हाईकोर्ट से आजम खान को राहत, कार्रवाई पर रोक, बुधवार को होना था CJM की अदालत में हाजिर
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट लखनऊ ने आजम खान के खिलाफ 5 अप्रैल 2017 को जमानतीय वारंट जारी करते हुए, 10 मई को हाजिर होने का आदेश दिया था। आजम खान की ओर से इसी आदेश को न्यायालय में चुनौती दी गई थी।
लखनऊ: हाईकोर्ट की बेंच ने सपा नेता आजम खान को राहत देते हुए, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई पर रोक लगा दी है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट लखनऊ ने आजम खान के खिलाफ 5 अप्रैल 2017 को जमानतीय वारंट जारी करते हुए, 10 मई को हाजिर होने का आदेश दिया था। आजम खान की ओर से इसी आदेश को न्यायालय में चुनौती दी गई थी।
अमिताभ ठाकुर की है शिकायत
न्यायमूर्ति महेंद्र दयाल की एकल सदस्यीय पीठ ने उक्त मामले के शिकायतकर्ता आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर व राज्य सरकार से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति ने अग्रिम सुनवाई तक के लिए आजम खान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है।
उल्लेखनीय है कि अमिताभ ठाकुर ने एक परिवाद दाखिल करते हुए आरोप लगाया है कि आजम खान ने रामपुर में एक प्रेस वार्ता में उनके लिए अमर्यादित व अनुचित शब्दों का प्रयोग किया। उन्हें प्रशासनिक अधिकारी के नाम पर कलंक कहा था व राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लिए भी अमर्यादित शब्दों का इस्तेमाल किया था।
आगे स्लाइड में अवैध कब्जों को लेकर पूर्व एलडीए वीसी को नोटिस...
पार्कों पर अवैध कब्जे
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने शहर में पार्कों से अवैध कब्जे हटाने के न्यायालय के आदेश का अनुपालन न करने के मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने लखनऊ विकास प्राधिकरण के पूर्व उपाध्यक्ष सत्येंद्र सिंह यादव को नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि उनके खिलाफ अदालत के आदेश की अवमानना की कार्यवाही क्यों न की जाए। न्यायमूर्ति आरआर अवस्थी की एकल सदस्यीय पीठ ने यह आदेश बद्री विशाल व एक अन्य की याचिका पर दिया।
याचियों की ओर से अधिवक्ता मोतीलाल यादव की दलील थी कि 23 जून 2016 को न्यायालय ने एलडीए के वीसी को आदेश दिया था कि शहर के पार्कों का सर्वे कराया जाए। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि यदि कहीं अवैध कब्जे पाए जाएं, उन्हें हटाने की कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि शादी-विवाह व निजी कार्यक्रमों के लिए पार्कों के इस्तेमाल की अनुमति न दी जाए।
वर्तमान याचिका में कहा गया है कि उक्त आदेश के अनुपालन में न तो सर्वे कराया गया और न ही अवैध कब्जे हटवाए गए, उल्टा नए कब्जे होते जा रहे हैं। न्यायालय ने कहा कि सत्येंद्र सिंह यादव अप्रैल 2017 से एलडीए के उपाध्यक्ष पद पर नहीं हैं लेकिन यह जानना जरूरी है कि 23 जून 2016 को पारित आदेश के अनुपालन के लिए उन्होंने क्या किया।
न्यायालय ने मामले की अग्रिम सुनवाई के लिए 25 मई की तिथि तय करते हुए कहा है कि यदि 23 जून 2016 के आदेश का अनुपालन नहीं होता तो सत्येंद्र सिंह यादव व्यक्तिगत तौर पर हाजिर हों।