लखनऊः सुलतानपुर सदर (जयसिंहपुर) से सपा के विधायक अरुण वर्मा मुश्किल में फंसते दिख रहे हैं। उनके खिलाफ लगे गैंगरेप के आरोप पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने गंभीर रुख अपनाया है। जस्टिस सुधीर कुमार सक्सेना ने पुलिस से दो हफ्ते में जांच रिपोर्ट मांगी है। साथ ही ये भी कहा है कि अगर केस की जांच में खामी मिली, तो मामला सीबीआई को सौंप दिया जाएगा। कोर्ट ने रानी लक्ष्मीबाई सम्मान कोष से पीड़िता को सहायता राशि भी दिलाई है।
क्या है मामला?
-5 अक्टूबर 2013 को जयसिंहपुर के चेरमा थाना इलाके के शख्स ने पुलिस में बेटी के गायब होने की एफआईआर कराई।
-शख्स की बेटी 18 सितंबर को सुलतानपुर से गायब हुई थी।
-6 अक्टूबर को पीड़िता बरामद हुई। उसने कलमबंद बयान में सपा विधायक अरुण वर्मा और सात अन्य पर गैंगरेप का आरोप लगाया।
-पीड़िता ने बतौर आरोपी जिनका नाम लिया, उनमें दो महिलाएं भी हैं।
-सीओ सिटी वीपी सिंह ने 2 फरवरी 2014 को विधायक अरुण वर्मा, पूनम यादव और धीरेंद्र का नाम निकाल दिया।
पीड़िता ने इसके बाद क्या किया?
-पीड़िता ने विधायक और दो को मिले क्लीनचिट पर प्रोटेस्ट पिटीशन दाखिल किया।
-लोअर कोर्ट ने जांच का आदेश दिया, जिस पर अमल नहीं हुआ।
-इसके बाद पीड़िता के पिता ने हाईकोर्ट की शरण ली।
-गृह सचिव एमपी मिश्रा के हस्तक्षेप पर नए आईओ को जांच सौंपी गई।
थानों के एसओ पर लगाया जुर्माना
एक अन्य मामले में हाईकोर्ट के जस्टिस अजय लांबा और जस्टिस आरएन मिश्रा द्वितीय ने पांच थानों के एसओ पर 75 हजार का जुर्माना लगाया है। इन सभी एसओ ने रेप के मामले में एफआईआर नहीं दर्ज की थी।