मुस्लिम धर्मगुरुओं की अपील, कोरोना नियमों का करें पालन, घर पर पढ़ें नमाज

जालौन में मुस्लिम धर्म गुरुओं ने कोविड नियमों का पालन करने की अपील की है साथ ही लोगों से कहा है कि घर में ही नमाज पढ़ें।

Reporter :  Afsar Haq
Published By :  Ashiki
Update:2021-05-06 20:07 IST

File Photo

जालौन: रमजान माह के अंतिम अशरे में पढ़ने वाला अलविदा जुमा रोजदारों के लिए खास होता है। हर मुस्लिम और रोजेदार इस मुकद्दस दिन के लिए साल भर बेसब्री से इंतजार करते हैं। रमजान माह में रोजे के साथ साथ दिन रात अल्लाह की बारगह में सिर झुका कर दुआ की जाती है कि ऐ परवर दिगार तू हमारी इबादत को कुबूल फरमा। हमारे कबीरा सगीरा गुनाहों को माफ कर दे।

बता दें कि रमजान माह के तहत इस शुक्रवार यानी 7 मई को अलविदा की नमाज होनी है। रमजान मुबारक के आखिरी अशरे में पढ़ने वाले अलविदा जुमा की कुरान और हदीस में बड़ी अहमियत बयां की गई है। पुलिस लाईन वाली मस्जिद के पेश इमाम अजीज रजा बरकाती ने बताया कि नबी मोहम्मद साहब के मुताबिक इस दिन एक दूसरे से मुहब्बत से पेश आओ। भले ही एक दूसरे से मुलाकात न हो सके लेकिन उनके दुख दर्द की जानकारी जरूर की जाए। इसके अलावा सभी की सलामती के लिए दुआ भी मांगी जाए। ऐसा करने से रब खुश होकर गुनाहों को माफ कर दे। रमजान माह में एक नेकी करने के बदले 70 नेकी के बराबर सवाब भी मिलता है। रोजदारों के लिए यह जुमा बहुत ही मुबारक और पवित्र होता है क्योंकि यह अलविदा जुमा किस्मत वालों को ही मिलता है। रमजान के अलावा मुसलमानों को हर समय अच्छे कार्य और अल्लाह की इबादत करते रहना चाहिए। जिससे कोई गुनाह ना हो सके।

नबी ने फरमाया कि जुमा अलविदा पर नमाज का सवाब दीगर नमाजों से 70 गुना अधिक है। लिहाजा सप्ताह में एक दिन शुक्रवार को सभी मुसलमानों को नमाज अदा करनी चाहिए। पेश इमाम मुनाजिर तहशीन ने जानकारी देते हुए बताया कि जुमे की नमाज अदा करने पर आला दर्जे का सवाब मिलता है और साल भर में लोगों ने जो भी गुनाह किए हैं , उनसे तौबा करने के लिए अलविदा जुमा की नमाज जरूर पढनी चाहिए। दोबारा उन गुनाहों के रास्ते पर न जाकर अल्लाह की इबादत के साथ साथ अच्छे कामो मे अपना मन लगाकर काम करना चाहिए। जिससे न सिर्फ तरक्की होगी बल्कि कौम और दीगर लोगों के साथ अच्छा व्यवहार भी कायम होगा।

जामा मस्जिद के पेश इमाम हाफिज आरिफ काजी ने बताया कि उलेमा-ए-दीन अल्लाह के रसूल मुहम्मद साहब के मुताबिक जुमे की नमाज जमात के साथ अदा करने का सवाब दीगर नमाजों से ज्यादा है। मुकद्दस रमजान का आखिरी जुमा यानी जुमा अलविदा पर अल्लाह तआला बंदों के गुनाहों को बख्श देता है। लिहाजा जुमा अलविदा पर गुनाहों से तौबा करें। अल्लाह की इबादत ज्यादा से ज्यादा करें जिससे आप से कोई भी गुनाह ना हो सके।

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