इलाहाबाद: प्रयाग में जनवरी 2019 से लगने वाले अर्धकुम्भ मेला की तैयारी में सरकारी तंत्र के लचर रवैया पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगा है। अर्धकुम्भ मेला की तैयारी को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश डी.बी. भोसले व न्यायमूर्ति एम.के गुप्ता ने प्रदेश सरकार से हलफनामा के मार्फत पूछा, कि वह बताए मेला के लिए कब और कितना बजट आ रहा है और सरकार इस पैसे को कैसे खर्च करेगी। कोर्ट याचिका पर छह सितम्बर को सुनवाई करेगी।
जनहित याचिका इलाहाबाद के श्रीकांत त्रिपाठी ने दायर की है। याचिका में कहा गया है, कि अर्धकुम्भ नजदीक है। नवम्बर 2018 तक सभी विभागों के काम पूरे होने हैं। परन्तु अभी तक न तो बजट का पता चल रहा है और न ही किसी भी प्रकार का शहर में कोई काम ही शुरू हुआ।
100 करोड़ से भी अधिक तीर्थयात्रियों के आने की उम्मीद
याचिका पर बहस कर रहे अधिवक्ता अशोक पाण्डेय व रामानन्द पाण्डेय ने कोर्ट को बताया कि जिला प्रशासन इस वर्ष व अगले वर्ष 2018 में चार माह तक वर्षांत व बाढ़ राहत आदि में जुटा रहेगा। ऐसे में अर्धकुम्भ की तैयारी के लिए एक वर्ष से भी कम का समय शेष रह गया है। प्रदेश सरकार के ढीले रवैया के चलते प्रशासन कान में तेल डालकर बैठा है और किसी भी प्रकार का कोई काम नहीं हो रहा है। बहस की गई थी, कि पिछले अर्धकुम्भ में 52 करोड़ से भी अधिक देश-विदेश के तीर्थयात्री आए थे। अगले अर्धकुम्भ में 100 करोड़ से भी अधिक तीर्थयात्रियों के आने की उम्मीद है।
हो एक्सपर्ट कमेटी का गठन
याचिका दायर कर मांग की गई है कि अर्धकुम्भ मेले की तैयारियों को लेकर कोर्ट एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन करे ताकि कामों में पारदर्शिता का सही आंकलन हो सके। मांग यह भी की गयी है कि नवम्बर 2018 तक अर्धकुम्भ मेले की सारी तैयारियां पूरी कर ली जाय। कोर्ट ने अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार से कहा कि वह आवंटित बजट का ब्यौरा व उसके खर्च करने के मदों का विवरण कोर्ट में प्रस्तुत करे।