सॉल्‍वर गैंग से लेकर मुन्‍नाभाई की नर्सरी बना IET, विजिलेंस विभाग की भी नहीं मान रहे अधिकारी

डॉ एपीजे अब्‍दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी (AKTU) के ऑटोनॉमस संस्‍थान इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्‍नॉलॉजी (IET) सॉल्‍वर गैंग से लेकर मुन्‍नाभाईयों की नर्सरी बनकर रह गया है।

Update:2017-05-21 17:45 IST

लखनऊ : डॉ एपीजे अब्‍दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी (AKTU) के ऑटोनॉमस संस्‍थान इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्‍नॉलॉजी (IET) सॉल्‍वर गैंग से लेकर मुन्‍नाभाईयों की नर्सरी बनकर रह गया है। हाल ही में इसी संस्‍थान में एक अद्भुत मुन्‍नाभाई का खुलासा newstrack.com ने किया था। इसके बाद अचानक से मुन्‍ना भाई पकड़ने वाले तत्‍कालीन डायरेक्‍टर आईईटी एएस विद्यार्थी और रजिस्‍ट्रार तनवीर ताहिर को उनके पद से विभिन्‍न कारण बताते हुए प्राविधिक शिक्षा विभाग की ओर से हटा दिया गया।

हालांकि अभी तक पीएचडी स्‍कालर के मेंटर रहे प्रोफेसर जेबी श्रीवास्‍तव सहित अन्‍य प्रोफेसरों की भूमिका की संदिग्‍धता की कोई जांच नहीं शुरू हुई है। ऐसा तब है जब खुद सतर्कता विभाग ने बकायदा पत्र जारी करके पूर्व डायरेक्‍टर आईईटी की जांच के दायरे में आए कुछ प्रोफेसर्स को महत्‍वपूर्ण काम करने से रोकने का सुझाव पूर्व में ही दिया हुआ है।

ये है पूरा मामला

आईईटी के पूर्व डायरेक्‍टर एएस विद्यार्थी ने बताया कि 2016-17 की विषम सेमेस्‍टर परीक्षाओं के इंचार्ज इवेल्‍यूएशन प्रोफेसर गिरीश चंद्रा ने एक मामला पकड़ा। जिसमें एक रिसर्च स्‍कॉलर देवेश ओझा ने डयूरेबिल्‍टी ऑफ कांक्रीट स्‍ट्रक्‍चर्स का पेपर खुद सेट करके खुद ही परीक्षा दी। इतना ही नहीं उसने खुद ही कॉपी का मूल्‍यांकन करके नंबर भी चढ़ाए। ये मामला पता लगने पर एक तीन सदस्‍यीय कमेटी का गठन करके मामले की जांच की गई। इस कमेटी में डीन पीजी एंड रिसर्च प्रोफेसर शैलेंद्र सिंहा, डीन एकेडमिक्‍स प्रोफेसर संजय श्रीवास्‍तव और चेयरपर्सन प्रोफेसर भारती दि्वेदी शामिल थे। इनकी जांच में मामला सही पाया गया और जांच कमेटी की सिफारिश पर देवेश ओझा के पीएचडी पंजीकरण को निरस्‍त कर दिया गया। इसके अलावा देवेश ओझा को आगे कभी आईईटी लखनऊ द्वारा किसी भी पीएचडी प्रोग्राम में पंजीकरण करने से लेकर पूरी तरीके से बैन कर दिया गया।

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प्रोफेसर्स को भी कारण बताओ नोटिस किया जारी

हालांकि इसके साथ ही उन्‍होंने संदिग्‍ध भूमिका वाले प्रोफेसर्स को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसके बाद शासन ने डायरेक्‍टर पर ही जांच बैठा दी।पूर्व डायरेक्‍टर ए एस विद्यार्थी ने कहा कि इस जांच को बैठाने का उद्देश्‍य दोषी शिक्षकों को बचाना है।इतना ही नहीं बल्कि इसके बाद रजिस्‍ट्रार आईईटी के पद पर रहे डा तनवीर ताहिर को भी पद से हटा दिया गया।

