लखनऊ के जिलाधिकारी समेत तीन प्रमुख सचिवों को अवमानना नोटिस जारी

हाल ही इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनउ खंड़पीठ ने अदालती अवमानना के एक मामले में अपर मुख्य सचिव मनेाज कुमार गुप्ता केा एक दिन की सजा सुनायी थी। बावजूद इसके अफसरशाही सुधरने का नाम नहीं ले रही है।

Update: 2019-04-02 15:02 GMT

लखनऊ: प्रदेश की अफसरशाही अदालत के आदेशों के प्रति सम्मान खोती हुई सी प्रतीत हेा रही है। ऐसा लगता है कि सारी की अफसरशाही अदालत के आदेशों की तब तक केाई चिन्ता नहीं करती जब तक उसके खिलाफ अदालती अवमानना का केस न दाखिल हो जाये।

हाल ही इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनउ खंड़पीठ ने अदालती अवमानना के एक मामले में अपर मुख्य सचिव मनेाज कुमार गुप्ता केा एक दिन की सजा सुनायी थी। बावजूद इसके अफसरशाही सुधरने का नाम नहीं ले रही है।

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ऐसे में हाई कोर्ट ने अलग अलग मामलेां में सुनवायी करते हुए प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार, चिकित्सा एंव शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव जयंत नीलांकर ,सिंचायी विभाग के प्रमुख सचिव टी0 वेंकटेस, लखनऊ के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा व कई अन्य महत्वपूर्ण अधिकारियों केा नेाटिसा जारी करते हुए जवाब तलब किया है।

केार्ट ने इन अधिकारियेां के खिलाफ प्रथम दृष्टया अवमानना का मामला बनता पाया और उन्हें नेाटिस जारी कर उन्हें आदेश दिया है कि वे स्वयं या अपने अधिवक्ता के जरिये जवाब दें कि अदालत की अवमानना के आरेाप में उन्हें क्यों न दंडित किया जाये।

ये अफसर अलग अलग मामलों में प्रथम दृष्टया अवमानना कारित करने के देाषी पाये गयें हैं।

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यह भी उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट में रोज अवमानना के दर्जनों केस सुनवायी के लिए आ रहें है। जिस पर कोर्ट नाराजगी जाहिर करते हुए अफसरेां केा लगातार अवमानना नेाटिस जारी कर जवाब तलब कर रही है। अवमानना करने वालें में बेसिक शिक्षा अधिकारी , डीआईओएस, विभागों के चेयरमैन से लेकर तहसीलदार तक शामिल हैं।

इस समय अवमानना के क्षेत्राधिकार में बैठ रहें जस्टिस विवेक चैधरी की कोर्ट इस बात पर काफी सख्त हो गयी है कि आखिर अवमानना केस के दाखिल होने पर जब कोर्ट उन्हें नेाटिस जारी करती है तो ही अधिकारियों में आदेश का अनुपालन करने की परंम्परा सी क्येां बन गयी है अपितु ऐसा क्यों नहीं होता कि अदालत का आदेश पाते ही समयबद्ध तरीके से उसका अनुपालन किया जाये।

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