न्यायालय में प्रतिदिन राष्ट्रगान के लिए दायर याचिका खारिज, अदालत ने कहा- न परंपरा, न कानून
याचिका को खारिज करते हुए न्यायालय ने कहा कि हमें आशा व विश्वास है कि राष्ट्रगान का सभी सम्बंधित व्यक्ति आदर करते रहेंगे लेकिन याचिका में जो प्रार्थना की गई है उस प्रकार का बाध्यकारी निर्देश देने में खुद को असमर्थ पाते हैं।
लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने न्यायालय में राष्ट्रगान के प्रतिदिन गायन की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायालय ने कहा कि न तो न्यायालयों में प्रतिदिन राष्ट्रगान गायन के लिए कोई कानून है, न परम्परा। न्यायालय ने कहा कि राष्ट्रगान का सम्मान करना एक पहलू है लेकिन देशभक्ति के नाम पर न्यायालयों में काम शुरू होने से पहले रोज राष्ट्रगान गायन की प्रथा कभी नहीं रही।
याचिका खारिज
-जस्टिस एपी साही और जस्टिस संजय हरकौली की खंडपीठ ने यह आदेश स्थानीय अधिवक्ता सुरेश कुमार गुप्ता की ओर से दाखिल याचिका पर दिए।
-न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि उच्च न्यायालयों को अपने नियम बनाने का अधिकार है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी इलाहाबाद हाईकोर्ट रूल्स-1952 है।
-उच्च न्यायालय न सिर्फ नियमों बल्कि परम्पराओं से भी चलता है। दिनचर्या के तौर पर न्यायालयों में राष्ट्रगान गायन की कोई परम्परा नहीं रही है।
-याचिका में सुप्रीम कोर्ट द्वारा श्याम नारायण चौकसे मामले में सभी सिनेमा हालों में राष्ट्रगान को अनिवार्य किए जाने के आदेश को आधार बनाते हुए हाईकोर्ट में भी प्रतिदिन राष्ट्रगान का गायन कराए जाने की मांग की गई थी।
-न्यायालय ने कहा कि श्याम नारायण चौकसे मामले में शीर्ष अदालत ने ऐसा कोई निर्देश हाईकोर्ट के लिए नहीं दिया है।
-याचिका को खारिज करते हुए न्यायालय ने कहा कि हमें आशा व विश्वास है कि राष्ट्रगान का सभी सम्बंधित व्यक्ति आदर करते रहेंगे लेकिन याचिका में जो प्रार्थना की गई है उस प्रकार का बाध्यकारी निर्देश देने में खुद को असमर्थ पाते हैं।