लखनऊ: केजीएमयू में डॉक्टरों की स्ट्राइक पर सख्त रुख अपनाते हुए हाईकोर्ट ने चेतावनी दी है कि भविष्य में इस तरह की हड़ताल न हो। जस्टिस सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति राकेश श्रीवास्तव की बेंच ने ऐतिहासिक निर्देश दिया कि भविष्य में अगर कोई डॉक्टर हड़ताल पर जाता है और इस वजह से कोई मरीज मरता है तो डॉक्टरों के खिलाफ हत्या का मुकदमा चलाया जाए। बेंच ने हड़ताल के दौरान मरने वालों के आश्रितों को 25-25 लाख रुपए मुआवजा देने के भी निर्देश दिए हैं।
हाईकोर्ट सख्त
-हाईकोर्ट ने अधिकारियों को चेतावनी दी है कि भविष्य में डॉक्टरों की हड़ताल न हो।
-कोर्ट ने अधिकारियों से उन डॉक्टरों का ब्योरा प्रस्तुत करने को भी कहा है, जो हड़ताल पर थे।
-हाईकोर्ट ने जिला जज की अध्यक्षता मे एक हाई पावर कमिटी बनाने का भी निर्देश दिया है।
-ये कमिटी हड़ताल को लेकर दो महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगी।
-हड़ताल के दौरान इलाज न मिल पाने से करीब ढाई दर्जन लोगों की मौत हो गई थी।
-स्वास्थ्य शिक्षा के महानिदेशक और केजीएमयू के वाइस चांसलर सुनवाई के दैरान कोर्ट में हाजिर हुए थे।
पीआईएल पर फैसला
-जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस राकेश श्रीवास्तव की बेंच ने यह फैसला एक अर्जेंट पीआईएल पर सुनाया है।
-यह पीआईएल वकील मोतीलाल यादव ने दाखिल की थी।
हड़ताल पर जूनियर डॉक्टर
एडमिशन पर विवाद
-पीजी के जूनियर डॉक्टर यूपी पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एंट्रेंस एग्जामिनेशन 2016 की पुनरीक्षित मेरिट लिस्ट के आधार पर एडमिशन का विरोध कर रहे थे।
-इससे पहले राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद रूटीन एग्जाम के रिजल्ट कैंसिल कर दिए थे।
-सुप्रीम कोर्ट ने प्रादेशिक मेडिकल हेल्थ सर्विस के तहत ग्रामीण क्षेत्र में काम करने वालों को 30% अधिक मार्क्स देने का फैसला सुनाया था।
-हड़ताल खत्म होने के बाद भी केजीएमयू के रेजिडेंट्स डॉक्टर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डॉ. अनिल गंगवार ने कहा कि उनकी लड़ाई जारी रहेगी।