Jaunpur News: आखिर 45 वर्षो बाद जर्जर होकर गिरने पर पुल के मरम्मत की याद के लिए जिम्मेदार होगा कौन?

Jaunpur News Today: पुल के मरम्मत में लग रहे मटेरियल और क्वालटी को जानकार सवालों के घेरे में खड़ा कर रहे हैं।

Report :  Kapil Dev Maurya
Update:2022-11-12 18:22 IST

Jaunpur News after 45 years who will be responsible for repair of bridge if it falls into disrepair

Jaunpur News: जनपद मुख्यालय के दोनों भागों को जोड़ने वाले प्रमुख पुल के मरम्मत का कार्य विभाग द्वारा 45 वर्ष 10 माह बाद तब शुरू किया जब गुजरात स्थित मोरबी में पुल पर भीषण हादसा हुआ और शास्त्री पुल भी जर्जर होकर गिरने लगा और बड़ी दुर्घटना को दावत देने लगा। पुल के मरम्मत में लग रहे मटेरियल और क्वालटी को जानकार सवालों के घेरे में खड़ा कर रहे हैं।

यहां बता दें कि जनपद सहित इलाहाबाद और गोरखपुर जनपदों तक सरलता पूर्वक कम समय में पहुंचने को दृष्टिगत रखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने 24 दिसम्बर 1971 को इस शास्त्री पुल की आधारशिला राखी थी। 4 जनवरी 1977 को स्व एनडी तिवारी और संजय गांधी द्वारा उद्घाटन करते हुए पुल जनता के लिए खोल दिया गया और आव गमन शुरू हो गया। इस पुल को बन कर चालू होने के बाद इलाहाबाद से गोरखपुर की दूरी कम हो गयी और बड़ी संख्या में दिन रात वाहन चलने लगे।

वर्ष 2019 में इस पुल को जर्जर होने की खबर शासन और विभाग के पास भेजी गई थी लेकिन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इसके मरम्मत के प्रति गम्भीर नहीं हुए और इसके गिरने अथवा भीषण हादसे का इंतजार ही कर रहे थे कि अक्टूबर 2022 में गुजरात के मोरबी में टूटने से भीषण हादसा होने के बाद पूरे देश के पुलो की चिन्ता वर्तमान सरकारो ने किया।

इस घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी के पुलो की जांच कराने का आदेश दिया। सेतु निगम के सहायक अभियंता सोवर सिंह के साथ आई इंजीनियरों की टीम एमबीआईयू (मोबाइल ब्रिज इंस्पेक्शन यूनिट) पुल पर पहुंची। गाड़ी में लगी लिफ्ट के सहारे इंजीनियरों की टीम ने पुल के निचले हिस्से में ड्रिल करके कंकरीट और मिट्टी के नमूने कई स्थानों से लिए।

जांच में जौनपुर के शास्त्री पुल सहित प्रदेश के 25 पुल जर्जर स्थिति में मिले। शासन तब भी शास्त्री ब्रिज के मरम्मत को लेकर गम्भीर नहीं था। तभी बीते माह के अन्तिम सप्ताह में शास्त्री पुल की दीवार भरभरा कर नदी में गिर पड़ी और पुल बड़ी दुर्घटना को दावत देने लगा। मीडिया भी पुल की मरम्मत को लेकर शोर मचाने लगा। इसके बाद जिला प्रशासन और विभाग नींद से जागा तथा मरम्मत का कार्य शुरू कर दिया है।

पुल के पैदल मार्ग से लेकर दोंनो तरफ बनी दीवारें, रेलिंग आदि बुरी तरह से जर्जर हो चुकी है। लेकिन विभाग के लोग पुल के पाये और उपर बने यात्री पथ के बीच बने रिक्त स्थानो पर सीमेंट बालू और गिट्टी का मिश्रण भरकर उसे भरने का काम किया जा रहा है। इसमें प्रयोग हो रहे मटेरियल और सभी सामानों के मिश्रण तथा गुणवत्ता को लेकर अभी से सवाल उठने लगे है।

पीडब्लूडी के अधिशासी अभियंता जैनू राम के अनुसार शास्त्री पुल को कमज़ोर एवं जर्जर होने की दशा में भीषण खतरो को रोकने के लिए भारी लोडेड वाहनो को पुल से गुजरने पर प्रतिबंधित करते हुए रूटो का डायवर्जन किया गया है। इसके बाद भी बड़ी तादाद में मालवाहक ट्रक और यात्री बस आदि इस पुल से पास हो रहे है। यदि कहें कि विभाग अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए कागजी बाजीगरी का खेल किया है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। क्योंकि बड़े वाहनो को रोकने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गयी है।केवल कागज पर रूट डायवर्जन किया गया है।

यहां एक सवाल और खड़ा होता है कि 45 वर्ष बाद जब पुल बुरी तरह से जर्जर होकर गिरने पर ही पीडब्लूडी विभाग को इसके मरम्मत की याद क्यों आई? इसके पहले मरम्मत क्यों नहीं करायी गयी? यदि निर्धारित समय पर पुल की मरम्मत हो गई होती तो शायद पुल जर्जर होने से बच सकता था। जनमत है कि इस लापरवाही के लिए पीडब्लूडी विभाग सहित जिले के आला हुक्मरान भी जिम्मेदार है जो इस पुल के प्रति उदासीन रहे है। अब देखना है इस मरम्मत से शास्त्री पुल कितना और कब तक मजबूत बनाकर खड़ा रह सकता है।

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