Hapur News: अब किसान जमीन के कागजात लेकर आएंगे, तब मिलेगी यूरिया खाद, गाइडलाइन जारी

Hapur News: जिला अधिकारी प्रेरणा शर्मा नें बताया कि बिना आधार कार्ड और जमीन के कागजात के यूरिया की बिक्री नहीं की जाएगी। यह मामला पिछले दिनों किसान दिवस पर भी उठाया गया था।

Report :  Avnish Pal
Update: 2024-08-05 08:10 GMT

यूरिया खाद (Pic: Newstrack)

Hapur News: यूरिया का दुरुपयोग बढ़ता जा रहा है। एक ओर जहां किसान जरुरत से तीन-चार गुना यूरिया का प्रयोग कर रहे हैं, वहीं अवैध रूप से औद्योगिक क्षेत्र में यूरिया का प्रयोग किया जा रहा है। यूरिया पर सरकार की बड़े स्तर पर सब्सिडी है। वहीं, खेतों में जरूरत से ज्यादा यूरिया का प्रयोग होने से जमीन की आणविक संरचना गड़बड़ा रही है। इससे एक ओर जहां सरकार को राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है, वहीं खेत व पैदावार पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इसको लेकर शासन ने अब रिकार्ड के साथ यूरिया देना आरंभ किया है। इसमें जिस व्यक्ति का अनुदानित यूरिया चाहिए, उसको अपनी जमीन के कागजात के साथ ही आधार कार्ड की छाया प्रति देनी होगी। वहीं उर्वरक विक्रेता के सामने स्वयं उपस्थित होना होगा। नई व्यवस्था तत्काल आरंभ कर दी गई है। इससे ऐसे किसानों को परेशानी हो रही है, जो ठेके पर जमीन लेकर खेती करते हैं या उनके परिजन कहीं पर बाहर रहते हैं।

यह है आज की स्थिति

फसलों में यूरिया का प्रयोग हरित क्रांति के दौर में शुरू हुआ था। उस समय किसान गोबर की खाद से खेती करते थे। यूरिया का प्रयोग करने को वह तैयार नहीं थे। शासन-प्रशासन ने किसानों को समझाकर यूरिया का प्रयोग कराया। उस समय खेतों में कार्बनिक तत्व की मात्रा भरपूर थी, लेकिन नाइट्रोजन की कमी थी। ऐसे में यूरिया का प्रयोग होते ही पैदावार में एकाएक बढ़ोतरी होने लगी। इससे प्रभावित होकर किसान यूरिया पर आधारित खेती करने लगे। स्थिति यह है कि किसान फसलों में यूरिया का धड़ल्ले से प्रयोग कर रहे हैं।

मानक से ज्यादा किया जा रहा है प्रयोग

ज्यादा पैदावार की चाह में किसान मानक से कई गुना ज्यादा यूरिया का प्रयोग कर रहे हैं। इसके चलते पैदावार के साथ ही जमीन को भी नुकसान हो रहा है। नाइट्रोजन की मात्रा ज्यादा होने से इसका प्रभाव पैदावार में आ रहा है। वहीं जमीन में रिसने के कारण इससे भूजल भी विषाक्त हो रहा है। यूरिया का ज्यादा प्रयोग होने से खेतों की जमीन की आणविक संरचना गड़बड़ा रही है। इससे मिट्टी में जलसंचय की क्षमता कम होती जा रही है। किसानों ने सूक्ष्म रसायनों का प्रयोग करना बंद कर दिया है। मिट्टी की जांच कराए बिना ही वह धड़ल्ले से यूरिया का प्रयोग कर रहे हैं।

सरकार को राजस्व का हो रहा नुकसान

यूरिया पर सरकार को बड़ी स्तर पर सब्सीडी देनी पड़ रही है। स्थिति यह है कि यूरिया किसानों को 270 रुपया प्रति बोरा दिया जा रहा है। जबकि एक बोरा यूरिया पर 1970 रुपये की सब्सीडी सरकार को देनी पड़ रही है। ऐसे में अधिक यूरिया लगाने से एक ओर जहां मिट्टी व पैदावार को नुकसान हो रहा है, वहीं सरकार को भी बड़ा बजट राजस्व पर खर्च करना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि उद्योगों में भी अनुदान पर मिलने वाले यूरिया का प्रयोग किया जा रहा है। जबकि यह प्रतिबंधित है। उद्योगों के लिए बिना अनुदान वाला यूरिया प्रयोग करने के निर्देश हैं। महंगा होने के कारण कालाबाजारी करके अनुदानित यूरिया को ही प्लाई बोर्ड, मुर्गीदाना, पशुचारा और प्लास्टिक के उद्योगों में प्रयोग किया जा रहा है।

अब आधार कार्ड दिखाना होगा अनिवार्य

शासन ने अब बिना आधार कार्ड व जमीन के कागजात के यूरिया की बिक्री पर रोक लगा दी है। वहीं यूरिया खरीदने वालों के थंब भी लगाए जाएंगे। जिससे यूरिया लेने वाले ऐसे किसानों को खुद दुकान पर जाना होगा, जिनके नाम पर जमीन है। इसके बिना दुकानदार यूरिया की बिक्री नहीं कर पाएंगे। अधिकारियों को यूरिया की बिक्री का रिकार्ड नियमित रूप से जांचने के आदेश दिए गए हैं। इससे ऐसे किसानों के सामने परेशानी आ गई है, जिनके स्वजन कहीं बाहर रहते हैं और उनकी जमीन पर परिवार के लोग खेती करते हैं। वहीं, बाहर रहने वाले किसानों की जमीन को ठेके पर लेकर खेती करने वालों को भी परेशानी हो रही है।

क्या बोलीं जनपद की डीएम?

जिला अधिकारी प्रेरणा शर्मा नें बताया कि बिना आधार कार्ड और जमीन के कागजात के यूरिया की बिक्री नहीं की जाएगी। यह मामला पिछले दिनों किसान दिवस पर भी उठाया गया था। किसान चाहते थे कि उनको बिना आधार कार्ड व जरूरी कागजात के यूरिया खरीद की अनुमति दे दी जाए। यह पालिसी मेटर है, ऐसे में किसानों को जरूरी कागजात दिखाने ही होंगे। वहीं यूरिया के अत्यधिक प्रयाेग को रोकने के लिए भी यह सही कदम है।

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