HC: जांच रिपोर्ट पर कोर्ट द्वारा संज्ञान लेने के बाद पुलिस को नए सिरे से जांच के अधिकार नहीं
एक महत्वपूर्ण फैसले में हाईकोर्ट ने कहा है कि पुलिस या अन्य जांच एजेंसी को उस मामले में नई जांच या नए सिरे से जांच या पुनर्विवेचना के अधिकार नहीं हैं, जिसमें उनके द्वारा दाखिल फाइल रिपोर्ट पर कोर्ट ने संज्ञान ले लिया हो।;
लखनऊ: एक महत्वपूर्ण फैसले में हाईकोर्ट ने कहा है कि पुलिस या अन्य जांच एजेंसी को उस मामले में नई जांच या नए सिरे से जांच या पुनर्विवेचना के अधिकार नहीं हैं, जिसमें उनके द्वारा दाखिल फाइल रिपोर्ट पर कोर्ट ने संज्ञान ले लिया हो। कोर्ट ने बहराइच के पुलिस अधीक्षक द्वारा दिए इस प्रकार के एक आदेश को रद् कर दिया। कोर्ट ने एसपी के आदेश को मनमाना और विवेकहीन करार दिया है।
जस्टिस अजय लांबा और जस्टिस विजयलक्ष्मी की बेंच ने यह आदेश कुलवीर सिंह की याचिका पर दिया। याचिका में एसपी के 15 जनवरी, 2016 के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें धोखाधड़ी के एक मुकदमे में विवेचनाधिकारी द्वारा आरोप पत्र दाखिल कर दिए जाने और मजिस्ट्रेट द्वारा इस पर संज्ञान लेने के बाद, पुनर्विवेचना के आदेश दिए गए थे।
याचिका में कहा गया कि आरोपियों को कोर्ट में पेश होना था, लेकिन उनके पेश ना होने पर गैर जमानतीय वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी किए गए। कहा गया कि बीस से अधिक बार एनबीडब्ल्यु जारी होने के बावजूद जब आरोपी कोर्ट में पेश नहीं हुए तो कोर्ट ने एसपी को आवश्यक कार्यवाही के लिए लिखा लेकिन एसपी ने बजाए एनबीडब्ल्यू तामील सुनिश्चित कराने के, एक आरोपी गुरमीत कौर के अनुरोध पर पुनर्विवेचना के आदेश जारी कर दिए।
बेंच ने सुप्रीम केार्ट द्वारा विनय त्यागी बनाम इरशाद अली मामले में दिए निर्णय का जिक्र किया। जिसमें कहा गया है कि जिन मामलों में जांच रिपोर्ट दाखिल की जा चुकी हो, उनमें कोई भी जांच एजेंसी ‘नए सिरे से जांच‘ या ‘पुनर्विवेचना‘ के लिए अधिकृत नहीं है। मात्र ऊपरी अदालतें ही इस प्रकार के आदेश दे सकती हैं। दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा- 173 (8) के तहत जांच एजेंसी रिपोर्ट दाखिल करने के बाद ‘अग्रिम जांच‘ कर सकती है लेकिन ‘नए सिरे से जांच‘ का अधिकार उसे नहीं है।
कोर्ट ने अग्रिम जांच (फर्दर इन्वस्टिगेशन) और नई जांच या नए सिरे से जांच अथवा पुनर्विवेचना के बीच के अंतर को स्पष्ट करते हुए कहा कि अग्रिम जांच की व्यवस्था सीआरपीसी की धारा- 173 (8) में है। जब जांच रिपोर्ट दाखिल कर दी जाती है लेकिन जांच अधिकारी को आगे भी कुछ साक्ष्य मिलते हैं तो अग्रिम जांच की जा सकती है। अग्रिम जांच पहले की ही जांच का विस्तार होती है। यह उसके उलट नहीं होती। नई विवेचना या नए सिरे से विवेचना अथवा पुनर्विवेचना के लिए कोर्ट का स्पष्ट आदेश होना आवश्यक है और उक्त आदेश में कारण को स्पष्ट किया जाना भी जरूरी है। जहां जांच अनुचित, दागदार, बुरे इरादे से और बेईमानी से की गई प्रतीत हो, कोर्ट न सिर्फ ऐसी जांच को खारिज कर सकता है बल्कि अन्य एजेंसी से जांच कराने के भी आदेश दे सकता है।
बेंच ने कहा कि ना तो जांच एजेंसी और ना ही मजिस्ट्रेट नए सिरे से विवेचना करने के लिए या इसका आदेश देने के लिए अधिकृत हैं। कोर्ट ने बहराइच एसपी के आदेश को मनमाना और विवेकहीन करार देते हुए कहा कि यह न्यायिक प्रक्रिया में दखल का प्रयास है। एनबीडब्ल्यू तामील न होने पर एसपी को आवश्यक कार्यवाही के लिए कहा गया लेकिन उन्होंने एनबीडब्ल्यू का तामील सुनिश्चित कराने के बजाय पुनर्विवेचना के आदेश दे दिए। इसमें भी एसपी ने किसी कारण का उल्लेख नहीं किया। पुनर्विवेचना के आदेश ने कोर्ट की प्रक्रिया को ही विफल कर दिया।
कोर्ट ने निर्णय की प्रति पुलिस महानिदेशक और प्रमुख सचिव, गृह को भेजने के भी आदेश दिए। वहीं याची के मामले से जुड़े सभी दस्तावेज चार सप्ताह में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, बहराइच की कोर्ट में वापस करने के भी निर्देश दिए गए हैं।