आईआईटी में फिर एक छात्र की मौत, 2 साल में पांचवीं घटना के बाद छात्रों का प्रदर्शन

छात्रों का आरोप है कि आईआईटी प्रशासन हमेशा की तरह ही इस छात्र की मौत को भी दबाने में जुटा है। चौंकाने वाली बात यह है कि प्रशासन ने पुलिस को सूचना देने में भी कोई तत्परता नहीं दिखायी है। बल्कि उसने आईआईटी परिसर में मीडिया के प्रवेश पर रोक लगा दी है। दो साल के भीतर कैम्पस में यह पांचवी मौत है।

Update: 2016-08-09 10:33 GMT

कानपुर: आईआईटी कानपुर में पीएचडी स्कालर आलोक पाण्डेय की सोमवार शाम संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद स्टूडेंट्स धरने पर बैठकर जस्टिस की मांग कर रहे हैं। स्टूडेंट्स में इंस्टीट्यूट प्रशासन के खिलाफ खासा आक्रोश है। दो साल के भीतर कैम्पस में यह पांचवी मौत है। स्टूडेंट्स बिना जांच किए इंजेक्शन लगाने वाले डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

लापरवाही का आरोप

-गाजीपुर निवासी आलोक संस्थान के हास्टल नम्बर 4 में रह कर मैटीरियल साईन्स में पीएचडी कर रहा था।

-आईआईटी स्टूडेंट अनमोल ठाकुर ने बताया कि अलोक के कंधे में दर्द था। उसे इंस्टीट्यूट में बने हेल्थ सेंटर ले जाया गया जहां बिना बीपी की जांच किए उसे वॉवरॉन इंजेक्शन लगा दिया गयाl

-इंजेक्शन लगने के बाद एसी में भी आलोक को पसीना आने लगा और पांच मिनट के अन्दर ही उसकी मौत हो गई।

-हेल्थ सेंटर के स्टाफ ने उसके फर्जी ऑक्सीजन मास्क लगाकर कार्डियोलाजी रिफर कर दिया जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

-छात्र इसे मर्डर बता रहे हैं और इंस्टीट्यूट को डाक्टरों के खिलाफ एक्शन की मांग कर रहे हैं।

फूटा आक्रोश

-छात्र की मौत की खबर लगते ही जिमखाना के बैनर दर्जनों आक्रोशित छात्र हास्टल से बाहर आ गये और इंजेक्शन लगाने वाले डॉक्टर पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी की मांग करने लगे।

-छात्रों का आरोप है कि आईआईटी प्रशासन हमेशा की तरह ही इस छात्र की मौत को भी दबाने में जुटा है।

-चौंकाने वाली बात यह है कि प्रशासन ने पुलिस को सूचना देने में भी कोई तत्परता नहीं दिखायी है।

-बल्कि उसने आईआईटी परिसर में मीडिया के प्रवेश पर रोक लगा दी है।

स्टूडेंट्स की मांगे

1-इंस्टीट्युट की तरफ से ऑफिशियल एफआईआर लॉज की जाय और पूरे मामले की जांच कराई जायl

2-डाक्टर को सस्पेंड किया जायl

3-विक्टिम का परिवार बहुत ही गरीब है इंस्टीट्यूट उनकी फाईनेंशियल मदद करे।

आरोपों के घेरे में प्रशासन

-आईआईटी डायरेक्टर इंद्रनील मन्ना जब छात्रों को समझाने पहुंचे तो छात्रों ने खुद उन पर भी कई आरोप जड़ दिए जिसके बाद जवाब देने के बजाय वह भाग गये।

-स्टूडेंट आशुतोष रंका ने कहा कि इंस्टीट्यूट में स्टूडेंट का कभी भी समय पर स्वास्थ्य परीक्षण नहीं किया जाता है, न स्टूडेंट्स की समस्याओं पर ध्यान दिया जाता

-गौरतलब है कि आईआईटी कानपुर कुछ साल पहले तक छात्रों की खुदकुशी अथवा संदिग्ध मौतों के लिये काफी बदनाम रह चुका है।

परिवार चाहता है सीबीआई जांच

-मृतक अलोक पाण्डेय के भाई आशुतोष पांडेय ने पूरी घटना की सीबीआई जांच की मांग की हैl

-उन्होंने कहा कि हेल्थ सेंटर से 200 मीटर की दूरी पर ईसीजी जांच होती है, वहां तक आलोक को पैदल भेजा गया।

-न तो आलोक को डॉक्टर या नर्स की सुविधा दी गई न स्ट्रेचर उपलब्ध कराया गयाl

-आलोक के मित्र ईसी जांच कराने पहुंचे तो उन्हें वहां से हटा दिया गयाl

-धरने पर बैठे मृतक छात्र के भाई आशुतोष ने कहा कि आईआईटी में स्टूडेंट्स को मेंटली टार्चर किया जाता है।

-उन्हें भी डीन, वार्डेन या अन्य प्रशासनिक अधिकारियों से नहीं मिलने दिया गया। उन पर दबाव डाला जा रहा है।

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