मुन्‍ना भाई ने मेल के जरिए मांगा इंसाफ

आईईटी के मुन्‍ना भाई देवेश ओझा ने बताया कि उसने 14 मई को ई-मेल के जरिए एक पत्र लिखकर एकेटीयू के वाइस चांसलर से न्‍याय मांगा है। उसने अपने पीएचडी मेंटर प्रोफेसर जेबी श्रीवास्‍तव से लेकर एचओडी प्रोफेसर एनबी सिंह, प्रोफेसर कैलाश नारायण पर उससे जबरदस्‍ती पेपर सेट करवाने और मूल्‍यांकन के लिए उकसाने का आरोप लगाया। इसके अलावा मामला खुलने पर सारा आरोप अपने सर पर लेने और आगे उसे जांच से बचा लेने का दावा किया। लेकिन अब उसका कोई साथ नहीं दे रहा है। देवेश ओझा ने बताया कि वह जांच कमेटी के सामने दोषी शिक्षकों का भी नाम लेगा।

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2011 में पकड़ा गया था साल्‍वर गैंग

साल 2011 की राज्‍य स्‍तरीय इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा (UPSEE) में क्राइम ब्रांच ने आईईटी के छात्रों का एक साल्‍वर गैंग रंगे हाथों राजधानी के आजाद इंस्‍टीटयूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्‍नॉलाजी से पकड़ा था। उस समय भी आईईटी के कई प्रोफेसर्स के नाम छात्रों ने लिए थे। कई छात्रों ने क्राइम ब्रांच के सामने कबूला था कि प्रोफेसरों ने ही उन्‍हें इसके लिए उकसाया था। इसके बाद सतर्कता विभाग ने भी 23 अप्रैल 2013 को एक ऑफिशियल मेमोरेंडम जारी करके देश के करीब 83 प्रोफेसरों को एआईसीटीई की किसी समिति या किसी संस्‍थान में कार्य न कराने की सिफारिश की थी।

जिसमें वर्तमान में आईईटी लखनऊ में कार्यरत प्रोफेसर नरेंद्र बहादुर सिहं और प्रोफेसर एसपी शुक्‍ला के नाम भी शामिल हैं। पूर्व डायरेक्‍टर आईईटी प्रोफेसर एएस विद्यार्थी की मानें तो ये नाम हाल ही में पकड़े गए मुन्‍नाभाई मामले में भी संदिग्‍धता के दायरे में हैं। फिर भी इनसे काम लेते रहना और किसी भी मामले में इनकी भूमिका की जांच न करना यूनिवर्सिटी प्रशासन और प्राविधिक शिक्षा विभाग की मंशा पर सवाल खड़ा करने वाला है।

किसी भी दोषी को नहीं बख्‍शा जाएगा

एकेटीयू के वाइस चांसलर प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने कहा कि उन्‍हें पुराने मामलों की जानकारी नहीं है। इस मामले में एचबीटीआई के प्रोफेसर्स की एक कमेटी जांच कर रही है। एक महीने में जांच रिपोर्ट आ जाएगी। किसी भी दोषी को बख्‍शा नहीं जाएगा। हर हाल में संस्‍थान की साख को बचाएंगे। अभी देवेश ओझा का कोई मेल नहीं मिला है। वीसी ने दावा किया कि उनके पसर्नल सेक्रेटरी ने देवेश ओझा से बात की है और देवेश ओझा ने किसी ई मेल को न भेजने की बात कही है। जबकि न्‍यूज ट्रैक डॉट कॉम से बातचीत में देवेश ओझा ने ई मेल के जरिए अपनी बात वाइस चांसलर को बताना स्‍वीकारा है।

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