Hapur News: तापमान ने बिगाड़ी धान बोआई की चाल, घट गया क्षेत्रफल

Hapur News: पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार करीब एक हजार हेक्टेयर कम रोपाई हुई। तापमान से धान की पौध बेकार हुई है।

Report :  Avnish Pal
Update: 2024-07-14 07:04 GMT

Hapur News (Pic: Newstrack)

Hapur News: इस वर्ष बढ़ा तापमान धान किसानों के लिए मुसीबत बन गया। परिणाम स्वरुप पिछले वर्ष के मुकाबले धान के क्षेत्रफल में करीब एक हजार हेक्टेयर की कमी देखने को मिली है। हालांकि इसका सुखद पहलू यह है कि धान में पानी अधिक लगने के कारण भूगर्भीय जलस्तर को संवारने में थोड़ी मदद मिलने की संभावना बढ़ गई है।

बढ़ते तापमान ने बीगाड़ा खेल

पिछले तीन वर्षो में धान की खेती करने वाले किसानों की संख्या में लगातार बढोत्तरी देखने को मिली है, लेकिन इस वर्ष भीषण गर्मी के कारण धान की पौध खराब हो गई। जिसके कारण इसका सीधा असर धान के क्षेत्रफल पर पड़ा है। पिछले तीन चार वर्षों का आंकलन करें तो इस वर्ष करीब एक हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की बोआई कम की गई है। धान की फसल रोपाई के 100 दिनों के अंदर कट जाती है तथा उत्पादन भी अधिकतम चार क्विंटल प्रति बीघा तक हो जाता है। ऐसे में पिछले कुछ वर्षो में किसानों का रुख इस फसल की तरफ हुआ, लेकिन सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि बेमौसम रोपाई की गई धान की फसल को अन्य फसलों के मुकाबले पानी की सर्वाधिक आवश्यकता होती है। जिसके कारण इसका प्रभाव भूगर्भीय जलस्तर पर पड़ा जो लगातार नीचे जाता रहा।

दुखद पहलु

गिरते भूगर्भीय जलस्तर के कारण जिले के तीन ब्लाक हापुड़, गढ़ तथा सिंभावली ब्लाक डार्क जोन में पहुंच चुके हैं। उप जिला कृषि अधिकारी पवन कुमार सैनी ने बताया कि धान की फसल को मिट्टी के अनुसार रेतीली में अधिक, दोमट में कम पानी की आवश्यकता होती है।उन्होंने बताया कि एक किलो धान पैदा करने के लिए तीन से पांच हजार लीटर पानी की आवश्यकता होती है। विशेषकर बेमौसम रोपाई की जाने वाली धान की फसल भूगर्भीय जल स्तर के लिए सबसे बड़ा खतरा होती है।

सुखद पहलु

धान की फसल को पानी की सर्वाधिक आवश्कता होती है। ऐसे में करीब एक हजार हेक्टेयर बोआई कम हाेने से पानी का दोहन कम होगा, जो गिरते भूगर्भीय जल स्तर को मदद मिलेगी, जो इसका सुखद पहलु है। उप जिला कृषि अधिकारी पवन कुमार सैनी नें बताया कि इस वर्ष तापमान के कारण धान की पौध में अधिक खराबी आई है। जिसके कारण इस वर्ष धान के क्षेत्रफल में गिरावट दिखाई दे रही है।

चार वर्ष की स्थिति हेक्टेयर में, उत्पादन टन में

वर्ष - प्रस्तावित - वास्तविक - उत्पादन

2021- 22 - 20844 - 20464 - 54700

2022- 23 - 20224 - 20673 - 49698

2023- 24 - 20963 - 20641 - 52738

2024- 25 - 20432 - 19250 - ----

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