UP News: धार्मिक गुरु के प्रभाव में पत्नी, इसलिए सेक्स से करती है इनकार, कोर्ट ने सुनाया फैसला तो उड़ गए पति के होश
UP News: कोर्ट ने तलाक़ की अर्ज़ी ख़ारिज कर दी। हाईकोर्ट ने कहा कि लंबे समय तक दंपति के बीच शारीरिक दूरी होने के पर्याप्त सबूत नहीं हैं।
UP News: भारत में तलाक के मामले बढ़ते जा रहे हैं। अदालतों में अब बड़ी संख्या में तलाक लेने के लिए याचिकाएं दायर की जा रही हैं। यही नहीं तलाक लेने के लिए लोग ऐसे-ऐसे कारण बताते हैं कि अदालतें भी हैरान रह जाती हैं। यहां एक ऐसा ही मामला सामने आया जिसमें पत्नी द्वारा शारीरिक संबंध न बनाने के आरोप में पति कोर्ट पहुंच गया। लेकिन इलाहाबाद कोर्ट से पति को मायूसी हाथ लगी। कोर्ट ने तलाक़ की अर्ज़ी ख़ारिज कर दी। हाईकोर्ट ने कहा कि लंबे समय तक दंपति के बीच शारीरिक दूरी होने के पर्याप्त सबूत नहीं हैं। जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस डोनाडी रमेश की बेंच ने कहा कि शारीरिक संबंधों का मामला कोर्ट के दायरे में नहीं आता।
क्या है मामला?
कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी लगाने वाला व्यक्ति पेशे से डॉक्टर है और दिल्ली के एक निजी अस्पताल में काम करता है। उसकी पत्नी भी डॉक्टर है। पत्नी भारतीय रेलवे में काम करती थी और अब स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुकी हैं। 1999 में दोनों की शादी हुई थी। शादी के दो साल बाद ही उनके दो बच्चे हुए। एक बच्चा पिता के साथ तो दूसरा माँ के साथ रहता है। शादी के 9 साल बाद डॉक्टर ने आरोप लगाया कि पत्नी शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करती है और वह तलाक के लिए कोर्ट चला गया। उसने पहले मिर्ज़ापुर के फैमिली कोर्ट में तलाक़ की अर्ज़ी दायर की थी, लेकिन कोर्ट ने उसकी अर्जी को ख़ारिज कर दिया। इसके बाद उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट का रूख किया और तलाक के लिए अर्ज़ी दाखिल की।
अर्जी में लगाया यह आरोप
पति ने अपनी अर्जी में आरोप लगाया कि उसकी पत्नी किसी धार्मिक गुरु के प्रभाव में है, इसलिए वह उससे शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करती है। लेकिन पत्नी ने पति के इस आरोप को ख़ारिज कर दिया। उसने कहा कि हमारे दो बच्चे हैं, जो इस बात का सबूत है कि हमारे बीच सामान्य और स्वस्थ संबंध थे।
कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने डॉक्टर की अर्ज़ी पर सुनवाई करते हुए तलाक़ देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि दोनों के बीच सामान्य शारीरिक संबंध होने के पर्याप्त सबूत हैं। शादी के दो साल के अंदर ही दो बच्चे हुए हैं। कोर्ट ने कहा, दंपति को शारीरिक संबंधों में कैसे रहना चाहिए, यह क़ानून के दायरे में नहीं आता। यह उनका निजी मामला है। शारीरिक संबंधों के मामले में क़ानून बनाना कोर्ट का काम नहीं है। शारीरिक संबंधों से इनकार करने पर तलाक़ दिया जा सकता है, लेकिन यह अवधि पर निर्भर करता है। अगर यह साबित हो जाए कि लंबे समय से दंपति अलग रह रहे हैं, तभी तलाक़ की अर्ज़ी दाखिल की जा सकती है।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने दिया था ऐसा फ़ैसला
बता दें कि कुछ दिन पहले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक मामले में अपना फ़ैसला सुनाया था और कहा था कि पति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करना क्रूरता है। कोर्ट ने कहा था, पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध एक अहम पहलू है। पति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से पत्नी का लगातार इनकार करना पति को मानसिक या भावनात्मक पीड़ा पहुँचाता है। पति के इस अधिकार को मान्यता देते हुए हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फ़ैसले को रद्द कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत यह तलाक़ का आधार है और तलाक़ को मंज़ूरी दे दी थी।