर सोमवार तड़के सुबह चार बजे किया जाएगा। इस दौरान आतिशबाजी भी की जाएगी। जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगी। मेले में रावण का पुतला दर्शकों में खास आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। बता दें कि नगर में रामलीला का मंचन पिछले कई वर्षों से किया जा रहा है। जिसमें नगर और आसपास के गांवों के लाखों लोग पूरी रात शिरकत करते हैं। पूरे देश में एक हापुड़ नगर ही ऐसा है, जहां पुतलों का दहन विजय दशमी के अगले दिन तड़के सुबह चार बजे किया जाता है।
इस कारण होता है अगले दिन पुतलों का दहन
हापुड़ में रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतलों का दहन दशहरा से अगले दिन कई दशक पहले से ही किया जाता है। इसका मुख्य कारण यह है कि हापुड़ की रामलीला मंचन शुरू से ही बेहद प्रसिद्ध रही है। यहां पर हापुड़, आस-पास के गांवों के साथ-साथ बुलंदशहर, मेरठ समेत आस-पास के जिलों से लोग देखने के लिए पहुंचते थे। रामलीला समिति के प्रधान बताते हैं कि एक जमाना था कि लोग बुग्गियों से रामलीला का मंचन और पुतलों का दहन देखने के लिए यहां पहुंचते थे। जिसके चलते रामलीला मैदान से मेरठ रोड समेत आस-पास की सड़कों के किनारे बुग्गियां ही बुग्गियां दिखाई देती थीं। ऐसे में कई बार लोग देरी से भी पहुंचते थे, जिसके चलते वह पुतला दहन नहीं देख पाते थे। सभी लोग पुतलों का दहन देख सकें, इसके लिए अगले दिन सुबह चार बजे पुतलों का दहन किया जाता है। यह केवल हापुड़ में ही देखने को मिलता है।