सीएए पर विधान परिषद में सत्तापक्ष व विपक्ष में तीखी नोंकझोंक
विधान परिषद में प्रदेश के कई जिलों में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में चल रहे धरने का मामले को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच में तीखी नोकझोंक हुई।
लखनऊ। विधान परिषद में प्रदेश के कई जिलों में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में चल रहे धरने का मामले को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच में तीखी नोकझोंक हुई।
ये भी पढें- सरकार को कुछ घंटों में देने होंगे 1.48 लाख करोड़, नहीं तो टेलीकॉम कंपनियों पर…
शून्यकाल में समाजवादी पार्टी के अहमद हसन, नरेश उत्तम, बलराम यादव, शशांक यादव, लालावती कुशवाहा, आनन्द भदौरिया, सुनील सिंह साजन आदि ने कार्य स्थगन के माध्यम से नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के विरोध में प्रदेशभर में धरने पर बैठी महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों का मामला उठाया।
असम के मुख्यमंत्री ने भी कहा है कि उनके पास भी नागरिकता नहीं है
बसपा सदस्यों दिनेश चन्द्रा, धर्मवीर सिंह अशोक, प्रदीप कुमार जाटव, भीमराव अम्बेडकर आदि की सूचना को भी अधिष्ठाता ने इसी के साथ सम्बद्ध कर दिया।नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन ने कहा यह सियासी नहीं मानवीय समस्या है। असम के मुख्यमंत्री ने भी कहा है कि उनके पास भी नागरिकता नहीं है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रदर्शन में उत्पीड़ित की गयी महिलाओं और मारे गये लोगों के मामले की हाइकोर्ट के सिटिंग जज से जांच करायी जाये। किसके ऊपर क्या मुकदमे लगाये गये और मारे गये लोगों की पोस्टमार्टम की रिपोर्ट तक परिजनों को नहीं मिल रही है।
नरेश उत्तम ने कहा शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे लोगों पर सरकार ने पुलिस के जरिये बर्बरता पूर्वक कार्रवाई की। महिलाओं और बच्चों तक को नहीं बख्शा गया। धरना देना संविधान में हर नागरिक का अधिकार है। भाजपा शासित राज्यों में लाठी-गोली चलायी जा रही है।
ये भी पढ़ें- एनआरसी पर बड़ी खबर, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
भाजपा ने जनता से जो वायदे किये उन्हें पुरा नहीं कर पा रही है। बसपा के दिनेश चन्द्रा ने कहा यह स्वतःस्फूर्त शांतिपूर्वक आन्दोलन है। सरकार ने दमनकारी नीति अपनायी है। डीजीपी सरकार के प्रवक्ता तो बन गये लेकिन कानून व्यवस्था नहीं संभाल पाये।
शांतिपूर्वक धरना-प्रदर्शन करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं होगी
कांग्रेस के दीपक सिंह ने सरकार को अहंकारी बताते हुए कहा कि यह गांधी का देश है, इसे गोडसे का मत बनाइये। इस पर नेता सदन डा. दिनेश शर्मा ने कहा कि अगर कोई भी कानून के खिलाफ काम करेगा तो उस पर कार्रवाई होगी। शांतिपूर्वक धरना-प्रदर्शन करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं होगी।
जो सरकार से बात करना चाहते हैं उनसे सरकार बात भी करेगी। नेता सदन के जवाब से असंतुष्ट सपा और कांग्रेस के सदस्य वेल में आ गये जबकि बसपा के अपने-अपने स्थानों पर खड़े हो गये। सत्ता पक्ष की ओर से मंत्री महेन्द्र सिंह और मोहसिन रजा तथा विपक्षी सदस्यों में तीखी नोक-झोंक हुई।
ये भी पढ़ें- BJP सरकार ने जनता की थाली से सामान उठाने का काम किया है, ये जेबकतरी सरकार है: जयवीर शेरगिल
अधिष्ठाता ने सदन की कार्यवाही को 15 मिनट के लिए स्थगित कर दिया। इसके बाद भी सत्तापक्ष और विपक्ष में कई बार नोक-झोंक हुयी। यहां तक कि अधिष्ठाता को सदन चलाने में सहयोग की अपील करनी पड़ी।