Jaunpur News: स्वतंत्र भारत के इतिहास में आपातकाल सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक समय था: अशोक पाण्डेय

Jaunpur News: भाजपा कार्यालय पर 25 जून को काला दिवस के रूप में भाजपा कार्यकर्ताओं ने मनाया।

Report :  Kapil Dev Maurya
Update: 2024-06-25 11:20 GMT

कार्यक्रम को सम्बोधित करते पदाधिकारी। Credit- Newstrack

Jaunpur News: भाजपा कार्यालय पर 25 जून को काला दिवस के रूप में भाजपा कार्यकर्ताओं ने मनाया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप प्रदेश प्रवक्ता अशोक पाण्डेय और विशिष्ट अतिथि के रूप मे लोकतंत्र सेनानी के जिलाध्यक्ष एवं पूर्व विधायक सुरेंद्र प्रताप सिंह उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह ने की। 

मुख्य अतिथि प्रवक्ता अशोक पाण्डेय ने कहा कि, इंदिरा गांधी द्वारा भारत में 1975 में लगाया गया आपातकाल भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में सबसे बड़ी घटना है। आज की पीढ़ी आपातकाल के बारे में सुनती जरूर है, लेकिन उस दौर में क्या घटित हुआ, इसका देश और तब की राजनीति पर क्या असर हुआ, इसके बारे में बहुत कम ही पता है। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक समय था आपातकाल में चुनाव स्थगित हो गए थे और सभी नागरिक अधिकारों को समाप्त कर दिया गया था। इसकी जड़ में 1971 में हुए लोकसभा चुनाव था, जिसमें उन्होंने अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी राजनारायण को पराजित किया था। लेकिन चुनाव परिणाम आने के चार साल बाद राज नारायण ने हाईकोर्ट में चुनाव परिणाम को चुनौती दी। 12 जून, 1975 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी का चुनाव निरस्त कर उन पर छह साल तक चुनाव न लड़ने का प्रतिबंध लगा दिया और उनके चिरप्रतिद्वंद्वी राजनारायण सिंह को चुनाव में विजयी घोषित कर दिया था।

केस हारने के बाद भी इंदिरा गांधी ने नहीं दिया इस्तीफा

विशिष्ट अतिथि सुरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा उनके चिरप्रतिद्वंद्वी राजनारायण सिंह को चुनाव में विजयी घोषित करने के वावजूद गांधी ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया इसी दिन गुजरात में चिमनभाई पटेल के विरुद्ध विपक्षी जनता मोर्चे को भारी विजय मिली। इस दोहरी चोट से इंदिरा गांधी बौखला गईं और अदालत के इस निर्णय को मानने से इनकार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने की घोषणा की और 26 जून को आपातकाल लागू करने की घोषणा कर दी इस दौरान जनता के सभी मौलिक अधिकारों को स्थगित कर दिया गया। सरकार विरोधी भाषणों और किसी भी प्रकार के प्रदर्शन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया। समाचार पत्रों को एक विशेष आचार संहिता का पालन करने के लिए विवश किया गया, जिसके तहत प्रकाशन के पूर्व सभी समाचारों और लेखों को सरकारी सेंसर से गुजरना पड़ता था।

सभी विपक्षी दलों के नेताओं की हुई थी गिरफ्तारी

जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह ने कहा कि आपातकाल की घोषणा के साथ ही सभी विरोधी दलों के नेताओं को गिरफ्तार करवाकर अज्ञात स्थानों पर रखा गया। सरकार ने मीसा (मैंटीनेन्स ऑफ इंटरनल सिक्यूरिटी एक्ट) के तहत कदम उठाया। उस समय बिहार में जयप्रकाश नारायण का आंदोलन अपने चरम पर था। कांग्रेस के कुशासन और भ्रष्टाचार से तंग जनता में इंदिरा सरकार इतनी अलोकप्रिय हो चुकी थी कि चारों ओर से उन पर सत्ता छोड़ने का दबाव था, लेकिन सरकार ने इस जनमानस को दबाने के लिए तानाशाही का रास्ता चुना। 25 जून, 1975 को दिल्ली में हुई विराट रैली में जय प्रकाश नारायण ने पुलिस और सेना के जवानों से आग्रह किया कि शासकों के असंवैधानिक आदेश न मानें। तब जेपी को गिरफ्तार कर लिया गया। यह ऐसा कानून था जिसके तहत गिरफ्तार व्यक्ति को कोर्ट में पेश करने और जमानत मांगने का भी अधिकार नहीं था। विपक्षी दलों के सभी नेताओ को जेल भेज दिया गया इस दौरान सरकार ने संविधान में परिवर्तन कर एक ऐसी व्यवस्‍था को पनपने का आधार तैयार किया जिसको राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र आर्गनाइजर ने पारिभाषिक दाग का नाम दिया। पत्र के संपादकीय में कहा गया कि ये समाज में वैमनस्यता, भेदभाव को बढ़ाने का काम करेगा।

यह लोग रहे उपस्थित

इस दौरान कार्यक्रम में आये हुए लोकतंत्र सेनानी को सम्मानित किया गया जिनमें मुख्य रूप से नरसिंह बहादुर सिंह, बाबूराम मिश्रा, रामस्वरूप, रामधारी यादव, मदन मोहन यादव, राम प्रसाद यादव, भगवती प्रसाद यादव, रामस्वरूप यादव, शंकर यादव, राम सिंगार यादव, ओमप्रकाश, लालता प्रसाद यादव, सभाजीत यादव, त्रिभुवन नाथ मौर्य, त्रिभुवन सिंह, ओमप्रकाश, महादेव चौरसिया, लालता प्रताप यादव, भोला मौर्य, रतिराम यादव, राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, लल्लन यादव, शारदा देवी, गुलशन मौर्य, तहसीलदार, राजेंद्र, कृष्णावती मिश्रा, राम सागर तिवारी, कमला देवी निषाद, दयाराम शर्मा, बलवंती देवी, ज्ञान देव तिवारी, भोलानाथ यादव, कपिल देव तिवारी, इंद्रपाल सिंह, जयप्रकाश तिवारी, कालुराम चौरसिया, हरिशंकर यादव, राजदेव यादव, शांति देवी, मनोज यादव, जनार्दन तिवारी, आद्या प्रसाद मिश्रा, लक्ष्मी शंकर, राजाराम सरोज, रमेश चंद्र उपाध्याय, नीलम यादव, राजाराम गौड़, राज बहादुर यादव, राधेश्याम प्रजापति, रामजतन देवी, छोटे लाल यादव, राम उजागर, जयंती प्रसाद मौर्य, विश्राम सिंह राम प्रसाद पाल, लालचंद मौर्या, अमन पाल, उमाशंकर सरोज, जय नाथ पाल, मोतीलाल मौर्य, बृजेश सिंह, छोटेलाल शुक्ला, रमेश चंद्र मौर्य सम्मानित हुए। कार्यक्रम का संचालन जिला महामंत्री सुनील तिवारी ने किया।

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