Holi news: जानिए कहां से हुई थी होली की शुरुआत, क्या है मान्यता
वर्तमान में हरदोई के नाम से जाना जाने वाला जनपद ऐतिहासिक काल में हिरणाकश्यप की राजधानी थी। यहीं पर भगवान नरसिंह ने अवतार लेकर भक्त प्रहलाद की रक्षा की थी।
Hardoi news: रंगों का त्योहार होली देश-विदेश में पूरे उत्साह से मनाया जाता है लेकिन होली की शुरुआत कहां से हुई इसके बारे में लोग कम जानते हैं। होली की शुरुआत उत्तर प्रदेश के हरदोई जनपद से हुई। वर्तमान में हरदोई के नाम से जाना जाने वाला जनपद ऐतिहासिक काल में हिरणाकश्यप की राजधानी थी। यहीं पर भगवान नरसिंह ने अवतार लेकर भक्त प्रहलाद की रक्षा की थी। आज भी हिरणाकश्यप के महल के खंडहर, भक्त प्रहलाद का घाट, प्रहलाद व हिरण्यकश्यप से जुड़ी अनेक चीजें यहां पर मौजूद हैं।
हरदोई का प्राचीन नाम था हरिद्रोही
बताते चलें उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले का नाम पहले हरिद्रोही था। हरिद्रोही नाम इसलिए था क्योंकि यहां पर हिरणाकश्यप की राजधानी थी। हिरणाकश्यप ने अपनी बहन होलिका से भक्त प्रहलाद को भस्म करने का आदेश दिया था। भगवान की कृपा से आग की लपटों में होलिका जल गई थी, लेकिन भक्त पहलाद का बाल भी बांका न हुआ था। भक्त प्रहलाद का जीवन बचने पर नगरवासियों ने खुशी में एक दूसरे पर रंग गुलाल उड़ा कर त्यौहार मनाया था। तभी से होली त्यौहार की शुरुआत हुई। हरदोई गजेटियर व धार्मिक ग्रंथों के अनुसार हिरणाकश्यप की राजधानी हरदोई थी। राम का विरोधी होने के कारण हिरणाकश्यप ने ‘र’ अक्षर के उच्चारण पर भी रोक लगा दी थी। यही वजह रही कि उस वक़्त हरदोई में काफी दिनों तक लोग ‘र’ अक्षर से परहेज करते रहे।
जिले में ‘र’ अक्षर से परहेज
आज भी अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में ‘र’ अक्षर से परहेज के कारण हरदोई को लोग हद्दोई, जैसे कुछ उच्चारण करते हैं। हिरणाकश्यप की नगरी हरदोई पूर्व में हरिद्रोही के नाम से जानी जाती थी। धीरे-धीरे समय बदलता गया और ‘हरिद्रोही’ हरदोई के रूप में आ गया। आज भी जहां पर हिरणाकश्यप का महल था, वहां पर उसके महल के खंडहर टीले के रूप में तब्दील हैं। यहां पर भक्तों द्वारा नरसिंह भगवान की मूर्ति स्थापित की गई, यहीं पर भक्त प्रहलाद का कुंड है। जहां पर प्रहलाद स्नान कर पूजा ध्यान करते थे। पौराणिक ग्रंथों व हरदोई गजेटियर में भक्त प्रहलाद की इस नगरी का उल्लेख भी है। आज भी हरदोई में होली विशेष उत्साह के साथ मनाई जाती है।