UP News: पति-पत्नी के एक ही जिले में तैनाती पर हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला, बेसिक शिक्षा बोर्ड को दिया यह आदेश

UP News: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने कहा कि पति-पत्नी दोनों के सरकारी नौकरी में होने की स्थिति में उनकी एक ही स्थान पर तैनाती पर विचार किया जा सकता है, लेकिन यह कोई उनका अनिवार्य अधिकार नहीं है।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update: 2023-12-09 06:37 GMT

transfer policy husband and wife teachers of basic schools  (photo: social media )

UP News: बेसिक शिक्षा विभाग के ट्रांसफर नीति के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले सैंकड़ों सहायक अध्यापकों को झटका लगा है। अदालत ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार की ट्रांसफर नीति में दखल देने से इनकार कर दिया है। साथ ही कोर्ट ने सरकारी सेवा में कार्यरत पति-पत्नी के एक ही जिले में तैनाती पर भी बड़ा फैसला सुनाया है।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने कहा कि पति-पत्नी दोनों के सरकारी नौकरी में होने की स्थिति में उनकी एक ही स्थान पर तैनाती पर विचार किया जा सकता है, लेकिन यह कोई उनका अनिवार्य अधिकार नहीं है। पति-पत्नी की एक जगह पर तैनाती तभी संभव है, जबकि इससे प्रशासनिक आवश्यकताओं को कोई हानि नहीं पहुंच रही हो।

बेसिक शिक्षा बोर्ड को दिया यह आदेश

जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की एकल पीठ ने सरकारी की ट्रांसफर नीति को पाक - साफ करार देते हुए कहा कि इसमें कोई अनियमितता या अवैधता नहीं है। अदालत ने यह भी साफ किया कि अनुच्छेद 226 की शक्तियों का इस्तेमाल हुए सरकार या बोर्ड को नीति बनाने का आदेश नहीं दिया जा सकता और न ही पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को सरकारी सेवा में कार्यरत माना जा सकता है। हालांकि, कोर्ट ने दिव्यांग और गंभीर बीमारियों से पीड़ित याचिओं के मामले पर विचार करने का आदेश बेसिक शिक्षा बोर्ड को दिया है।

याचियों ने सरकार की नीति को किया था चैलेंज

याचियों का कहना था कि उनके जीवनसाथी राष्ट्रीयकृत बैंकों, एलआईसी, विद्युत वितरण निगमों, एनएचपीसी, भेल, इंटरमीडिएट कॉलेजों, पॉवर कॉर्पोरेशन व बाल विकास परियोजना इत्यादि पब्लिक सेक्टर्स में तैनात हैं। याचियों की तैनाती अपने जीवनसाथी से अलग जनपदों में है। याचिका में आगे कहा गया कि 2 जून 2023 को शासन की ओर से जारी आदेश में कहा गया कि जिन अध्यापकों के पति या पत्नी सरकारी सेवा में हैं, उनके लिए अन्तर्जनपदीय तबादले की व्यवस्था की गई है।

मगर 16 जून 2023 को शासन की ओर से जारी एक दूसरे आदेश में कहा गया कि सरकारी सेवा में उन्हीं कर्मचारियों को तैनात माना जाएगा जो संविधान के अनुच्छेद 309 के अधीन हैं। याचियों ने इसे संविधान में प्रदत समानता के अधिकार का उल्लंघन करार देते हुए अदालत में चुनौती दी थी।

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