आईपीएस यशस्वी के मेडल की राह में रोड़े, यूपी ने लिखा महाराष्ट्र सरकार को पत्र
लखनऊ: चर्चित आईपीएस अफसर यशस्वी यादव को मेडल मिलने की राह में रोड़े अटकते नजर आ रहे हैं। यूपी कैडर में 4 साल से डेपुटेशन पर तैनात यशस्वी महाराष्ट्र कैडर के वर्ष 2000 बैच के आईपीएस अफसर हैं। यही तथ्य उनकी राह में रोड़ा बन रहा है। रिपब्लिक डे पर यूपी के करीब 163 पुलिस अफसरों को मेडल व सम्मान मिल सकता है।
रोड़ा बना सीमित कार्यकाल
-जानकारों के मुताबिक विशिष्ट सेवा मेडल पाने के लिए 14 साल की सेवा के साथ 10 वर्ष का आउटस्टैंडिंग परफार्मेंस होना चाहिए।
-यशस्वी यादव का यूपी में अब तक सिर्फ चार साल का कार्यकाल रहा है।
-उनका बाकी कार्यकाल महाराष्ट्र में रहा है और उनकी रिपोर्ट पर महाराष्ट्र सरकार ही अनुमोदन दे सकती है।
-यूपी से विशिष्ट सेवा मेडल के लिए उनका नाम केंद्र सरकार को भेजने की राह में यही तथ्य अड़चन बन रहा है।
महाराष्ट्र सरकार को भेजा जा रहा पत्र
-गृह विभाग के अधिकारियों के अनुसार मेडल से संबंधित मामले के निस्तारण के लिए महाराष्ट्र सरकार को पत्र भेजा जा रहा है।
-इस तरह मेडल के लिए यशस्वी के नाम का प्रस्ताव महाराष्ट्र सरकार के जरिए ही केंद्र सरकार को भेजा जा सकता है।
मेडल के नामों की बनी कमेटी
-मेडल पाने वाले संभावित पुलिस अधिकारियों का नाम फाइनल करने के लिए कमेटी गठित की गई है।
-कमेटी में प्रमुख सचिव गृह देबाशीष पंडा, डीजीपी जावीद अहमद, गृह सचिव मणि प्रसाद मिश्रा, एडीजी कार्मिक भावेश कुमार सिंह और एडीजी ला एंड आर्डर दलजीत चौधरी शामिल हैं।
कौन है यशस्वी यादव
-यशस्वी यादव फतेहपुर के रहने वाले हैं और वर्ष 2000 में महराष्ट्र कैडर से आईपीएस चयनित हुए थे।
-वर्ष 2012 में सपा सरकार बनने के बाद इन्हें प्रतिनियुक्ति पर यूपी बुलाया गया था
-प्रतिनियुक्ति के बाद उन्हें कानपुर में एसएसपी के पद पर तैनाती मिली थी।
सपा समर्थन का आरोप
-कानपुर में एसएसपी रहने के दौरान यशस्वी पर सपा समर्थकों की तरह काम करने के आरोप लगे थे।
-सपा विधायक इरफान सोलंकी के साथ कानपुर हैलट अस्पताल के डॉक्टरों से हुए तत्कालीन बवाल में यशस्वी पर उंगलियां उठी थीं।
-यसस्वी को हटाने के लिए तब कोर्ट तक को दखल देना पड़ा था।