यहां व्यवस्था है मजबूतः कोरोना मरीजों के इंतजार में हैं आइसोलेशन बोगियां
विशेष ट्रेन 10 बोगियां आइसोलेशन वार्ड में तब्दील कर दी गई थी। इसके लिए उनमें रेग्युलर बेडों को हटाकर खास परिवर्तन किए गए हैं। अब इन बोगियों में कुल 80 बेड्स हैं।
झाँसी: रेलवे स्टेशन के मानिकपुर यार्ड या प्लेटफार्म नंबर छह पर खड़ी विशेष ट्रेन 10 बोगियां आइसोलेशन वार्ड में तब्दील कर दी गई थी। इसके लिए उनमें रेग्युलर बेडों को हटाकर खास परिवर्तन किए गए हैं। अब इन बोगियों में कुल 80 बेड्स हैं। यहां कोविड-19 से संक्रमित या संक्रमण की आशंका वाले लोगों को आइसोलेट (अलग) किया जा सकता था।
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हर कोच में आठ आइसोलेश बेड हैं। डॉक्टरों और नर्सों के रहने वाला इंतजाम है। पंखे लगे हैं। शौचालयों में से कुछ में बदलाव कर बाथरुम बनाए गए हैं, ताकि यहां रहने वाले लोग नहा सकें। इनमें उन सभी जरुरी सुविधाओं (मेडिकल फैसिलिटीज को छोड़कर) की उपलब्धता का दावा किया जा रहा है, जो किसी आइसोलेशन वार्ड के लिए अनिवार्य होती हैं। इसके बावजूद इनमें से एक भी बेड का इस्तेमाल नहीं किया गया है। ये बेकार पड़े हैं। इनका रख-रखाव भी कठिन हो रहा है।
इस ट्रेन में है तीन स्लीपर और पांच जनरल कोच
झाँसी में खड़ी विशेष ट्रेन में दस कोच है। इनमें जनरल कोच क्रमांक 10566,10546,08499,05575, 00517, 007455, स्लीपर कोच क्रमांक 02259, 03246,55106, एसएलआर क्रमांक 96708 शामिल है। इसी ट्रेन की बोगियों के पास तीन कूलर रखे हैं।
कैसे हैं ये आइसोलेशन वार्ड
रेलवे ने ऐसे हर कोच में आठ बेड की व्यवस्था की है, जो जरुरत पड़ने पर 16 बेडों में बदले जा सकते हैं। ये दरअसल द्वितीय श्रेणी के कोच हैं, जिनमें सेंट्रली काम करने वाले एयर कंडीशन (एसी) नहीं लगे होते हैं, इनकी खिड़कियां खोली जा सकती हैं, परदे लगाकर बेडों को क्यूबिकल बनाया गया, ताकि किसी मरीज के कारण दूसरे को और दूसरों के कारण उस मरीज में संक्रमण न फैले।
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खिड़कियों पर लगाई गई मच्छरदानी
आइसोलेशन कोच में मेडिकल इक्विप्मेंट लगाने के लिए प्लग प्वाइंट बनाए गए हैं। ये सभी रेल कोच नॉन एसी कोच हैं। खिड़कियों पर मच्छरदानी लगाई गई है। अतिरिक्त पंखे और ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की गई हैं। एक कोच में एक वक्त में 16 मरीज इलाज करा पाएंगें।
रिपोर्ट: बीके कुशवाहा