Hardoi News: मक्खियों से परेशान हरदोई के 10 गांव, कई के रिश्ते खतरे में, बहुएं मायके में, शादियों में अड़चन
Hardoi News: इस मामले को लेकर किसान यूनियन ने कई बार धरना प्रदर्शन किया। कई बार प्रशासन ने उनको सांत्वना दी लेकिन हाल वही हैं जैसे पहले थे।
Hardoi News: जिले के अहिरोरी ब्लाक के 10 गांव के लोग मक्खियों का प्रकोप झेल रहे हैं जबकि शासन प्रशासन लाचार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वच्छता व स्वास्थ्य मिशन इन गांवों में पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है, यहां मक्खियां लोगों के रिश्ते पर तलवार लेकर खड़ी हैं, कई बहुएं मायके लौट गईं, कई लड़कों की शादियां नहीं हो रहीं, कारण सिर्फ एक ही गांव में इतनी मक्खियां हैं कि बैठना, उठना, खाना-पीना मुश्किल हो गया है।
थाना बेनीगंज और ब्लाक अहिरोरी में आने वाले 10 गांव बढईयांपुरवा, कुईया, पट्टी, डही, सलेमपुर, फतेहपुर, झाल पुरवा, नया गांव, देवरिया और एकघरा ऐसे गांव हैं जहां मक्खियों का आतंक है। सबसे ज्यादा आतंक बढ़ियइन पुरवा में है जहां हमारे संवाददाता ने ग्राउंड जीरो से रिपोर्ट की।
आज से 3 साल पहले प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कर कमलों द्वारा एक पोल्ट्री फार्म मेन रोड पर खुला था, जिसको लेकर लगातार गांव के लोग आवाज उठा रहे हैं कि वहां की गंदगी की वजह से मक्खियों ने आसपास के कई गांवों में जीना हराम कर रखा है, इस मामले को लेकर किसान यूनियन ने कई बार धरना प्रदर्शन किया। कई बार प्रशासन ने उनको सांत्वना दी लेकिन हाल वही हैं जैसे पहले थे।
हर घर में मरीज
बढ़ईइन पुरवा गांव में जैसे ही हमारे संवाददाता अंदर गए मक्खियां अपना आतंक फैलाए थीं ऐसे में रिपोर्टिंग करना मुश्किल था। इस गांव में काफी सफाई दिखी लेकिन हर घर में मरीज भी दिखे, कुछ बच्चियों ने कहा कि उनकी पढ़ाई लिखाई मुश्किल है, खाना-पीना मुश्किल है, रात में सोना मुश्किल है।
कुछ अधेड़ हो चले युवकों का कहना है कि जब रिश्ते के लिए कोई यहां आता है तो उसके मक्खियां इतनी चिपक जाती हैं, इससे वह रिश्ता तो दूर, कुछ खाता पीता भी नहीं है और यह कह कर चला जाता है कि तुम्हारे गांव में कौन रहेगा। गांव की कई महिलाओं ने यह भी कहा कि उनके बेटों की शादी के रिश्ते नहीं आते, लोग आते हैं लेकिन उनका कहना है कि तुम्हारे गांव में इतनी मक्खियां है यहां मेरी लड़की नहीं रह सकती और चले जाते हैं। एक बहू भी मिली जो अपना झोला उठाये अपने मायके जा रही थी उसका कहना था इस गांव में वह नहीं रहेंगी, जब मक्खियां चली जाएंगे तब यहां रहेंगे।