मौलाना वाजदी- मस्जिद के लाउडस्पीकरों को ध्वनि प्रदूषण में शामिल करना गलत

यूपी में ध्वनि प्रदूषण को लेकर हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद योगी सरकार द्वारा धार्मिक स्थलों से 15 जनवरी तक लाउडस्पीकर हटाने के निर्देश पर देवबंदी उलेमा ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उलेमा ने कहा कि मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकर दिन में केवल पां

Update: 2018-01-08 14:07 GMT
मस्जिद के लाउडस्पीकरों को ध्वनि प्रदूषण में शामिल गरना गलत: मौलाना वाजदी

सहारनपुर: यूपी में ध्वनि प्रदूषण को लेकर हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद योगी सरकार द्वारा धार्मिक स्थलों से 15 जनवरी तक लाउडस्पीकर हटाने के निर्देश पर देवबंदी उलेमा ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उलेमा ने कहा कि मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकर दिन में केवल पांच बार दो से पांच मिनट के लिए ही चलाए जाते हैं, इसलिए मस्जिद पर लगे लाउडस्पीकर को ध्वनि प्रदूषण में शामिल करना ही गलत है। हालांकि दारुल उलूम से इस सम्बंध में कोई प्रतिकिया नहीं आई।

हाईकोर्ट ने गत बीस दिसंबर 2017 को दस पेज के आदेश में प्रदेश सरकार द्वारा ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण में नाकामी को लेकर सख्त टिप्पणी की थी। उच्च न्यायालय ने सरकार से पूछा था कि क्या प्रदेश के धार्मिक स्थलों पर लगाए गए लाउडस्पीकर संबंधित अधिकारियों के संज्ञान में लगाए गए हैं। साथ ही निर्देश दिया था कि जिन धार्मिक स्थलों ने बिना इजाजत लाउडस्पीकर लगाए हैं उनके खिलाफ जानकारी न्यायालय को दी जाए।

इसी के चलते योगी सरकार ने 15 जनवरी तक लाउडस्पीकर हटाने के दिशा निर्देश जारी किया है। जिस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए तंजीम उलेमा-ए-हिंद के प्रदेशाध्यक्ष मौलाना नदीमुल वाजदी ने कहा कि मस्जिदों में अजान के समय ही लाउडस्पीकर चलाए जाते हैं। कहा कि किसी भी मस्जिद में अजान का समय तीन से पांच मिनट का होता है। इसलिए मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर ध्वनि प्रदूषण में शामिल ही नहीं होते। कहा कि मस्जिदों में होने वाली नमाज भी मात्र आठ से दस मिनट की होती है और अधिकांश मस्जिदों में लाउडस्पीकर पर होने वाली नमाज में मस्जिद के अंदर ही स्पीकर चलाए जाते हैं। जिसकी आवाज बाहर तक नहीं आती है। मौलाना वाजदी ने सरकार के निर्देशो पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह सरकार मदरसों और मस्जिदों को ही टारगेट करने में लगी हुई है।

मदरसा जामिया हुसैनिया के मौलाना तारिक कासमी ने कहा कि प्रदेश की योगी सरकार के पास तरक्की का कोई मंसूबा (योजना) नहीं है। इसी लिए वह लोगों को बेकार के मुद्दों में अटका कर रखना चाहती है। कहा कि ध्वनि प्रदूषण के कारण मस्जिदों पर लगे लाउस्पीकर किसी सूरत में नहीं हो सकते। इसलिए मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर को हाईकोर्ट की टिप्पणी से नहीं जोड़ना चाहिए। कहा कि सरकार मदरसें और मस्जिदों के नाम पर राजनीति कर रही है। ताकि वह चर्चा में बनी रहे। लेकिन देश का सैक्यूलर वर्ग इस राजनीति से ऊब चुका है। और चाहता है कि सबका साथ सबका विकास नारे पर अमल करते हुए प्रदेश को तरक्की की ओर अग्रसर किया जाए।

तंजीम अब्नाए दारुल उलूम के अध्यक्ष मुफ्ती यादे इलाही कासमी ने कहा कि प्रदेश में ही हजारों मस्जिदें ऐसी हैं जहां पर लाउडस्पीकर पर अजान व नमाज नहीं होती इसलिए मस्जिदों से ध्वनि प्रदूषण की बात समझ नहीं आती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने अपनी पहचान ही धर्म, जाति रंग व आवाज पर राजनीति करने वाली सरकार के रूप में स्थापित कर ली है। मौलाना ने कहा कि धार्मिक स्थलों पर लगे लाउडस्पीकर को हटाए जाने से प्रदेश के अमन को खतरा पैदा हो सकता है। कहा कि यदि धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर जबरन उतरवाए भी गए तो न इससे हिंदू समाज खुश होगा और न मुस्लिम समाज। इसलिए सरकार को सभी की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए फैसले लेने चाहिए।

Tags:    

Similar News