योगी और मौर्या की नियुक्ति को चुनौती का मामला, हाईकोर्ट ने मांगा केंद्र और राज्य सरकार से जवाब

याचिका में कहा गया है कि एक सांसद राज्य सरकार का मंत्री नहीं हो सकता तथा यह संविधान के अनुच्छेद- 101(2) का उल्लंघन है। कहा गया कि योगी व मौर्या सांसद का पद धारण कर रहे हैं, लिहाजा दोनों की नियुक्ति को शून्य घोषित किया जाए।

Update:2017-05-25 03:39 IST
21 और 22 फरवरी को अधिवक्ताओं की गैर मौजूदगी में नहीं होगा प्रतिकूल आदेश 

लखनऊ: हाईकोर्ट ने योगी आदित्यनाथ व केशव प्रसाद मौर्या के लोक सभा सदस्य रहते हुए मुख्यमंत्री व उप मुख्यमंत्री का पद धारण करने को असंवैधानिक बताने वाली एक याचिका पर केंद्र व राज्य सरकार को चार हफ्ते में प्रतिशपथ पत्र दाखिल करने का आदेश दिया है ताकि इस बिंदु को अंतिम रूप से निस्तारित किया जा सके।

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इससे पूर्व कोर्ट ने भारत के अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी किया था जिसके अनुक्रम में अडीशनल सालिसिटर जनरल अशोक मेहता व महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह कोर्ट में हाजिर हुए जिस पर कोर्ट ने उन्हें जवाब दालिख करने का निर्देश दे दिया।

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नियुक्ति को चुनौती

यह आदेश जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस वीरेंद्र कुमार (द्वितीय) की बेंच ने संजय शर्मा की ओर से दाखिल एक पीआईएल पर पारित किया। याचिका में कहा गया है कि एक सांसद राज्य सरकार का मंत्री नहीं हो सकता तथा यह संविधान के अनुच्छेद- 101(2) का उल्लंघन है। कहा गया कि योगी व मौर्या सांसद का पद धारण कर रहे हैं, लिहाजा दोनों की नियुक्ति को शून्य घोषित किया जाए।

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याचिका में दोनों नेताओं के संसदीय क्षेत्र को भी रिक्त घोषित करने की मांग की गई है। इसके साथ ही याचिका में प्रिवेंशन ऑफ डिस-क्वालिफिकेशन एक्ट की धारा- 3ए की संवैधानिकता को भी चुनौती दी गई है। संवैधानिकता को चुनौती देने के कारण कोर्ट ने उक्त विषय पर भारत सरकार का पक्ष जानने के अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी करने का आदेश दिया था। मामले की अग्रिम सुनवाई छः हफ्ते बाद होगी।

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