आखिर क्‍यों होता है ट्रेेन हादसा, ग्राउंड लेवल पर कोआर्डिनेशन की कमी या टेक्निकल फॉल्‍ट?

Update:2016-12-28 14:54 IST

SUDHANSHU SAXENA

लखनऊ: देश बदल रहा है। हम बुलट ट्रेन चलाने की कोशिश में जुटे हैंं, वहीं पुखरायां रेेल हादसे के महज 5 हफ्ते बाद ही यूपी के कानपुर में रूरा में एक और हादसा हो गया। एक तरफ हम बुलट ट्रेन का सपना देख रहे हैं वहीं दूसरी ओर ट्रेन हादसे थम नहीं रहे। कानपुर हादसे के बाद एक बार फिर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ये ट्रेन हादसे क्‍यों हो रहे हैं।

ऐसे में newstrack.com ने रेलवे के कर्मचारी संगठनों से लेकर रूरा स्‍टेशन पर तैनात अधिकारियों समेत कई एक्‍सपर्ट से इस मुद्दे पर उनकी राय जानने की कोशिश की है। आइए जानते हैं क्‍या कह रहे हें एक्‍सपर्ट।

वजह नंबर 1- या तो पटरी चटकी या फिर पहिए में हुआ फाॅॅल्‍ट

- रूरा रेलवे स्‍टेशन पर तैनात एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि ट्रेन को लगभग 60 से 80 किलोमीटर की रफ्तार से पास होना था।

- आमतौर पर जब ट्रेन इतनी स्‍पीड में होती है तो कॉशन नहीं लगाया जाता।

- ऐसे में ट्रेन की स्‍पीड के चलते या तो पटरी चिटकी है या फिर पहिए में कोई फॉल्‍ट आई है।

- बिना इन दोनों वजहों के ट्रेन डिरेल नहीं हो सकती।

वजह नंबर 2- पटरियों की ‘की’ अक्‍सर हो जाती है ढीली

- रेलवे से रिटायर सीनियर अधिकारी प्रफुल्‍ल चंद्रा ने बताया कि ट्रैैक पर पटरियां एक- दूसरे से ‘की’ यानि चाभियों से रुकी रहती हैं।

- ऐसे में ट्रेनों के लगातार गुजरने से अक्‍सर की ढीली हो जाती हैं।

- इसके चलते पटरियां हमेशा ट्रैकमैन या लाइनमैन के दवारा जांची जाती रहनी चाहिए।

- इस काम में चूक होने पर हादसे होने की संभावना बन जाती है।

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वजह नंबर 3- कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा रेलवे

- रेलवे यूनियन के कर्मचारी नेता अजय वर्मा ने बताया कि रेलवे में हादसे होने पर छोटे कर्मचारियों को सीधे बर्खास्‍त कर दिया जाता है। यह सही नहीं है।

- रेलवे मेंं गैंगमैन से लेकर ट्रैकमैन और लाइन चेक करने वाले कर्मियों की भारी कमी है।

- इतना ही नहीं जाड़े में तो ड्राइवर्स को ट्रेन लेट होने के चलते नियमानुसार 6 घंटे का रेस्‍ट भी नहीं मिल पाता।

- एक गाड़ी से उतरने के बाद उन्‍हें दूसरी पकड़ा दी जाती है।

- ऐसे में ड्राइवर्स के ऊपर काफी वर्कलोड रहता है।

वजह नंबर 4- क्‍या पुराने ट्रैक से गुजर रही थी ट्रेन

- रूरा स्‍टेशन पर तैनात एक कर्मचारी ने दावा किया कि गैजूमऊ का ट्रैक सालों पुराना है।

- यही नहीं रेलवे में 60-70 प्रतिशत ट्रैक बहुत पुराने हैं।

- इन्‍हें बदलने की जरूरत है पर कोई ध्‍यान नहीं देता।

- सिर्फ मरम्‍मत करके बस काम चलाया जा रहा है।

इन्‍हें मिली जांच

- नार्दन सेंटर रेलवे के कमिश्‍नर सेफ्टी शैलेश कुमार पाठक को हादसे की जांच सौंपी गई है।

- पीआरओ विक्रम सिंह के मुताबिक इनके साथ चार सदस्‍यीय सीनियर टेक्निकल ऑफिसर्स भी रहेंगे।

- टीम में अन्‍य सदस्‍यों को भी शामिल किया जा सकता है।

- रेल मंत्रालय के आदेश पर हादसे की जांच शुरू कर दी गई है।

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कब कब हुए ट्रेन हादसे

28 दिसंबर 2016- अजमेर सियालदाह एक्‍सप्रेस - 15 डिब्‍बे पटरी से उतरे- 60 से ज्‍यादा घायल

20 नवंबर 2016 कानपुर के पास पुखरायां में इंदौर- पटना एक्‍सप्रेस डिरेल- 150 तक पहुंचा मौत का आंकड़ा

20 मार्च 2015 रायबरेली के ब‍छरावां के पास देहरादून वाराणसी एक्‍सप्रेस डिरेल- 32 की मौत की अधिकारिक पुष्टि और सैकड़ों घायल

1 अक्‍टूबर 2014 गोरखपुर में आमने सामने दो ट्रेनों की टक्‍कर- 14 की अधिकारिक मौत- कई घायल

31 मई 2012 हावड़ा से देहरादून जा रही ट्रेन जौनपुर में पटरी से उतरी

16 जनवरी 2010 फिरोजाबाद में श्रमशक्ति एक्‍सप्रेस को कालिंदी एक्‍सप्रेस ने पीछे से टक्‍कर मारी थी

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