हाईकोर्ट-गंगा से 500 मी. में अवैध निर्माण, निर्मात्री संस्थाओं को नोटिस जारी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उ.प्र. जल निगम के निर्माण एवं डिजाइन सेवाएं व शहरी विकास प्राधिकरण को नोटिस जारी कर छह हफ्ते में जवाब मांगा है। याचिकाओं में इन संस्थाओं पर बिना इलाहाबाद विकास प्राधिकरण की अनुमति लिए दारागंज में गंगा नदी से पांच सौ मीटर के भीतर निर्माण कराने का आरोप है। यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता तथा न्यायमूर्ति पी.के.श्रीवास्तव की खण्डपीठ ने भालचन्द्र जोशी व दो अन्य की याचिका पर दिया है।

Update: 2019-02-18 16:53 GMT

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उ.प्र. जल निगम के निर्माण एवं डिजाइन सेवाएं व शहरी विकास प्राधिकरण को नोटिस जारी कर छह हफ्ते में जवाब मांगा है। याचिकाओं में इन संस्थाओं पर बिना इलाहाबाद विकास प्राधिकरण की अनुमति लिए दारागंज में गंगा नदी से पांच सौ मीटर के भीतर निर्माण कराने का आरोप है। यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता तथा न्यायमूर्ति पी.के.श्रीवास्तव की खण्डपीठ ने भालचन्द्र जोशी व दो अन्य की याचिका पर दिया है।

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याचिका पर अधिवक्ता वी.सी.श्रीवास्तव व अन्तरिक्ष वर्मा ने बहस की। याची का कहना है कि अखिल भारतीय श्री पंचनिर्वाणी अनी अखाड़ा हनुमानगढ़ी, अयोध्या के महंत धर्मदास द्वारा कुम्भ मेला प्राधिकरण व एडीए से पूछा था कि गंगा के उच्चतम बाढ़ बिन्दु से पांच सौ मीटर तक निर्माण पर रोक के बावजूद स्थायी निर्माण कैसे किया जा रहा है।

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प्राधिकरण ने हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को बताया कि निर्माण कंस्ट्रक्शन एवं डिजाइन सर्विसेज जल निगम द्वारा कराया जा रहा है। कोर्ट ने शहरी विकास प्राधिकरण व निर्माण एवं डिजाइन सेवाएं जल निगम को याचिका में पक्षकार बनाये जाने की अनुमति देते हुए नोटिस जारी की है। याची का कहना है कि बिना नियमानुसार नक्शा पास कराये निर्माण किया जा रहा है। याचिका की सुनवाई 6 हफ्ते बाद होगी।

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