मेरठ कैंट से विधायक सत्यप्रकाश अग्रवालः पैसा नहीं, इज्जत कमाई

सत्य प्रकाश अग्रवाल के अनुसार राजनीति में बड़े बदलाव हुए। लेकिन, मैने अपनी राह कभी नहीं बदली। मैने अपनी पूरी जिंदगी ईमानदारी और मेहनत के साथ राजनीति की है। व्यापार मैं भी मैने खुद कुआं खोदा और पानी पिया है। इसी तरह राजनीति में खुद कुंआ खोदा और पानी पिया है।

Update:2020-08-18 15:59 IST
मेरठ कैंट से विधायक सत्यप्रकाश अग्रवालः पैसा नहीं, इज्जत कमाई

सुशील कुमार मेरठ

81 साल के सत्यप्रकाश अग्रवाल वर्ष-2002 से लगातार मेठ जनपद की कैंट सीट से विधायक निर्वाचित होते आ रहे हैं। हालांकि 2017 में पार्टी ने घोषणा की थी कि 75 वर्ष की आयु पार कर चुके नेताओं को टिकट नहीं दिया जाएगा। लेकिन, क्षेत्र में सत्यप्रकाश अग्रवाल के प्रभाव को देखते हुए भाजपा नेतृत्व अपने इस वयोवृद्ध नेता के टिकट पर कैंची नहीं चला सका।

कैलाश डेरीवाले मशहूर हैं

सत्यप्रकाश अग्रवाल ने भी चुनाव जीत कर क्षेत्र के मतदाताओं पर अपने प्रभाव को साबित कर दिया। इस तरह सत्यप्रकाश अग्रवाल जिनको लोग कैलाश डेरी वाले के नाम से भी जानते-पहचानते हैं।

चौथी बार मेरठ कैंट सीट पर अपनी जीत का झंडा फहराने में सफल हुए इससे पहले यह चमत्कार कांग्रेस के अजित सिंह सेठी ही कर सके हैं जो कि इस सीट पर चार बार विधायक रहे।

मकसद जनसेवा

राजनीति में आने से पहले सत्यप्रकाश अग्रवाल दूध का कारोबार करते थे। सत्यप्रकाश अग्रवाल कहते है, राजनीति में उनके आने का मकसद पैसा और नाम कमाना नही बल्कि जनसेवा था।

बकौल सत्यप्रकाश अग्रवाल, अब राजनीति में या तो पैसा कमा लो या फिर इज्जत,मान सम्मान कमा लो। मैने राजनीति में मान-सम्मान ,इज्जत ही कमाई है।

सत्यप्रकाश अग्रवाल भी उन नेताओं में से एक हैं जिन्हें राजनीति विरासत में नही मिली है। बल्कि कठिन परिश्रम कर राजनीति में उन्होंने अपने लिए जगह बनाई है।

पढ़ाई जूनियर हाईस्कूल तक

जूनियर हाईस्कूल तक पढ़े सत्यप्रकाश अग्रवाल का विवाह 27 फरवरी 1966 को सुशीला अग्रवाल के साथ हुआ, जिनसे उनके तीन पुत्र, तीन पुत्रियां हैं। सत्यप्रकाश अग्रवाल के अनुसार उन्हें शुरू से ही समाज सेवा का शौक था। सो,राजनीति में आ गए।

राजनीति में न आता तो कारोबार करता

राजनीति में नहीं आते तो दूसरा काम क्या करते। इस सवाल पर सत्यप्रकाश अग्रवाल कहते हैं, ईमानदारी से कारोबार करता।

चुनाव लगातार मंहगे होते जा रहे है , इस पर आपकी क्या राय है। इस सवाल पर सत्यप्रकाश अग्रवाल थोड़ा गंभीर होकर कहते हैं, चुनाव आयोग कुछ ऐसा जरुर करना चाहिए, जिससे लगातार महंगे होते जा रहे चुनावों के खर्च पर अंकुश लग सके।

विधायक सत्य प्रकाश अग्रवाल कहते हैं कि लगातार महंगे होते जा रहे चुनावों के कारण बेचारा गरीब आदमी तो चुनाव लड़ने के बारे में सोच भी नहीं सकता है।

जनता की अपेक्षाएं

जन प्रतिनिधियों से लगातार बढ़ती जा रही जनअपेक्षओं से आप कितनी दिक़्क़त महसूस करते हैं। इस सवाल पर पहले तो सत्यप्रकाश अग्रवाल मुस्कारते हैं। लेकिन, फिर गंभीर अंदाज में कहते हैं, जन-प्रतिनिधि बने हैं तो लोगों की समस्याओं को तो सुनना ही पड़ेगा।

वह कहते हैं आखिर जो हमारे पास अपनी शिकायत लेकर आता है उसको हम पर विश्वास है तभी तो वह अपना दुखड़ा हमारे पास आकर हमें सुनाता है।

