Jaunpur News: पत्रकार के उपर हमले में दर्ज FIR पर वायरल मेडिकल रिपोर्ट से उठा सवाल, गोली लगने से घाव होने की नहीं की पुष्टि
Jaunpur News: एफआईआर में गोली चलाये जाने की बात दर्शाई गयी है। जबकि चिकित्सक द्वारा परीक्षण में मेडिकल रिपोर्ट बता रही है कि घायल पत्रकार के अंगुली में आई चोट पर कट का निशान है।;
Jaunpur journalist attacked (photo: social media )
Jaunpur News: जनपद के थाना लाइन बाजार क्षेत्र स्थित मिर्जापुर मार्ग पर चांदपुर बालू मंडी के पास विगत 26 फरवरी 23 की शाम को एक पत्रकार के उपर हमले की घटना के मामले में वायरल मेडिकल रिपोर्ट ने इस घटना के तहरीर और एफआईआर पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया। तहरीर और एफआईआर में गोली चलाये जाने की बात दर्शाई गयी है। जबकि चिकित्सक द्वारा परीक्षण में मेडिकल रिपोर्ट बता रही है कि घायल पत्रकार के अंगुली में आई चोट पर कट का निशान है।
सोशल मीडिया पर वायरल मेडिकल रिपोर्ट को लेकर चिकित्सको से राय ली गयी तो चिकित्सको ने स्पष्ट रूप से कहा कि मेडिकल की भाषा में एल/ डब्लू का अर्थ होता है कटा हुआ घाव, जब मेडिकल रिपोर्ट में कटा हुआ घाव है तो मुकदमा वादी ने पुलिस को गोली लगने की तहरीर क्यों दी यह गम्भीर जांच का बिषय है। मेडिकल रिपोर्ट में चूंकि कट बताया गया है फिर मौके से पुलिस गोली के खोखे बरामद करने की बात कर रही है जांच का बिषय है कि आखिर खोखा किसके द्वारा मौके पर पहुंचाया गया।
पत्रकार के उपर हमले में दर्ज एफआईआर पर वायरल मेडिकल रिपोर्ट से उठा सवाल (फोटो: सोशल मीडिया )
हलांकि घटना पत्रकार से जुड़ा होने के कारण तत्काल इतना तूल पकड़ा कि पुलिस महकमा हिल गया और घटना की सच्चाई जाने बगैर ही आनन फानन में तहरीर लेकर एक नामजद सहित दो अज्ञात कुल तीन लोंगो के खिलाफ धारा 307 भादवि का पंजीकृत कर लिया गया। लेकिन घटना के दूसरे दिन जैसे ही मेडिकल रिपोर्ट वायरल हुई इस घटना को लेकर तहरीर और एफआईआर सवालो के कटघरे में खड़ा हो गया। अब सवाल यह खड़ा हो गया है कि घटना की विवेचना कर रही है विधिक जानकारो की माने तो घटना के विवेचक को अपनी जांच में मेडिकल रिपोर्ट को खास तरजीह देनी चाहिए। यदि पुलिस ने इमानदारी के साथ मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर विवेचना कर दिया तो एफआईआर की मनगढ़ंत कहांनीकार ही सवालो के कटघरे में नजर आएंगे।
गोली की चोट नहीं
चिकित्सक बताते है कि यदि गोली चलती और अंगुली में लगती तो अंगुली ही उड़ जाती और स्कीन जल जाती फिर टांका नहीं लग सकता था। लेकिन घायल के घाव पर टाका लगा है। यह संकेत करता है कि गोली की चोट नहीं है। जब मेडिकल के जानकार चिकित्सक इस घटना के मेडिकल परिक्षण में गोली लगने की पुष्टि नहीं करते है तो और भी एजेन्सी उसे गोली लगना कैसे मान सकेगी यह एक बड़ा एवं अनुत्तरित सवाल है।
जो भी पुलिस विवेचना कर रही है अब दोनो पहलुओ पर मंथन की जरूरत है। फिलहाल इस घटना में पुलिस को जल्द बाजी में किसी भी निर्णय पर पहुंचने की जरूरत नहीं है। आखिर सच क्या है?