लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने शुक्रवार को यूपी सरकार से सीएस आलोक रंजन को 31 मार्च को तीन माह के मिले सेवा विस्तार के लिए केन्द्र को भेजा पत्र 8 अप्रैल तक जमा करने को कहा है ।
सोशल एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर ने सीएस आलोक रंजन को मिले तीन महीने के सेवा विस्तार को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में चुनौती दी थी। जस्टिस एपी शाही और जस्टिस एआर मसूदी की बेंच ने राज्य सरकार को यह सूचना अगली सुनवाई की तिथि 08 अप्रैल तक प्रस्तुत करने को कहा है।
इस प्रपत्र में अन्य अधिकारियों की उपलब्धता, इस संबंध में किये गए प्रयास, सेवा विस्तार बढ़ाने के औचित्य और सम्बंधित अफसर की सत्यनिष्ठा आदि के संबंध में सूचना दी जाती है।
नूतन ने याचिका में कहा था कि आईएएस अफसरों की सेवा नियमावली के अनुसार राज्य के मुख्य सचिव को केंद्र सरकार की पूर्वानुमति से 6 माह के सेवा विस्तार का प्रावधान है लेकिन ऐसा विशेष योग्यता वाले अफसरों को ही दिया जा सकता है जबकि श्री रंजन जस्टिस आरआर मिश्रा आयोग रिपोर्ट में 2002 से 2007 के बीच नाफेड के एमडी के रूप में गलत तरीके से 5000 करोड़ रुपये का गैर-कृषि ऋण देने और इस प्रक्रिया में 1600 करोड़ का नुकसान पहुंचाने, कृषि ऋण मुंबई में माल ख़रीदे जाने और एम एफ हुसैन की पेंटिंग ख़रीदे जाने जैसे कामों के दोषी पाए गए थे। इस मामले में उनपर सीबीआई ने दो मुकदमें भी किये थे।