Gorakhpur News: चुनावी जनसभा में 2000 की भीड़ देखकर भी मनमोहन के चेहरे पर थी सौम्य मुस्कान, पूर्व सांसद से लिया था फीडबैक
Gorakhpur News: प्रधानमंत्रित्व काल में ही एक अप्रैल 2010 में रामगढ़झील को राष्ट्रीय झील सरंक्षण योजना में शामिल किया गया। तब झील के जीर्णोद्धार के लिए 124 करोड़ रुपये जारी हुए थे।
Gorakhpur News: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपने जीवन काल में एक बार गोरखपुर आए थे। यहां भी उनकी सादगी को देखकर कांग्रेसी कायल हो गए थे। वह वर्ष 2007 के यूपी विधानसभा चुनाव में गोरखपुर सदर सीट से भाजपा के डॉ.राधा मोहन दास अग्रवाल के खिलाफ कांग्रेस प्रत्याशी सिद्धार्थ प्रिय श्रीवास्तव की चुनावी सभा को संबोधित करने गोरखपुर पहुंचे थे। तब पूर्वोत्तर रेलवे के सैयद मोदी स्टेडियम में हुई जनसभा में बमुश्किल 2000 लोग ही थे। लेकिन वह कम भीड़ देखकर विचलित नहीं हुए। पूर्व सांसद हरिकेश बहादुर को किनारे ले जाकर पूछा, गोरखपुर में कांग्रेस की स्थिति कैसी है? तब बेबाकी से पूर्व सांसद ने कहा कि कांग्रेस की स्थिति ठीक नहीं है। इसके बाद भी पूर्व प्रधानमंत्री ने पूरी सादगी से कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में 20 मिनट का संबोधन किया।
करीब 20 मिनट के अपने संबोधन में आरोप-प्रत्यारोप के इतर अपनी सरकार की उपलब्धियों पर चर्चा की थी। पूर्व सांसद हरिकेश बहादुर और तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस मंत्री डॉ.सैयद जमाल एयरपोर्ट पर स्वागत करने पहुंचे थे। हरिकेश बहादुर चंद मिनटों की मुलाकात को याद करते हुए बताते हैं कि एयरपोर्ट पर उतरने के बाद वह मुझे किनारे लेकर गए। गोरखपुर के साथ ही पूर्वांचल में कांग्रेस की स्थिति को लेकर जानकारी ली। पूर्व जिलाध्यक्ष डॉ.सैयद जमाल कहते हैं कि प्रधानमंत्री रहते हुए भी उनकी सौम्यता के सभी कायल हुए थे। उनकी सादगी और आर्थिक समझ को देश कभी नहीं भूल सकता है। सैयद मोदी स्टेडियम में करीब दर्जन भर नेताओं ने उनका माल्यार्पण किया था। उन्होंने एक-एक पदाधिकारी से कांग्रेस की मजबूती के लिए काम करने की अपील की थी।
रामगढ़झील के जीर्णोद्धार को बढ़ाया था पहला कदम
उनके प्रधानमंत्रित्व काल में ही एक अप्रैल 2010 में रामगढ़झील को राष्ट्रीय झील सरंक्षण योजना में शामिल किया गया। तब झील के जीर्णोद्धार के लिए 124 करोड़ रुपये जारी हुए थे। इंसेफेलाइटिस से बच्चों की मौत को देखते हुए उन्होंने तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नवी आजाद को गोरखपुर भेजा था। तब उन्होंने सर्किट हाउस में एम्स की संभावना पर अधिकारियों के साथ चर्चा की थी। आमी के प्रदूषण का मुद्दा उनके संज्ञान में आया तो उन्होंने वर्ष 2011 में तत्कालीन वन और पर्यावरण मंत्री को आमी नदी की स्थिति जानने के लिए गोरखपुर भेजा। इसके बाद ही केन्द्रीय प्रदूषण बोर्ड की टीम गोरखपुर पहुंची थी। टीम ने अपनी रिपोर्ट में पहली बार आमी के प्रदूषण को स्वीकारा था।