बेमानी हैं निवेश और रोजगार के दावे, जमीन पर उतर नहीं पाया किसी CM का कहा

Update:2017-10-28 14:12 IST

योगेश मिश्र

लखनऊ: रोजगार देने के लंबे-चौड़े दावे किसी भी सरकार में पूरे नहीं हुए हैं। इस दिशा में किसी भी मुख्यमंत्री का कहा जमीन पर उतर ही नहीं पाया। हद तो यह हुई दिसंबर 16 तक की सरकारों के कार्यकाल में 1,63,421 छोटे-बड़े उद्योग उत्तर प्रदेश में लग पाए। इन उद्योगों में केवल 24,368 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश हुआ।

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पूंजी निवेश के हिसाब अगर उद्योगों के आकार का औसत निकाला जाए तो सिर्फ 6.7 करोड़ रुपए का निवेश बैठता है। 12 साल के इन काल खंडों में प्रत्यक्ष रूप से इन उद्योगों में 12 लाख 67 हजार 581 और अप्रत्यक्ष रूप से 2 लाख 43 हजार 18 लोगों को रोजगार मिला। कुल 15 लाख 10 हजार 599 लोग 12 साल के कालखंडों में रोजगार पा सके। उत्तर प्रदेश की जनसंख्या 22 करोड़ है। इस लिहाज से देखा जाए तो 15 लाख रोजगार का आंकड़ा ऊंट के मुंह में जीरा कहावत को भी पीछे छोड़ देता है।

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रोजगार और निवेश का यह आंकड़ा तब है जब अखिलेश यादव व मायावती ने मुख्यमंत्री रहते हुए निवेश के लिए रोड शो, उद्यमियों के साथ मीटिंग सहित तमाम कसरत की थी। 12 वर्षों से सबसे अधिक निवेश 2011-12 में हुआ जो 25 हजार 25 करोड़ रुपए बैठता है। इसी कालखंड सबसे अधिक 2,74,779 लोगों को रोजगार भी मिले हैं।

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सबसे कम निवेश 2005-06 में हुआ है। जो केवल 3742 करोड़ रुपए बैठता है। इस काल में तकरीबन 2 लाख लोगों को रोगजार मिला है। कम रोजगार के मामले वर्ष 2006-07 सबसे आगे है। इस वर्ष में केवल 1 लाख 65 हजार 158 लोगों को रोजगार मिला। रोजगार और निवेश के यह आंकड़े इस काल खंड में मुख्यमंत्री रहे किसी भी नेता को मुंह चिढ़ाते नजर आ सकते हैं।

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