तेज प्रताप सिंह
गोंडा। जिले में आसरा आवास योजना के तहत 26.36 करोड़ रुपये की लागत से बनकर तैयार 600 आसरा आवासों के आवंटन न होने से पांच साल बाद भी शहर में रहने वाले गरीब परिवारों को छत नसीब नहीं हुई। पहले तो बजट के अभाव में यह योजना निर्धारित समय में पूरी नहीं हो सकी और जब पूरी हुई तो सपा नेताओं की आपसी खींचतान ने इसका आवंटन अटका दिया। अब भाजपा सरकार में भी इसके आवंटन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पा रही है।
सपा सरकार ने शुरू की थी योजना
शहर में गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले लोगों को पक्का मकान उपलब्ध कराने के लिए सपा सरकार ने 2012-13 में आसरा आवास योजना शुरू की थी। सपा सरकार ने कांशीराम आवास योजना का नाम बदलकर इस योजना का शुभारंभ किया था। इस योजना के तहत जिले में 600 आसरा आवासों के निर्माण का लक्ष्य तय किया गया था। इसके लिए सरकार ने 26.36 करोड़ की धनराशि जारी की थी। निर्माण का जिम्मा कार्यदाई संस्था सीएंडडीएस को सौंपा गया था। 18 वर्ग मीटर में बनाए गए एक आसरा आवास की लागत करीब 3.75 लाख है। एक कमरे वाले फ्लैट में किचन, शौचालय व एक छोटी सी बालकनी भी दी गई है। स्वच्छ पेयजल के लिए पानी की टंकी का भी निर्माण कराया गया है।
भाजपा सरकार में दिसंबर 2017 में जिला प्रशासन ने आवास का आवंटन लाटरी प्रक्रिया से करने का फैसला किया था, लेकिन गड़बडिय़ों की शिकायत पर आवंटन प्रक्रिया स्थगित कर दी गई। जिलाधिकारी जेबी सिंह ने पुन: इन आसरा आवासों के आवंटन की पहल की और 30 जनवरी को आसरा आवास के आवंटन का ऐलान किया और डूडा के अफसरों को तैयारी करने के निर्देश दिए। डीएम की इस पहल ने आवंटन का इंतजार कर रहे आवेदकों की उम्मीदों को पंख लगा दिए, लेकिन फिर वही हुआ और गड़बडिय़ों की शिकायत पर आवंटन प्रक्रिया स्थगित कर दी गई। एसडीएम सदर की जांच में बड़े खुलासे हुए हैं। पात्रता सूची में तीसरे नंबर पर दर्ज शान मोहम्मद के पास पक्का मकान पाया गया है। यही नहीं सूची में शामिल कई ऐसे नाम हैं, जिनकी जानकारी होने से लेखपाल इनकार कर रहे हैं जबकि कई लोगों ने आवेदन पत्र में किराए पर दिखाए गए मकान को ही बदल दिया।
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जांच के बाद ही शुरू होगी आवंटन प्रक्रिया
डूडा के परियोजना अधिकारी वीएस शुक्ला ने बताया कि आसरा आवास योजना के तहत करीब सात हजार लोगों ने आवेदन किया था जिसमें से लक्ष्य के मुताबिक 600 परिवारों को आवास देने के लिए चयनित किया गया है। इन्हें आवास आवंटित करने की प्रकिया पूरी कर ली गई थी, किन्तु आसरा आवास योजना की पात्रता सूची में गड़बडिय़ां पाई गई हैं। एक व्यक्ति ने तो आवास के लिए आवेदन करने से ही इनकार कर दिया है। कुछ नाम ऐसे हैं जिनकी जानकारी सत्यापनकर्ता को भी नहीं है। जांच का जिम्मा उपजिलाधिकारी सदर को सौंपा गया है। ऐसी स्थिति में अब जांच के बाद ही आवंटन प्रक्रिया शुरू हो पाएगी।
आपसी खींचतान में उलझ गयी आवंटन प्रक्रिया
वर्ष 2015 में निर्माण को पूरा कराकर इसके आवंटन की समयसीमा तय की गई थी, लेकिन धनाभाव के कारण तय समयसीमा में सभी आवास बनकर तैयार नहीं हो पाए जिससे इनका आवंटन नहीं हो सका था। वर्ष 2016 में आधे-अधूरे आवासों को ही आवंटित करने की प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन नेताओं की आपसी खींचतान से आवंटन प्रक्रिया उलझ गई।
आवंटन के लिए गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले लोगों से आवेदन पत्र मांगे गए थे। निर्धारित अवधि में आवास के लिए करीब 7000 आवेदन पत्र डूडा के कार्यालय में जमा हुए थे। जिला प्रशासन ने आवेदन पत्रों की जांच के लिए वार्डवार जिलास्तरीय अधिकारियों को नामित किया था। जांच के बाद 700 लोगों को पात्र ठहराते हुए सूची जारी की गई थी।