Hapur News: तीर्थनगरी में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए लाखों लोगों ने किया दीपदान

Hapur News: रविवार की शाम सूर्यास्त होते ही खादर क्षेत्र ओऱ ब्रजघाट में श्रद्धालु दीपदान के लिए घाट पर पहुँच गए और नम आँखों से दीपदान का सिलसिला शुरू हो गया, जो कि देर रात तक जारी रहा।

Report :  Avnish Pal
Update:2023-11-27 11:38 IST
दीपदान करते हुए (Newstrack)

Hapur News: कार्तिक पूर्णिमा के पावन पर्व पर खादर के कच्चे घाटों और तीर्थंनगरी के ब्रजघाट स्थित गंगा घाट दीपों की रोशनी में जगमगा उठा। यहाँ दीपदान का सिलसिला शुरू होते ही गंगा का किनारा ऐसा लगने लगा जैसे आकाश से तारें उतर आए हो। यह सिलसिला काफी देर तक चला ओऱ महाभारत काल से चली आ रही इस परंपरा के तहत लाखों श्रद्धालुओं ने नम आंखों से पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए दीये जलाकर गंगा की जल धारा में प्रवाहित किए।

भगवान श्रीकृष्ण ने की थी दीपदान की शुरुआत

पूर्वजों की मानें तो महाभारत युद्ध मे मारे गए हज़ारों सैनिक और अंसख्य योद्धाओं की आत्मा की शांति के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों की मौजूदगी में सर्वप्रथम चुतदर्शी को दीपदान किया था। तब से परंपरा चली आ रही है। रविवार की शाम सूर्यास्त होते ही खादर क्षेत्र ओऱ ब्रजघाट में श्रद्धालु दीपदान के लिए घाट पर पहुँच गए और नम आँखों से दीपदान का सिलसिला शुरू हो गया, जो कि देर रात तक जारी रहा। अपने सगे सबंधी और परिजनों से बिछड़े लोगों को याद कर लोगों की आँख भर आईं। इस परंपरा को निभाते वक्त गंगा घाट आसमान के तारों जैसा दिखाई देने लगा।कुछ श्रद्धालु वाहनों के न मिलने के कारण सूर्य अस्त होने के काफी देर बाद गंगाघाट पँहुच गए। इसके बाद दीपदान किया।


वही, आने वाले श्रद्धालुओं ने दीपदान के बाद पुरोहितों को वस्त्र, अन्न एवं दान पुण्य भी किया। पुरोहितों के अनुसार महाभारत काल से चली आ रही इस परंपरा के निर्वहन को काफी श्रद्धालु पहुँचे है। इनके लिए गंगा घाटों पर सफाई व प्रकाश की भी व्यवस्था रही। इन श्रद्धालुओं को दीपों के लिए इधर उधर नही भटकना पड़ा। इसके लिए घाटों पर दीप व गंगा पूजन की सामग्री बेचने वाले घूमते मिले।  

Tags:    

Similar News