इसलिए हमारी यह जिम्मेदारी भी बनती है कि हम उसकी ना सिर्फ शिकायत सुनें बल्कि उसका अपने स्तर से समाधान कराने का हरसंभव ईमानदारी से प्रयास भी करें।

जनता दो बातें चाहती है

श्री अग्रवाल कहते हैं कि अलबत्ता हम जनता से थोड़ा सब्र रखने की अपेक्षा जरुर करते हैं। क्योंकि जन-प्रतिनिधियों के पास एक नही सैकड़ों लोग अपनी समस्या लेकर पहुंचते हैं। सब की अलग-अलग किस्म की समस्या होती है।

कुछ समस्याओं का समाधान हम तुरन्त कराने में सफल होते हैं तो कुछ समस्याओं का साधान कराने में देर भी हो जाती है। बकौल सत्यप्रकाश अग्रवाल, दरअसल जनता दो बाते चाहती है।

पहला कोई उनके कंधे पर हाथ रख दे और दूसरा उनकी समस्याओं का निराकरण करें। मैने अपने पास समस्या लेकर आने वाले किसी भी व्यक्ति को निराश नही किया है।

राजनीति से फुरसत मिलने पर क्या करते हैं

इस सवाल पर सत्य प्रकाश अग्रवाल तपाक से कहते हैं,राजनीति से तो फुरसत मिलती ही नहीं। सुबह उठते हैं फिर लोगों से मिलना-जुलना उनकी समस्याओं को सुनने और उनके समाधान कराते-कराते कब रात के 11-12 बज जाते हैं। पता ही नहीं चलता, कब दिन हुआ और कब रात हो गई।

सत्य प्रकाश अग्रवाल के अनुसार राजनीति में बड़े बदलाव हुए। लेकिन, मैने अपनी राह कभी नहीं बदली। मैने अपनी पूरी जिंदगी ईमानदारी और मेहनत के साथ राजनीति की है। व्यापार मैं भी मैने खुद कुआं खोदा और पानी पिया है। इसी तरह राजनीति में खुद कुंआ खोदा और पानी पिया है। ईश्वर, मां-बाप और क्षेत्र के जनता के आशीर्वाद से चार बार लगातार कैंट सीट से विधायक बना हूं।

नौकरशाही कभी आपके काम में रुकावट बनी?

इस सवाल के जवाब में सत्यप्रकाश अग्रवाल कहते हैं, नौकरशाही मेरे काम में कभी रुकावट नहीं बनी। क्योंकि काम कराने का अपना-अपना तरीका होता है। मैने जनता का जो काम चाहा करवाया। अब तो भाजपा का ही शासन है। काम आसानी से हो जाता है।

मायावती व अखिलेश के शासन में भी मेरे काम कभी नहीं अटके। मैं हमेशा जनता के काम लेकर अफसरों के पास जाता हूं। अपने व्यक्तिगत काम के लिए मैं कभी किसी अफसर के पास नही गया।

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सपा-बसपा शासन में यदि किसी सरकारी अफसर ने मेरे काम में रोड़ा अटकाया भी तो मैने अफसरों को धमकाया नहीं और ना ही मैं लाठी-डंडे लेकर कभी सड़क पर नही गया। बस धरने पर बैठ गया और तब तक बैठा रहा जब तक अधिकारी ने काम के लिए हामी नही भरी।

नौकरशाही से मेरा तालमेल ही रहा है

मैने क्षेत्र के विकास के लिए बहुत काम कराए हैं। फिर भी कुछ एक काम हैं जिनको पूरा कराना है जैसे कैंट अस्पताल का जीर्णोद्वार, जीआईसी को डिग्री कॉलेज बनवाना, गंगानगर, कंकरखेड़ा, रोहटा आदि इलाकों में कूड़ा निस्तारण प्लांट स्थापित कराना आदि इसके अलावा कैंट की सड़कों की हालत सुधारना।

दो करोड़ 37 लाख का अनुदान

वैसे,अभी हाल ही में मेरे प्रयासों से प्रदेश सरकार ने कैंट बोर्ड को दो करोड़ 37 लाख का अनुदान दिया है। बारिश के बाद सड़के बनेंगी। इसके अलावा कैंट में संपत्तियों की खरीद-फरोख्त हो सके और क्षेत्र की जनता निर्माण और मरम्मत करा सके, इसके लिए मेरे सुझाव पर ही केंद्र सरकार कैंट कानूनों में संशोधन करने जा रही है। ऐसा हो जाने पर क्षेत्र के व्यापारियों ,नागरिकों को अंग्रेजी कानूनों से राहत मिल सकेगी।

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राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र कायम है क्या? इस सवाल पर भाजपा के इस विधायक का इतना ही कहना था, भाजपा को छोड़कर किसी भी पार्टी में आतंरिक लोकतंत्र नहीं है। केवल भाजपा ही है जहां छोटे से छोटा कार्यकर्ता भी पार्टी अध्यक्ष बनने की बात सोच सकता है।

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